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संदर्भ:
भारत ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) को अपना चौथा द्विवार्षिक अपडेट रिपोर्ट (BUR-4) प्रस्तुत किया है। इस रिपोर्ट में भारत के ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन की जानकारी और इसे कम करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण दिया गया है।
रिपोर्ट की मुख्य बातें:
- GHG उत्सर्जन में कमी:
- 2005 से 2020 के बीच भारत के GDP की उत्सर्जन तीव्रता में 36% की कमी।
- 2030 तक इसे 45% तक कम करने के लक्ष्य पर काम जारी।
- क्षेत्रवार उत्सर्जन:
- ऊर्जा क्षेत्र: 66%
- कृषि क्षेत्र: 72%
- औद्योगिक प्रक्रियाएँ: 06%
- अपशिष्ट प्रबंधन: 56%
- GHG गैसों का वर्गीकरण:
- कार्बन डाइऑक्साइड (CO2):53%
- मीथेन (CH4):32%
- नाइट्रस ऑक्साइड (N2O):13%
- राष्ट्रीय रूप से निर्धारित योगदान (NDC) लक्ष्यों पर प्रगति:
- 2005 से 2020 के बीच GDP की उत्सर्जन तीव्रता में 36% की कमी।
- गैर-जीवाश्म ईंधन की क्षमता 52% तक पहुँची।
- नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 22 GW तक बढ़ी।
- 2005-2021 के बीच वनीकरण के जरिए अतिरिक्त 29 बिलियन टन CO2 अवशोषित।
- जलवायु लक्ष्यों की दिशा में प्रयास: भारत 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य हासिल करने की ओर अग्रसर है।
संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC): मुख्य बिंदु
- स्थापना:
- 1992 में रियो अर्थ समिट में अपनाया गया।
- उद्देश्य: ग्रीनहाउस गैसों के सांद्रण को स्थिर करना ताकि ग्लोबल वार्मिंग को सीमित किया जा सके।
- मुख्यालय: बॉन, जर्मनी।
- मूल सिद्धांत:
- समानता और कॉमन बट डिफरेंशिएटेड रिस्पॉन्सिबिलिटीज (CBDR)।
- विकसित देशों को जलवायु कार्रवाई में अग्रणी भूमिका निभानी होगी।
- सदस्यता: इसमें 198 पार्टियां शामिल हैं, जो लगभग वैश्विक भागीदारी दर्शाती है।
- मुख्य समझौते:
- क्योटो प्रोटोकॉल (1997): अनिवार्य उत्सर्जन कटौती लक्ष्य।
- पेरिस समझौता (2015): ग्लोबल वार्मिंग को 1.5°C तक सीमित करने की वैश्विक प्रतिबद्धता।
- बैठकें: कॉनफ्रेंस ऑफ पार्टीज (COP) की वार्षिक बैठकें, प्रगति की समीक्षा और लक्ष्य तय करने के लिए आयोजित की जाती हैं।