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संदर्भ:
भारत ने QS फ्यूचर स्किल्स इंडेक्स 2025 में कुल मिलाकर 25वां स्थान हासिल किया है। विशेष रूप से, “फ्यूचर ऑफ वर्क” श्रेणी में भारत ने वैश्विक स्तर पर दूसरा स्थान प्राप्त किया, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के ठीक पीछे है।
QS इंडेक्स के बारे में:
QS वर्ल्ड फ्यूचर स्किल्स इंडेक्स, जिसे लंदन स्थित क्वैक्वेरेली सिमंड्स (QS) द्वारा विकसित किया गया है, यह सूचकांक वैश्विक नौकरी बाजार की तेजी से बदलती आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए देशों की तैयारी का मूल्यांकन करता है।
यह इंडेक्स चार महत्वपूर्ण आयामों पर देशों का मूल्यांकन करता है:
- कौशल संगति (Skills Fit): कार्यबल के कौशल और नौकरी बाजार की मांगों के बीच सामंजस्य।
- शैक्षिक तत्परता (Academic Readiness): शैक्षिक संस्थानों की क्षमता, जो स्नातकों को भविष्य के लिए तैयार करती है।
- कार्य का भविष्य (Future of Work): उभरते उद्योगों से संबंधित कौशल और प्रौद्योगिकियों को अपनाना।
- आर्थिक परिवर्तन (Economic Transformation): नई अवधारणाओं में समायोजित होने और प्रगति करने की अर्थव्यवस्थाओं की क्षमता।
QS फ्यूचर स्किल्स इंडेक्स 2025 में देशों की तैयारियों पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), डिजिटल परिवर्तन और हरे प्रौद्योगिकियों जैसे उभरते हुए नौकरी क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
QS फ्यूचर स्किल्स इंडेक्स 2025 के प्रमुख बिंदु:
- भारत की रैंक: भारत को QS वर्ल्ड फ्यूचर स्किल्स इंडेक्स 2025 में 25वीं रैंक प्राप्त है, जिससे इसे “फ्यूचर स्किल्स कंटेंडर” के रूप में वर्गीकृत किया गया है। कुल स्कोर 76.6 है।
- शीर्ष 5 देश:
- संयुक्त राज्य अमेरिका (97.6),
- यूनाइटेड किंगडम (97.1),
- जर्मनी (94.6),
- ऑस्ट्रेलिया (93.3),
- कनाडा (91.0)
ये देश “फ्यूचर स्किल्स पायनियर्स” के रूप में वर्गीकृत किए गए हैं।
भारत की ताकत:
- भविष्य के कार्य संकेतक में भारत को 100 में से 1 अंक मिले हैं, जो डिजिटल, एआई, और ग्रीन स्किल्स में भविष्य के कार्यों के लिए मजबूत तत्परता को दर्शाता है।
- वैंचर कैपिटल और ग्रोथ फंडिंग: भारत एशिया पैसिफिक क्षेत्र में वेंचर कैपिटल और ग्रोथ फंडिंग के लिए दूसरा सबसे बड़ा गंतव्य बना हुआ है।
- आर्थिक परिवर्तन: भारत का आर्थिक परिवर्तन वृद्धि, कार्यबल की दक्षता, और उच्च शिक्षा की भूमिका के परिवर्तन के मेल से प्रेरित हुआ है।
भारत के लिए चिंता के क्षेत्र:
- ‘स्किल्स फिट’ में कमजोर स्कोर: भारत को ‘स्किल्स फिट’ पैरामीटर में 1 अंक मिले, जो शीर्ष 30 देशों में सबसे कम है। इसका मतलब है कि कार्यबल के कौशल और तेजी से बदलती उद्योगों की आवश्यकताओं में असंतुलन है।
- भविष्य के नवाचार में कमजोर प्रदर्शन: भारत को स्थिरता (सस्टेनेबिलिटी) में भविष्य की ओर उन्मुख नवाचार पैरामीटर में केवल 6 अंक मिले, जबकि G7 देशों को 68.3 अंक मिले। यह दर्शाता है कि स्थिरता में निवेश और नवाचार की आवश्यकता है।
- उच्च शिक्षा प्रणाली में विकास की कमी: रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली उद्योग की आवश्यकताओं के अनुसार तेजी से विकसित नहीं हो रही है। स्नातक अक्सर उन कौशलों से लैस नहीं होते जिन्हें नियोक्ता चाहते हैं।
सुधार के लिए सुझाव:
- सृजनात्मकता और उद्यमिता: विश्वविद्यालयों को सृजनात्मकता, समस्या समाधान और उद्यमिता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
- अकादमिक-उद्योग सहयोग: शिक्षा और उद्योग के बीच बेहतर तालमेल जरूरी है।
- पुनः कौशल विकास: NEP 2020 और ULLAS जैसी नीतियों द्वारा कौशल वृद्धि और पुनः कौशल विकास को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।