Mains GS II – स्वास्थ्य, महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मेघालय में वैक्सीन-व्युत्पन्न पोलियोवायरस (Vaccine-Derived Poliovirus) का मामला सामने आया, जिसने भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में हलचल मचा दी है। यह घटना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत 2014 में पोलियो-मुक्त घोषित हुआ और अब एक दो वर्षीय बच्चे में इस वायरस का पता चलना एक गंभीर स्वास्थ्य चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यह वाइल्ड पोलियोवायरस का मामला नहीं है, बल्कि एक वैक्सीन-व्युत्पन्न स्ट्रेन है, जो दुर्लभ मामलों में उन बच्चों को प्रभावित करता है जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है। इस घटना ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) सहित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठनों का ध्यान आकर्षित किया है। देश में लंबे समय से पोलियो के किसी भी नए मामले की अनुपस्थिति के बाद इस तरह का मामला सामने आना चिंता का विषय है।
वैक्सीन व्युत्पन्न पोलियोवायरस (Vaccine-Derived Poliovirus) क्या है?
वैक्सीन-व्युत्पन्न पोलियोवायरस (VDPV) एक प्रकार का पोलियोवायरस है, जो OPV कमजोर वायरस से उत्पन्न होता है। यह शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करता है। लेकिन बहुत ही दुर्लभ मामलों में, यह कमजोर वायरस कुछ समय बाद अपने आप में बदलाव कर सकता है और एक ऐसा रूप धारण कर सकता है, जो पोलियो जैसी बीमारी पैदा करने की क्षमता रखता है। इस तरह के परिवर्तित वायरस को ही वैक्सीन-व्युत्पन्न पोलियोवायरस (VDPV) कहा जाता है। इसमें 90% से ज्यादा मुख्य प्रभाव VDPV टाइप 2 के कारण ही होते हैं ।
वैक्सीन-व्युत्पन्न पोलियोवायरस (VDPV) के प्रकार
वैक्सीन-व्युत्पन्न पोलियोवायरस (VDPV) तीन प्रमुख प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है:
- cVDPV (circulating Vaccine-Derived Poliovirus) : cVDPV वह वायरस है जो कमजोर पोलियोवायरस वैक्सीन के बदलते हुए रूप से उत्पन्न होता है और समुदाय में फैलने लगता है। यह पोलियो जैसी बीमारी का कारण बन सकता है। cVDPV समुदाय के उन हिस्सों में अधिक फैलता है जहाँ पोलियो टीकाकरण का कवरेज असंतोषजनक होता है।
- iVDPV (immunodeficiency-related Vaccine-Derived Poliovirus): यह VDPV का एक प्रकार है, जो उन व्यक्तियों में विकसित होता है जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है। ऐसे व्यक्ति वायरस को अपने शरीर से खत्म नहीं कर पाते हैं, जिससे वायरस उनके शरीर में लंबे समय तक बना रह सकता है और अंततः VDPV के रूप में विकसित हो सकता है।
- aVDPV (ambiguous Vaccine-Derived Poliovirus): aVDPV ऐसे वैक्सीन-व्युत्पन्न पोलियोवायरस को संदर्भित करता है जिसका स्रोत स्पष्ट नहीं होता और इसे किसी भी ज्ञात वैक्सीन-व्युत्पन्न पोलियोवायरस के प्रकोप या प्रतिरक्षा की कमी से जोड़ा नहीं जा सकता है।
वैक्सीन-व्युत्पन्न पोलियोवायरस (VDPV) बनने की प्रक्रिया
