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भारत ने पहली बार एशियाई बौद्ध शिखर सम्मेलन की मेजबानी की, जो भारत की सांस्कृतिक और कूटनीतिक सॉफ्ट पावर को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। इस शिखर सम्मेलन का आयोजन संस्कृति मंत्रालय द्वारा अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (IBC) के सहयोग से किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य बौद्ध धर्म के माध्यम से एशिया को एकजुट करना और समृद्ध बनाना है।
एशियाई बौद्ध शिखर सम्मेलन के मुख्य बिंदु:
- विषय: शिखर सम्मेलन का मुख्य विषय “एशिया को मजबूत बनाने में बुद्ध धम्म की भूमिका” था।
- प्रमुख चर्चाएँ:
- बौद्ध कला, वास्तुकला और सांस्कृतिक विरासत।
- बौद्ध धर्म के प्रसार और बुद्ध चारिका का महत्व।
- समाज में पवित्र बौद्ध अवशेषों की भूमिका।
- वैज्ञानिक अनुसंधान में बौद्ध धर्म का योगदान।
- 21वीं सदी में बौद्ध साहित्य और दर्शन की प्रासंगिकता।
यह आयोजन भारत की एक्ट ईस्ट नीति को भी समर्थन देता है, जो एशियाई देशों के साथ समावेशी और आध्यात्मिक संबंधों को प्रगाढ़ करने का उद्देश्य रखती है।
बौद्ध धर्म का वैश्विक महत्व:
बौद्ध धर्म, जो सिद्धार्थ गौतम (बुद्ध) की शिक्षाओं पर आधारित है, दुख और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति के मार्ग पर चलता है। इसके प्रमुख सिद्धांत जैसे माइंडफुलनेस, शांति, क्षमा और भौतिकवाद से परे जीवन आज की दुनिया में प्रासंगिक हैं।
भारत की सॉफ्ट पावर डिप्लोमेसी और बौद्ध धर्म:
बौद्ध धर्म का उपयोग भारत की सॉफ्ट पावर डिप्लोमेसी को मजबूत करने में किया जा रहा है। इसमें शामिल हैं:
- दक्षिण एशियाई देशों के साथ संबंधों को प्रगाढ़ करना: थाईलैंड, म्यांमार, कंबोडिया, लाओस, वियतनाम और श्रीलंका जैसे देशों के साथ सांस्कृतिक जुड़ाव।
- शांतिपूर्ण राष्ट्र के रूप में भारत की पहचान: भारत का प्रयास है कि वह साझा मूल्यों के माध्यम से क्षेत्रीय शांति और स्थिरता का प्रतीक बने।
- बौद्ध धर्म की ऐतिहासिक जड़ें: भारत बौद्ध धर्म का उद्गम स्थल है, जहाँ बोधगया जैसे महत्वपूर्ण स्थल हैं।
- दलाई लामा और वैश्विक प्रभाव: दलाई लामा का भारत में निर्वासन से भारत को बौद्ध दर्शन का वैश्विक समर्थन मिला है।
- नालंदा विश्वविद्यालय का पुनरुद्धार: नए नालंदा विश्वविद्यालय के माध्यम से बौद्ध अध्ययन में वैश्विक शिक्षा का केंद्र बनने की दिशा में भारत अग्रसर है।
- बौद्ध कला और विरासत: अजंता-एलोरा की गुफाएं, सांची और सारनाथ जैसे स्थल भारत की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक हैं।
- बौद्ध पर्यटन: भारत में कई महत्वपूर्ण बौद्ध स्थल हैं, और पर्यटन मंत्रालय बौद्ध सर्किट के विकास को बढ़ावा दे रहा है।
निष्कर्ष: बौद्ध धर्म के माध्यम से भारत एशियाई देशों के साथ सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक संबंधों का उपयोग कर आपसी समझ और सहयोग को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है। बौद्ध पर्यटन के प्रचार-प्रसार और नालंदा विश्वविद्यालय के पुनरुद्धार जैसी पहलों के माध्यम से भारत वैश्विक मंच पर शिक्षा, सांस्कृतिक एवं कूटनीतिक नेतृत्व को प्रोत्साहित कर रहा है।
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