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बाघ पुनर्वास परियोजना

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बाघ पुनर्वास परियोजना: राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने मध्य प्रदेश से राजस्थान, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में 15 बाघों के स्थानांतरण को मंजूरी दी है। यह बाघों के संरक्षण और संख्या संतुलन के लिए एक बड़ा कदम है।

बाघ पुनर्वास परियोजना के मुख्य बिंदु:

  • पुनर्वास का पैमाना (Scale of Translocation): यह भारत में एक ही राज्य से बाघों की सबसे बड़ी पुनर्वास प्रक्रिया है।
  • मध्य प्रदेश की भूमिका (Tiger Translocation by Madhya Pradesh): मध्य प्रदेश, जिसमें देश के सबसे अधिक 785 बाघ हैं, इस परियोजना को संचालित कर रहा है।
  • स्रोत रिज़र्व (Source Reserves): बाघों को मध्य प्रदेश के निम्नलिखित टाइगर रिज़र्व से स्थानांतरित किया जाएगा:
    • बांधवगढ़
    • पन्ना
    • कान्हा
    • पेंच
  • गंतव्य विवरण (Destination Details):
    • राजस्थान: 4 बाघिन।
    • छत्तीसगढ़: 2 नर बाघ और 6 बाघिन।
    • ओडिशा: 1 नर बाघ और 2 बाघिन।
  • वित्तपोषण और जिम्मेदारी (Funding and Responsibility): बाघ प्राप्त करने वाले राज्य स्थानांतरण प्रक्रिया से संबंधित सभी खर्चों को वहन करेंगे।
  • पुनर्वास का उद्देश्य (Objective of Relocation):
    • देश भर में बाघ संरक्षण प्रयासों को मजबूत करना।
    • प्राप्त करने वाले राज्यों में बाघों की आबादी को पुनः स्थापित करना या बढ़ाना गया।

बाघ पुनर्वास के लाभ (Benefits of Translocation):

  • पारिस्थितिक संतुलन (Ecological Balance): कम आबादी वाले रिज़र्व में शिकारी और शिकार के प्राकृतिक संतुलन को पुनः स्थापित करता है।
  • मानवपशु संघर्ष में कमी (Human-animal Conflict Mitigation): अधिक भीड़भाड़ वाले रिज़र्व में मानव और बाघ के बीच संघर्ष को कम करता है।
  • वन्य जीवन को पुनर्जीवित करना (Rewilding Landscapes): उन क्षेत्रों को पुनर्जीवित करता है, जहां बाघ स्थानीय रूप से विलुप्त हो चुके थे।

बाघ पुनर्वास से जुड़े चिंताएं (Concerns Associated with Translocation):

  • स्थानीय समुदायों के विरोध: टाइगर रिज़र्व के पास रहने वाले ग्रामीण बाघ से अपने जीवन के लिए खतरे की आशंका व्यक्त करते हैं।
  • क्षेत्रीय संघर्ष: नए बाघ पहले से मौजूद बाघों के साथ संघर्ष में पड़ सकते हैं, जिससे वे मानव-बहुल क्षेत्रों में जाने को मजबूर हो सकते हैं।
  • अन्य समस्याएं: खराब वन प्रबंधन, जैसे शिकार के लिए भोजन की पर्याप्त व्यवस्था न होना।

अंतर्राज्यीय बाघ पुनर्वास परियोजनाएं (Inter-state Tiger Translocation Projects):

  • उद्देश्य (Objectives):
    • पुनर्प्रवेश (Re-introduction): बाघों की उन क्षेत्रों में आबादी फिर से स्थापित करना, जो उनके ऐतिहासिक क्षेत्र का हिस्सा थे लेकिन अब वहां से विलुप्त हो चुके हैं।
    • सुदृढीकरण (Reinforcement): पहले से मौजूद बाघों की आबादी में वृद्धि करना ताकि उनकी दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित हो सके।
  • पहली बाघ पुनर्वास परियोजना (First Translocation Project):
    • वर्ष 2018 में शुरू की गई।
    • दो बाघों को कान्हा टाइगर रिज़र्व और बांधवगढ़ से सातकोसिया टाइगर रिज़र्व (ओडिशा) में स्थानांतरित किया गया।
  • मुख्य भूमिका निभाने वाली संस्था (Key Authority):
    • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority – NTCA): यह परियोजनाओं की योजना और क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

निष्कर्ष: बाघ पुनर्वास परियोजनाएं देश में बाघों के संरक्षण के लिए एक प्रभावी पहल हैं, जो उनकी आबादी बढ़ाने और ऐतिहासिक निवास स्थान को पुनर्जीवित करने में मदद करती हैं।

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