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उपग्रहों का अंतरिक्ष कचरा पर्यावरण के लिए खतरा

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वर्तमान में पृथ्वी की कक्षा में 10,000 से अधिक सक्रिय उपग्रह मौजूद हैं। अनुमान है कि यह संख्या 2030 के दशक तक 1 लाख से अधिक और आने वाले दशकों में लगभग 5 लाख तक पहुंच सकती है, जो अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के तीव्र विकास का संकेत है।

मुख्य बिंदु:

  1. सक्रिय उपग्रहों की संख्या: वर्तमान में पृथ्वी की कक्षा में 10,000 से अधिक सक्रिय उपग्रह हैं।
  2. भविष्य का अनुमान: 2030 के दशक तक यह संख्या 1 लाख और आने वाले दशकों में 5 लाख तक पहुंच सकती है।
  3. जीवन चक्र का अंत: अधिकांश उपग्रह अपने जीवन चक्र के अंत में पृथ्वी के वातावरण में जलकर नष्ट हो जाते हैं।
  4. प्रदूषण की समस्या: उपग्रहों के जलने से ऊपरी वातावरण में विभिन्न प्रकार के प्रदूषक छूटते हैं।
  5. वैज्ञानिकों की चिंता: उपग्रहों की बढ़ती संख्या के साथ प्रदूषण भी बढ़ेगा, जिससे वैज्ञानिक चिंतित हैं।

उपग्रहों से प्रदूषण: एक गंभीर चुनौती

परिचय:
उपग्रहों और रॉकेटों की रीएंट्री (पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश) के दौरान वायुमंडल में भारी मात्रा में प्रदूषक तत्व छोड़े जाते हैं। ये प्रदूषक न केवल वायुमंडल को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि जलवायु परिवर्तन और ओजोन परत पर भी नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।

मुख्य तथ्य:

  1. वायुमंडल में धातु कणों का बढ़ता स्तर:
    • वायुमंडल के स्ट्रैटोस्फियर में पाए गए एरोसोल कणों में लगभग 10% एल्यूमीनियम और अन्य धातुएं होती हैं, जो जलते हुए उपग्रहों और रॉकेटों से उत्पन्न होती हैं।
    • ये धातुएं वायुमंडल में जमा होकर लंबे समय तक बनी रहती हैं।
  2. प्रदूषण में वृद्धि:
    • उपग्रहों की रीएंट्री के दौरान एल्यूमीनियम और नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन में 2020 में 3 बिलियन ग्राम से बढ़कर 2022 में 5.6 बिलियन ग्राम हो गया।
    • रॉकेट लॉन्च से भी प्रदूषकों का उत्सर्जन बढ़ रहा है, जिसमें ब्लैक कार्बन, नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, एल्यूमीनियम ऑक्साइड और क्लोरीन गैसें शामिल हैं।
  3. प्रभाव:
    • ओजोन परत पर प्रभाव: रॉकेटों और उपग्रहों के जलने से उत्पन्न क्लोरीन गैसें ओजोन परत को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
    • जलवायु परिवर्तन: ब्लैक कार्बन और अन्य प्रदूषक तत्व वायुमंडल में गर्मी को बढ़ाकर जलवायु परिवर्तन को तेज कर सकते हैं।
    • पर्यावरणीय खतरा: इन प्रदूषकों का दीर्घकालिक प्रभाव पृथ्वी के पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र पर हो सकता है।
  4. प्रभाव:
    • ओजोन परत पर प्रभाव: रॉकेटों और उपग्रहों के जलने से उत्पन्न क्लोरीन गैसें ओजोन परत को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
    • जलवायु परिवर्तन: ब्लैक कार्बन और अन्य प्रदूषक तत्व वायुमंडल में गर्मी को बढ़ाकर जलवायु परिवर्तन को तेज कर सकते हैं।
    • पर्यावरणीय खतरा: इन प्रदूषकों का दीर्घकालिक प्रभाव पृथ्वी के पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र पर हो सकता है।

उपग्रह प्रदूषण का प्रभाव

  1. ओजोन परत पर खतरा:
    • जलते हुए उपग्रहों से निकलने वाला एल्यूमीनियम ऑक्साइड और अन्य धातुयुक्त कण ओजोन परत को नुकसान पहुंचाते हैं।
    • ओजोन परत सूर्य से आने वाली 99% पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करती है। इस परत के कमजोर होने से जीवों और पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं।
  2. जलवायु परिवर्तन:
    • रॉकेट इंजनों और उपग्रहों के जलने से ब्लैक कार्बन, नाइट्रोजन ऑक्साइड, और अन्य जहरीले गैसें वायुमंडल में मिलती हैं।
    • यह गैसें वातावरण को गर्म करती हैं और जलवायु को असंतुलित बनाती हैं।
    • धातुओं के कण बादल बनने की प्रक्रिया को तेज कर सकते हैं, जिससे मौसम चक्र में बदलाव हो सकता है।
  3. पर्यावरणीय संरचना में बदलाव:
    • उपग्रहों और रॉकेटों के जलने से निकलने वाले प्रदूषक वायुमंडल की रासायनिक संरचना को बदल सकते हैं।
    • यह परिवर्तन न केवल पृथ्वी के पर्यावरण को प्रभावित कर सकते हैं, बल्कि दीर्घकालिक रूप से प्राकृतिक संतुलन को भी बिगाड़ सकते हैं।
    • कैंसर, आंखों की समस्याएं, और फसल उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है।
    • समुद्री और स्थलीय जीवन के लिए भी यह प्रदूषण खतरनाक है।

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