Download Today Current Affairs PDF
संदर्भ:
भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने मतदाता धोखाधड़ी को रोकने और चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता बढ़ाने के लिए मतदाता पहचान पत्र (वोटर आईडी) को आधार कार्ड से जोड़ने की सिफारिश की है। यह कदम चुनाव प्रणाली को अधिक विश्वसनीय और प्रभावी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। आइए, इसके लाभ और हानियों पर चर्चा करें।
आधार कार्ड और पहचान पत्र को जोड़ने का पृष्ठभूमि:
प्रारंभिक निर्णय (2015):
- उद्देश्य: मतदाता सूची से फर्जी और डुप्लीकेट प्रविष्टियों को हटाना।
- स्वैच्छिक प्रक्रिया: आधार और वोटर आईडी को जोड़ना अनिवार्य नहीं था।
- रोक: सुप्रीम कोर्ट के 11 अगस्त 2015 के फैसले के बाद इस प्रक्रिया को रोका गया।
- आधार का उपयोग केवल 3 सरकारी योजनाओं तक सीमित किया गया:
- पीडीएस: सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत खाद्यान्न वितरण।
- पीएमजेडीवाई: प्रधानमंत्री जन धन योजना।
- मनरेगा: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005।
- आधार का उपयोग केवल 3 सरकारी योजनाओं तक सीमित किया गया:
सुप्रीम कोर्ट का फैसला (2018):
- आधार की वैधानिकता को बरकरार रखा गया।
- निजता का अधिकार: सरकार विशिष्ट कानून और उचित उद्देश्य के साथ इसे सीमित कर सकती है।
- मामला: के.एस. पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ।
2019 के बाद चुनाव आयोग (ECI) का रुख:
- आधार और वोटर आईडी को जोड़ने का प्रस्ताव पुनः प्रस्तुत।
- प्रस्तावित संशोधन:
- चुनाव कानूनों में बदलाव के लिए सरकार को अनुरोध।
- 2021 में चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक लाया गया।
- आधार और वोटर आईडी को जोड़ने के लिए कानूनी आधार प्रदान किया गया।
नई प्रक्रियाएँ:
- फॉर्म 6: नए मतदाताओं के पंजीकरण के लिए आधार विवरण का प्रावधान।
- फॉर्म 6B: मौजूदा मतदाताओं से आधार नंबर एकत्र करने के लिए नया फॉर्म।
आधार कार्ड और पहचान पत्र को जोड़ने के फायदे:
- डुप्लीकेट प्रविष्टियों का उन्मूलन: वोटर आईडी की डुप्लिकेट रजिस्ट्रेशन को खत्म कर चुनावी सूचियों की शुद्धता बढ़ाना।
- सटीकता में सुधार: पहचान सत्यापन से मतदाता सही निर्वाचन क्षेत्र में पंजीकृत होंगे।
- सरलीकरण: ऑनलाइन पंजीकरण अपडेट करना आसान होगा, जिससे अधिक नागरिक चुनाव में भाग लेंगे।
- सुरक्षा: बायोमेट्रिक आधार से पहचान चोरी और फर्जी मतदान रोका जाएगा।
- सरकारी सेवाओं की सुविधा: आधार और वोटर आईडी लिंक होने से सरकारी लाभ प्राप्त करना आसान होगा।
- चुनावी सुधार: आधार लिंकिंग से दूरस्थ और इंटरनेट आधारित मतदान जैसे सुधारों में मदद मिलेगी।
आधार कार्ड और पहचान पत्र को जोड़ने के नुकसान:
- गोपनीयता: निजी जानकारी की सुरक्षा और गोपनीयता पर सवाल उठते हैं, जैसे राजनीतिक माइक्रोटार्गेटिंग और व्यक्तिगत जानकारी का दुरुपयोग।
- बहिष्करण का जोखिम: जिनके पास आधार नहीं है, उन्हें मतदान या संबंधित सेवाओं तक पहुंच में कठिनाई हो सकती है, विशेष रूप से हाशिये पर स्थित समूहों को।
- वोटरों का वंचित होना: डेटा एंट्री या जानबूझकर डिलीट होने से असली वोटर वोट देने से वंचित हो सकते हैं, जैसा कि 2018 में NERPAP के दौरान हुआ।
- अधिकारियों द्वारा दुरुपयोग: आधार लिंकिंग के बावजूद, प्रशासनिक हेरफेर, जैसे राजनीतिक उद्देश्यों से नामों का गलत तरीके से हटाना संभव है।
- स्वैच्छिक प्रकृति: लिंकिंग स्वैच्छिक होने के बावजूद, कुछ लोग गलत जानकारी या इसके प्रभावों को न समझने के कारण दबाव महसूस कर सकते हैं।