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यौन उत्पीड़न से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2013

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महिलाओं के कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 (POSH अधिनियम) के समान रूप से लागू करने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिए गए हैं।

यौन उत्पीड़न (POSH अधिनियम) के तहत निर्देश:

  1. जिला अधिकारी की नियुक्ति:
    • हर जिले में उपयुक्त सरकार द्वारा जिला अधिकारी नियुक्त किए जाएं।
    • यह अधिकारी POSH अधिनियम के तहत संगठनात्मक समितियों का गठन सुनिश्चित करेंगे।
  2. आंतरिक शिकायत समिति (ICC):
    • अनुभाग 4 के अनुसार, प्रत्येक नियोक्ता को आंतरिक शिकायत समिति गठित करनी होगी।
    • समिति शिकायतें प्राप्त कर, जांच शुरू करती है और कार्रवाई की सिफारिश करती है।
  3. स्थानीय समिति का गठन: अनुभाग 6 के तहत, उन संस्थानों में स्थानीय समिति बनाई जाएगी, जहां 10 से कम कर्मचारी हैं या शिकायत नियोक्ता के खिलाफ हो।
  4. नोडल अधिकारी की नियुक्ति:
    • ग्रामीण/आदिवासी क्षेत्रों में प्रत्येक ब्लॉक, तालुका, तहसील और शहरी क्षेत्रों में नगरपालिकाओं में नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएं।
    • स्थानीय समिति का अधिकार क्षेत्र संबंधित जिले तक होगा।
  5. SHe-Box का उपयोग:
    • सभी राज्यों को SHe-Box (Sexual Harassment Electronic Box) लागू करने का सुझाव दिया गया।
    • यह एक सिंगल विंडो पोर्टल है, जो महिलाओं को यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज करने में मदद करता है।

उद्देश्य:

  • POSH अधिनियम का समान और प्रभावी कार्यान्वयन।
  • महिलाओं के लिए सुरक्षित और सम्मानजनक कार्य वातावरण सुनिश्चित करना।
  • यह कानून पूरे देश में लागू किया जाना है। सर्वेक्षण करने के लिए तीन महीने की समय सीमा दी गई है, और रिपोर्ट 31 मार्च, 2025 तक प्रस्तुत करनी होगी।

POSH अधिनियम 2013: POSH अधिनियम भारत सरकार द्वारा 2013 में बनाया गया एक कानून है, जिसका उद्देश्य कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न को रोकना और एक सुरक्षित एवं सम्मानजनक कार्य वातावरण सुनिश्चित करना है।

POSH अधिनियम के प्रमुख प्रावधान:

  1. यौन उत्पीड़न की परिभाषा: POSH अधिनियम के तहत निम्नलिखित अवांछित कृत्यों को यौन उत्पीड़न माना गया है:
    • शारीरिक संपर्क या अग्रिम व्यवहार।
    • यौन अनुग्रह की मांग या अनुरोध।
    • यौन संबंधी टिप्पणी करना।
    • अश्लील सामग्री दिखाना।
    • अन्य कोई अवांछित शारीरिक, मौखिक या गैर-मौखिक कृत्य।
  2. रोकथाम और निषेध: कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकने और उसे निषिद्ध करने की जिम्मेदारी नियोक्ता पर होती है।
  3. आंतरिक शिकायत समिति (ICC)
    • हर कार्यस्थल जहां 10 या अधिक कर्मचारी हों, वहां आंतरिक शिकायत समिति (ICC) का गठन अनिवार्य है।
    • समिति को शिकायतें सुनने और उचित कार्रवाई करने का अधिकार है।
  4. नियोक्ताओं के कर्तव्य: नियोक्ता को जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने, सुरक्षित वातावरण प्रदान करने और POSH अधिनियम की जानकारी प्रदर्शित करनी होती है।
  5. शिकायत प्रक्रिया: अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज करने, जांच करने और संबंधित पक्षों को न्यायपूर्ण अवसर प्रदान करने की प्रक्रिया निर्धारित की गई है।
  6. दंड प्रावधान: अधिनियम के प्रावधानों का पालन न करने पर जुर्माने और व्यवसाय लाइसेंस रद्द करने जैसे दंड हो सकते हैं।

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