Download Today Current Affairs PDF
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 26 जनवरी को पद संभालने के बाद कनाडा, मेक्सिको और चीन से आयातित वस्तुओं पर भारी टैरिफ (कर) लगाने की योजना बनाई है। उन्होंने यह कदम आव्रजन (immigration) और मादक पदार्थों की तस्करी (drug trade) से जुड़ी चिंताओं को देखते हुए उठाने का प्रस्ताव दिया है।
- डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा और मेक्सिको से आने वाली सभी वस्तुओं पर 25% टैरिफ और चीन से आयातित वस्तुओं पर 10% टैरिफ लगाने का प्रस्ताव दिया।
टैरिफ क्या होता है?
टैरिफ का मतलब है आयातित (दूसरे देशों से लाई गई) या निर्यातित (दूसरे देशों को भेजी गई) वस्तुओं पर सरकार द्वारा लगाया गया कर। इसे आयात शुल्क या सीमा शुल्क भी कहा जाता है।
टैरिफ के मुख्य उद्देश्य:
- देश की अर्थव्यवस्था की सुरक्षा: घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए टैरिफ लगाया जाता है।
- राजस्व जुटाना: सरकार इस कर से आय अर्जित करती है।
- विदेशी व्यापार को नियंत्रित करना: विदेशी वस्तुओं को महंगा बनाकर उनका आयात कम किया जा सकता है।
ट्रंप टैरिफ क्यों बढ़ाना चाहते हैं?
डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा, मेक्सिको और चीन से आयातित वस्तुओं पर भारी टैरिफ लगाने की योजना बनाई है। इसके पीछे मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
- अवैध प्रवासी और ड्रग्स की समस्या:
- ट्रंप का मानना है कि कनाडा और मेक्सिको अवैध प्रवासियों और ड्रग्स (जैसे फेंटेनाइल) को अमेरिका में भेजने में मदद कर रहे हैं।
- चीन से भी भारी मात्रा में फेंटेनाइल का अमेरिका में अवैध तरीके से आयात हो रहा है।
- ड्रग्स की वजह से मौतें:
- हर साल अमेरिका में लगभग 75,000 मौतें फेंटेनाइल ड्रग के कारण होती हैं।
- अप्रैल 2024 से अगस्त तक अमेरिकी कस्टम विभाग ने करीब 8900 किलो फेंटेनाइल जब्त किया है।
- पिछले प्रयासों का विफल होना: ट्रंप ने पहले भी इन देशों को ड्रग्स पर नियंत्रण लगाने को कहा था, लेकिन इन देशों ने इस मुद्दे पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
भारत में उच्च आयात शुल्क के प्रभाव और सरकार की नीति: भारत ने 2014 के बाद से लगभग 3,200 बार आयात शुल्क में वृद्धि की है, जिससे औसत शुल्क 13% से बढ़कर 18% हो गया है। भारत का आयात शुल्क अब चीन (7.5%), वियतनाम (9.6%), और बांग्लादेश (14.1%) से भी अधिक है। यह वृद्धि 1990-91 में 125% से घटाकर 13% तक लाने की नीति के विपरीत है।
उच्च आयात शुल्क के प्रभाव:
- निर्माण लागत में वृद्धि: उच्च आयात शुल्क से निर्माण लागत बढ़ जाती है, जिससे भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धा कमजोर होती है, विशेष रूप से उन देशों के मुकाबले जिनका शुल्क कम है।
- उपभोक्ताओं पर असर: उच्च शुल्क के कारण उत्पाद महंगे हो जाते हैं, जिससे उपभोक्ताओं को ऊंची कीमतें और सीमित विकल्प मिलते हैं।
- इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मास्युटिकल्स सेक्टर में असर: चीन से आयातित घटकों पर निर्भर इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मास्युटिकल्स क्षेत्र में लागत बढ़ जाती है, जैसे कि सर्किट बोर्ड और चार्जर पर उच्च शुल्क।
- वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में बदलाव: उच्च आयात शुल्क से वियतनाम, थाईलैंड, और मेक्सिको जैसे देशों के मुकाबले भारत कम आकर्षक बनता है, क्योंकि इन देशों का शुल्क भारत से कम है।
सरकार की नीति: भारत सरकार ने आयात शुल्क में पुनर्विचार शुरू किया है। उदाहरण के तौर पर, मोबाइल फोन घटकों पर आयात शुल्क 15% से घटाकर 10% कर दिया गया है। इसके अलावा, भारत ने यूएई और ऑस्ट्रेलिया के साथ व्यापार समझौते किए हैं, और यूके से बातचीत चल रही है। यह नीति वैश्विक व्यापार में संतुलन बनाने की दिशा में कदम है।
ट्रंप का प्रभाव: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में भारत से आयातित स्टील और एल्युमिनियम पर उच्च शुल्क लगाया था, जिसके जवाब में भारत ने बादाम और सेब जैसे उत्पादों पर शुल्क लगाया। यदि ट्रंप अपनी नीतियों को लागू करते हैं, तो व्यापार विवादों का खतरा बढ़ सकता है।