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भारतीय सेना की बैटल एक्स डिवीजन ने रोबोटिक डॉग्स के साथ विशेष अभ्यास किया, जो सेना के विभिन्न अभियानों में अहम भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं।
- यह अभ्यास 14 से 21 नवंबर तक आयोजित किया गया, जिसमें 50 से अधिक जवानों ने भाग लिया और उनके साथ 10 रोबोटिक डॉग्स शामिल थे।
रोबोटिक डॉग क्या है?
रोबोटिक डॉग एक उन्नत तकनीक से बनाया गया मशीन है, जो कुत्ते की तरह दिखता है और उसके जैसे चार पैर होते हैं। यह मुख्य रूप से एक रोबोटिक उपकरण है, जिसे विभिन्न कार्यों के लिए डिजाइन किया गया है।
इसे रिमोट से नियंत्रित किया जा सकता है और कुछ मॉडलों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से स्वतः संचालन करने की क्षमता भी होती है।
रोबोटिक डॉग्स की खासियतें:
- थर्मल कैमरा और रडार से लैस:
- ये डॉग्स छुपे हुए दुश्मनों को पहचानने और उनका पता लगाने में सक्षम हैं।
- 360 डिग्री घूमने वाले हाई-रिजॉल्यूशन कैमरे और सेंसर्स के माध्यम से रियल टाइम डाटा प्रदान करते हैं।
- ऊबड़–खाबड़ और कठिन इलाके:
- बर्फ, रेगिस्तान, ऊंची सीढ़ियों और पहाड़ी रास्तों पर भी आसानी से काम कर सकते हैं।
- ये बाधाओं को पार करते हुए जवानों को किसी भी खतरे से बचाने में सहायक हैं।
- संचालन और संचार:
- ये रोबोटिक डॉग्स थर्मल कैमरों और रडार से लैस हैं, जो छिपे हुए दुश्मनों का पता लगाने में अत्यधिक सक्षम हैं।
- संचालन के लिए यह वाई-फाई और 4जी/एलटीई नेटवर्क का उपयोग करता है।
- वाई–फाई: छोटी दूरी के लिए उपयोगी।
- 4जी/एलटीई: लंबी दूरी (10 किमी तक) के लिए इस्तेमाल होता है।
- रोबोटिक डॉग्स को 1 मीटर से 10 किमी तक की दूरी पर ऑपरेट किया जा सकता है।
- ऊर्जा क्षमता:
- केवल एक घंटे की चार्जिंग के बाद, ये डॉग्स 10 घंटे तक लगातार कार्य कर सकते हैं।
- मिशन सहायता:
- इनका उपयोग निगरानी, दुश्मनों पर नजर रखने और जरूरी सामान पहुंचाने के लिए किया जा रहा है।
- सेना इनके जरिए दुश्मनों के ठिकानों पर सटीक गोलीबारी कर सकती है।
- दुश्मन को पहचानना और खत्म करना:
- रोबोटिक डॉग्स ने इस अभ्यास में दुश्मनों को खोजने और उन पर सटीक कार्रवाई करने की क्षमता का प्रदर्शन किया।
- ऊंचाई वाले क्षेत्रों में उपयोग:
- इन डॉग्स को विशेष रूप से बर्फीले और दुर्गम इलाकों में लॉजिस्टिक्स (आपूर्ति) सुधारने के लिए तैनात किया जा रहा है।
IISc बेंगलुरु और रोबोटिक खच्चरों का विकास
भारतीय सेना की बढ़ती जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, IISc बेंगलुरु ऐसे रोबोटिक खच्चरों के निर्माण में मदद कर रहा है, जो कठिन से कठिन रास्तों पर चलने और भारी वजन उठाने में सक्षम हैं।
स्वदेशी निर्माण पर जोर:
- भारतीय सेना ने जनवरी 2023 में 100 रोबोटिक खच्चरों की जरूरत को लेकर एक प्रस्ताव (Request for Proposal – RFP) जारी किया।
- सेना चाहती है कि ये रोबोटिक खच्चर पूरी तरह से स्वदेशी कंपनियों द्वारा बनाए जाएं।
रोबोटिक खच्चरों की आवश्यकता क्यों?
- सैन्य शक्ति को मजबूत करना:
- रोबोटिक खच्चर सेना की तकनीकी क्षमताओं को बढ़ाकर दुर्गम इलाकों में उनकी कार्यक्षमता में सुधार करते हैं।
- ये सैनिकों के साथ काम करते हुए रसद (लॉजिस्टिक्स) और सहायता को तेज़ और प्रभावी बनाते हैं।
- सैनिकों की मृत्यु दर को कम करना:
- दुर्गम और खतरनाक इलाकों में तैनात सैनिकों पर पड़ने वाले जोखिम को कम करने के लिए रोबोटिक खच्चरों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
- ये खच्चर सैनिकों का भार हल्का करते हुए, कठिन अभियानों में उनकी सहायता करते हैं।
- सीमा सुरक्षा में चीन की बढ़त:
- चीन पहले ही रोबोटिक तकनीक का इस्तेमाल अपनी सीमा सुरक्षा और सैन्य अभियानों में कर रहा है।
- भारतीय सेना को अपनी तकनीकी क्षमता बढ़ाने के लिए ऐसे रोबोटिक खच्चरों की आवश्यकता है, ताकि सीमा पर सुरक्षा मजबूत हो सके।
- अभियानों में भागीदारी:
- ये खच्चर दुश्मनों का पता लगाने, रसद आपूर्ति, और बर्फीले/ऊबड़-खाबड़ क्षेत्रों में सुरक्षित परिवहन में भूमिका निभा सकते हैं।
साथ ही, ये कठिन और खतरनाक सैन्य अभियानों को अधिक कुशल और सुरक्षित बना सकते हैं।
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