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हाल ही में केयरएज, एक भारतीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग (Sovereign Credit Rating) पर अपनी पहली रिपोर्ट जारी की है, जिसमें 39 वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं का मूल्यांकन किया गया है। यह कदम केयरएज को सॉवरेन रेटिंग के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने वाली पहली भारतीय एजेंसी बना देता है।
मुख्य हाइलाइट्स
- उच्चतम रेटिंग: जर्मनी, नीदरलैंड, सिंगापुर, और स्वीडन को AAA रेटिंग प्रदान की गई है।
- भारत की रेटिंग:
- भारत को BBB+ रेटिंग दी गई है, जो महामारी के बाद की मजबूत आर्थिक रिकवरी और बुनियादी ढांचे में निवेश पर ध्यान केंद्रित करने के आधार पर है।
- भारत का सामान्य सरकारी ऋण-जीडीपी अनुपात वित्त वर्ष 2030 तक 80% से घटकर 78% होने का अनुमान है।
सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग (Sovereign Credit Rating)
- परिभाषा: क्रेडिट रेटिंग किसी इकाई की अपनी वित्तीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की क्षमता का अनुमान लगाने के लिए एक दूरदर्शी राय होती है। इसे ऋण जोखिम या उधारकर्ता की सापेक्ष ऋण-पात्रता के संदर्भ में परिभाषित किया जाता है।
- नियामक: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) घरेलू क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों, जैसे क्रिसिल, आईसीआरए, और केयर को नियंत्रित करता है।
- उद्देश्य:
- एससीआर किसी देश या संप्रभु इकाई की ऋण दायित्वों को पूरा करने की क्षमता का आकलन करता है, जिसमें ऋण चुकाने की क्षमता और इच्छा दोनों शामिल हैं।
- यह वैश्विक पूंजी बाजारों से कम लागत पर उधार लेने की सुविधा प्रदान करता है, निवेशकों का विश्वास बढ़ाता है, और विदेशी निवेश को आकर्षित करता है।
अमेरिकी रेटिंग एजेंसियों के मुद्दे
वर्तमान में, Sovereign Credit Rating पर तीन प्रमुख अमेरिकी रेटिंग एजेंसियों – एसएंडपी, मूडीज, और फिच का प्रभुत्व है।
भारत सहित कई देशों ने इन वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा दी जाने वाली रेटिंग पर सवाल उठाए हैं, जिनके कारण निम्नलिखित हैं:
- पारदर्शिता का अभाव: रेटिंग एजेंसियों द्वारा अपनाई गई कार्यप्रणाली में पारदर्शिता की कमी है।
- आर्थिक सिद्धांतों की समझ: एजेंसियों ने अर्थव्यवस्था के मूल सिद्धांतों को पर्याप्त रूप से नहीं समझा है।
- पक्षपाती दृष्टिकोण: उभरती अर्थव्यवस्थाओं के प्रति पक्षपातपूर्ण रुख अपनाना।
- कम रेटिंग: भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और इसका कोई डिफ़ॉल्ट इतिहास नहीं है, फिर भी इसे वैश्विक CRAs द्वारा कम रेटिंग दी गई है।
निष्कर्ष: केयरएज की रिपोर्ट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और यह वैश्विक स्तर पर रेटिंग क्षेत्र में भारतीय एजेंसियों की विश्वसनीयता को बढ़ाने में मदद कर सकती है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को भी दर्शाती है, खासकर जब इसे वैश्विक रेटिंग एजेंसियों के द्वारा दिए गए रेटिंग के संदर्भ में देखा जाता है।
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