यह तब शुरू होती है जब मौखिक पोलियो वैक्सीन (OPV), जिसमें जीवित लेकिन कमजोर किया हुआ पोलियोवायरस होता है, किसी बच्चे को दी जाती है। यह कमजोर वायरस बच्चे की आंतों में प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करने के लिए थोड़े समय तक रह सकता है और कभी-कभी मल के माध्यम से बाहर निकल सकता है। यदि टीकाकरण कवरेज कम है और अन्य बच्चों में प्रतिरक्षा कमजोर है, तो यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। बार-बार संचरण के दौरान, वायरस के जीन में परिवर्तन हो सकता है, जिससे यह फिर से शक्तिशाली बन सकता है और पोलियो जैसी बीमारी का कारण बन सकता है। इस प्रकार उत्पन्न होने वाला वायरस VDPV कहलाता है, जो दुर्लभ लेकिन गंभीर मामलों में पोलियो जैसी स्थिति पैदा कर सकता है।
मौखिक पोलियो वैक्सीन (OPV) क्या है?● मौखिक पोलियो वैक्सीन (Oral Polio Vaccine, OPV) एक प्रकार का टीका है जिसे पोलियोवायरस से बचाव के लिए दिया जाता है। ● इसे अल्बर्ट सबिन ने विकसित किया। ● इसमें कमजोर किया हुआ, लेकिन जीवित पोलियोवायरस होता है, जिसे मौखिक रूप से यानी मुँह के माध्यम से दिया जाता है। ● OPV को आमतौर पर दो या तीन बूंदों के रूप में बच्चों को दिया जाता है। ● यह वैक्सीन आंतों में प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करके वायरस के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है। मौखिक पोलियो वैक्सीन (OPV) के लाभ:● संपर्क प्रतिरक्षा (Herd Immunity) प्रदान करता है: OPV से टीकाकरण किए गए बच्चे के शरीर में कमजोर वायरस आंत में फैल सकता है और मल के माध्यम से बाहर निकल सकता है। यह वायरस अन्य लोगों तक पहुंच सकता है, जिससे उन लोगों में भी प्रतिरक्षा विकसित हो सकती है, जिन्हें टीका नहीं मिला है। इस प्रकार OPV पूरे समुदाय में संपर्क प्रतिरक्षा प्रदान करता है। ● व्यवहार में सरल और सस्ता: OPV का वितरण और प्रशासन करना आसान है, क्योंकि इसे सुई की आवश्यकता नहीं होती और इसे स्वास्थ्यकर्मी या प्रशिक्षित स्वयंसेवक आसानी से दे सकते हैं। यह सस्ता भी है, जिससे बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान चलाना संभव होता है। ● अंतरराष्ट्रीय पोलियो उन्मूलन प्रयासों में प्रभावी: OPV ने वैश्विक स्तर पर पोलियो को नियंत्रित करने और उसे समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह वाइल्ड पोलियोवायरस के संचरण को रोकने में अत्यधिक प्रभावी है, जिससे कई देशों को पोलियो-मुक्त घोषित किया जा चुका है। |
पोलियो और पोलियोवायरस की जानकारी-
पोलियो (Polio):
- पोलियो (Poliomyelitis) एक संक्रामक बीमारी है, जो पोलियोवायरस द्वारा उत्पन्न होती है। यह वायरस मुख्यतः आंतरिक तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है और कई मामलों में लकवा (पैरालिसिस) का कारण बन सकता है।
लक्षण:
- हल्के लक्षण: बुखार, थकावट, सिरदर्द, और गले में दर्द।
- गंभीर लक्षण: गंभीर मामलों में, यह वायरस केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (CNS) को प्रभावित कर सकता है, जिससे मांसपेशियों की कमजोरी, पैरालिसिस (अक्सर पैरों में), और श्वसन समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
संक्रमण:
- पोलियो वायरस आमतौर पर मुँह के माध्यम से फैलता है, जब संक्रमित व्यक्ति के मल या पानी में वायरस होता है। यह खराब स्वच्छता और अस्वच्छ जल के माध्यम से भी फैल सकता है।
पोलियोवायरस
- पोलियोवायरस एक संक्रामक RNA वायरस है जो क्यूबॉइडल या आयसीसोहेड्रल आकृति का होता है। इसका आकार 22-30 नैनोमीटर (nm) के व्यास का होता है।
- यह वायरस एक कैप्सिड से ढंका होता है, जो प्रोटीन के 60 सबयूनिट्स से बना होता है, और इसके अंदर RNA जीनोम होता है।
