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अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए नए दिशानिर्देश

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नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं के तहत वायबिलिटी गैप फंडिंग (VGF) योजना के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। यह कदम राष्ट्रीय अपतटीय पवन ऊर्जा नीति, 2015 के कार्यान्वयन की दिशा में उठाया गया है।

वायबिलिटी गैप फंडिंग (VGF) योजना के बारे में:

  • परियोजनाएँ: गुजरात और तमिलनाडु के तट पर 1000 मेगावाट की अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाएँ (प्रत्येक 500 मेगावाट) स्थापित की जाएंगी। इस पर कुल व्यय: ₹ 6853 करोड़ होगा।
  • वित्तपोषण: VGF वित्त वर्ष 2031-32 तक प्रदान किया जाएगा।
  • बंदरगाह उन्नयन: संभार-तंत्रीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दो बंदरगाहों का ₹ 600 करोड़ के व्यय से उन्नयन किया जाएगा।
  • कार्यान्वयन: नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा, भारतीय सौर ऊर्जा निगम लिमिटेड (SECI) कार्यान्वयन एजेंसी होगी।
  • तकनीकी सहायता: राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान (NIWE) नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करेगा और परियोजनाओं की स्थापना और कमीशनिंग के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करेगा।
  • पद्धति: SECI द्वारा अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से बोलीदाता का चयन किया जाएगा।
  • ग्रीनशू विकल्प: अतिरिक्त 50 मेगावाट क्षमता का अति-आबंटन विकल्प उपलब्ध होगा।

अपतटीय पवन ऊर्जा के बारे में:

  • परिचय: अपतटीय पवन ऊर्जा एक ऐसा नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है जो समुद्र में स्थापित पवन टर्बाइनों से उत्पन्न होता है। यह पारंपरिक पवन ऊर्जा के समान है, लेकिन समुद्र में होने के कारण कई फायदे प्रदान करता है।
  • भारत में संभावनाएँ: भारत की 7600 किमी लंबी तटरेखा और विशाल विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) के साथ अपतटीय पवन ऊर्जा की संभावनाएँ हैं।
  • महत्व: यह 2030 तक 500 गीगावाट स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण है और भूमि उपलब्धता जैसे मुद्दों को संबोधित करता है।
  • चुनौतियाँ: अपतटीय टर्बाइनों की प्रति मेगावाट लागत अधिक है, मजबूत संरचनाओं और नींव की आवश्यकता होती है, उच्च संक्षारण और समुद्री जैव विविधता पर नकारात्मक प्रभाव जैसी समस्याएँ हैं।

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRI) के बारे में:

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRI) भारत सरकार का नोडल मंत्रालय है जो नवीन और अक्षय ऊर्जा के विकास और स्थापना के लिए जिम्मेदार है। इसका मुख्य उद्देश्य देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:

  • 1970 के दशक में तेल संकट के दौरान, तेल की कीमतों में वृद्धि और आपूर्ति की अनिश्चितता के कारण ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता महसूस की गई।
  • मार्च 1981 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग में अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत आयोग की स्थापना की गई।
  • इसके बाद, सितंबर 1982 में इसे जोड़कर ऊर्जा मंत्रालय में गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोत विभाग (डीएनईएस) का गठन किया गया।
  • अक्टूबर 2006 में मंत्रालय का नाम बदलकर नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय कर दिया गया।

मंत्रालय का विजन:

मंत्रालय का उद्देश्य नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप विकसित करना है ताकि देश को विदेशी मुद्रा अर्जित करने में मदद मिले और ऊर्जा सुरक्षा के राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके।

मंत्रालय का मिशन:

  • ऊर्जा सुरक्षा: वैकल्पिक ईंधनों जैसे हाइड्रोजन, जैव-ईंधन और सिन्थेटिक ईंधनों का विकास और उपयोग।
  • स्वच्छ विद्युत की हिस्सेदारी में बढ़ोत्तरी: पवन, जल विद्युत, सौर, भू-तापीय, जैव और ज्वारीय विद्युत जैसी अक्षय ऊर्जा का सहयोग।
  • ऊर्जा उपलब्धता और पहुँच: ग्रामीण, शहरी, औद्योगिक और वाणिज्यिक क्षेत्रों में ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति।
  • ऊर्जा दक्षता: किफायती, सुरक्षित और भरोसेमंद ऊर्जा आपूर्ति के विकल्प प्रदान करना।
  • ऊर्जा समानता: वर्ष 2050 तक प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत को वैश्विक औसत स्तर के बराबर लाना।

मंत्रालय का कार्य:

MNRI के कार्य निम्नलिखित हैं:

  • अनुसंधान और विकास: बायोगैस, सौर ऊर्जा, जल विद्युत, उन्नत चूल्हे, ज्वारीय ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा, आदि से संबंधित अनुसंधान और विकास।
  • कार्यक्रम और परियोजनाएं: सौर फोटोवोल्टेक उपकरण, लघु जल विद्युत परियोजनाएँ, और अन्य गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोतों के विकास और लागू करना।
  • प्रौद्योगिकी मैपिंग और बेंचमार्किंग: अनुसंधान, डिजाइन, विकास और निर्माण में सहायता करना।
  • मानक और गुणवत्ता: अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार गुणवत्ता आश्वासन मान्यता प्रदान करना।
  • संसाधन सर्वेक्षण और प्रचार: ऊर्जा सुरक्षा और आत्मनिर्भरता के लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए स्वदेशी ऊर्जा उत्पादों और सेवाओं का प्रचार।

यह मंत्रालय देश की ऊर्जा सुरक्षा और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत है और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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