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अश्लील या आपत्तिजनक सामग्री

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संदर्भ:

अश्लील या आपत्तिजनक सामग्री: सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने ओटीटी प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया पर अश्लील, पोर्नोग्राफिक या अभद्र सामग्री के प्रसार को लेकर शिकायतों के बाद एक परामर्श (दिशानिर्देश) जारी किया है।

अश्लील या आपत्तिजनक सामग्री पर OTT प्लेटफार्मों के लिए सलाह के मुख्य बिंदु:

  1. IT नियम, 2021 का पालन अनिवार्य: ओटीटी प्लेटफार्मों कोआईटी नियम, 2021 के तहतआचार संहिता (Code of Ethics) और आयु-आधारित वर्गीकरण का सख्ती से पालन करना होगा।
  2. कानूनी ढांचा: यह सलाह अश्लील या आपत्तिजनक सामग्री को प्रतिबंधित करने वाले विभिन्न कानूनों का उल्लेख करती है, जिनमें शामिल हैं:
    • महिला अशोभनीय प्रस्तुतीकरण अधिनियम, 1986
    • भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023
    • POCSO अधिनियम (बाल संरक्षण के लिए)
    • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000
  3. तीन-स्तरीय शिकायत निवारण तंत्र:
    •  स्तर-I: प्रकाशकों (OTT प्लेटफार्मों) द्वारा आत्म-नियमन:
      • ओटीटी प्लेटफार्मों को शिकायत अधिकारी (Grievance Officer) नियुक्त करना होगा, जो 15 दिनों के भीतर शिकायतों का निपटारा करेगा।
      • आचार संहिता और सामग्री वर्गीकरण का पालन सुनिश्चित करना अनिवार्य होगा।
    •  स्तर-II: स्व-नियामक निकाय (SRB) द्वारा निगरानी:
      • प्रकाशकों के निर्णयों की समीक्षा, अपीलों का निपटारा, और नैतिक अनुपालन सुनिश्चित करेगा।
      • इसे सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (MIB) के साथ पंजीकृत होना अनिवार्य होगा।
    •  स्तर-III: सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की निगरानी:
      • मंत्रालय सलाह, चेतावनी जारी कर सकता है या उल्लंघन पर कार्रवाई कर सकता है।
      • शिकायत अपीलीय समिति (GAC) लंबित शिकायतों की समीक्षा कर सकती है।

OTT नियमन में चुनौतियाँ:

  1. स्वतंत्रता और नियमन के बीच संतुलन: अत्यधिक नियमोंके कारणस्व-नियंत्रण (Self-Censorship) बढ़ सकता है, जिससे रचनात्मकता प्रभावित हो सकती है। संविधान का अनुच्छेद 19 अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है, लेकिन शालीनता और नैतिकता के आधार पर कुछ प्रतिबंधों की अनुमति देता है।
  2. शिकायत निवारण की विषयगत व्याख्या: आपत्तिजनक सामग्री की अलग-अलग व्याख्यासेअसंगत निर्णय आ सकते हैं, जिससे नियमन में अस्पष्टता बनी रहती है।
  3. अधिकार क्षेत्र (Jurisdiction) की समस्या: वैश्विक ओटीटी प्लेटफार्मोंकोभारतीय कानूनों के अनुसार ढलने में कठिनाई होती है, जिससे कानूनी टकराव की स्थिति बन सकती है।
  4. सेंसरशिप को लेकर चिंताएँ: सरकार कीअत्यधिक दखलअंदाजी, नियमों की अस्पष्टता, औरराजनीतिक पक्षपात को लेकर चिंता बढ़ रही है, जिससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बाधित हो सकती है।
  5. AI मॉडरेशन की चुनौतियाँ: स्वचालित (AI आधारित) सामग्री मॉडरेशनकभी-कभीसंस्कृति और संदर्भ को सही ढंग से नहीं समझ पाता, जिससे अनुचित प्रतिबंध (Takedown) लग सकते हैं।

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