- पोलियोवायरस का पहला निदान और अध्ययन 1900 के दशक की शुरुआत में हुआ था।
- पोलियोवायरस का जीनोम सिंगल-चेन RNA (एकल-धागा RNA) के रूप में होता है, जो लगभग 7,500 न्यूक्लियोटाइड्स की लंबाई का होता है।
- पोलियोवायरस को रोकने के लिए मुख्य उपायों में उच्च टीकाकरण कवरेज, निगरानी और त्वरित प्रतिक्रिया शामिल हैं। मौखिक पोलियो वैक्सीन (OPV) और इनएक्टिवेटेड पोलियो वैक्सीन (IPV) दोनों प्रभावी हैं। OPV सामुदायिक प्रतिरक्षा बढ़ाता है, जबकि IPV पोलियो से प्रतिरक्षा प्रदान करता है।
पोलियोवायरस वायरस तीन प्रकारों में विभाजित होता है:
- टाइप 1 पोलियोवायरस: यह सबसे सामान्य प्रकार है और गंभीर पोलियो के मामलों का मुख्य कारण होता है।
- टाइप 2 पोलियोवायरस: यह काफी हद तक समाप्त हो चुका है और अब बहुत ही कम मामलों में पाया जाता है।
- टाइप 3 पोलियोवायरस: यह भी कम मामलों में पाया जाता है और इसके प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए टीकाकरण अभियान चलाए जा रहे हैं।
- टाइप 2 और 3 को क्रमश: 2015 और 2019 में ही खत्म कर दिया गया था। टाइप 1 का प्रभाव अभी भी विश्व में दिखाई देता है।
- इस समय यह पोलियोवायरस मुख्यत: पाकिस्तान और अफगानिस्तान में ज्यादा फैल रहा है ।
वैक्सीन-व्युत्पन्न पोलियोवायरस (VDPV) के प्रसार को रोकने के उपाय
- समुदाय में पूर्ण टीकाकरण: पोलियो के खिलाफ उच्च टीकाकरण कवरेज सुनिश्चित करना सबसे प्रभावी उपाय है। जब सभी बच्चों को पोलियो वैक्सीन दी जाती है, तो वायरस के फैलने और VDPV में बदलने का अवसर बहुत कम हो जाता है। उन क्षेत्रों में विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए जहाँ टीकाकरण कवरेज कम है और पोलियो के खिलाफ प्रतिरक्षा कमजोर है।
- जल्द से जल्द प्रतिक्रिया: यदि किसी क्षेत्र में VDPV का मामला सामने आता है, तो तुरंत प्रतिक्रिया देकर उस क्षेत्र में व्यापक टीकाकरण अभियान चलाना चाहिए ताकि वायरस को फैलने से रोका जा सके।
- स्वच्छता मानकों का पालन: अच्छे स्वच्छता उपायों को प्रोत्साहित करना, जैसे कि सुरक्षित पानी और उचित मलजल निपटान, VDPV के फैलाव को रोकने में मदद कर सकता है।
- सार्वजनिक जानकारी अभियानों का संचालन: समुदायों में पोलियो और VDPV के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान चलाए जाने चाहिए, जिससे लोग टीकाकरण और स्वच्छता के महत्व को समझ सकें।
वैक्सीन-व्युत्पन्न पोलियोवायरस (VDPV) का वैश्विक आंकड़ा
- 2020 में विश्व भर में VDPV के 1081 मामलों की रिपोर्ट दर्ज की गई। इसके अगले साल 2021 में 682 मामलों की रिपोर्ट हुई।
- 2000-2016 तक, cVDPV के 24 प्रकोपों में 760 मामले सामने आए।
- 2016 में ट्राइवेलेंट OPV से बाइवेलेंट OPV पर स्विच किया गया ताकि इसके प्रभाव को कम किया जा सके।
- 2017-2018 में, 5 देशों में 14 व्यक्तियों ने iVDPV का उत्सर्जन किया।
- 2017-2018 में सात देशों में aVDPV की सूचना मिली।
- 2017 में, सीरिया में cVDPV2 के कारण एक प्रकोप हुआ जो छह महीने से अधिक समय तक चला।
- COVID-19 महामारी के दौरान, टीकाकरण अभियानों में रुकावटों के कारण VDPV मामलों में वृद्धि देखी गई।
- 2019 से 2020 तक, प्रकोपों की संख्या में तीन गुना की बढ़ोतरी हुई। जिससे 1100 से अधिक बच्चे लकवाग्रस्त हो गए।
- जुलाई 2022 में, न्यूयॉर्क के रॉकलैंड काउंटी में VDPV टाइप 2 का मामला सामने आया, जिससे वैश्विक जोखिम की गंभीरता स्पष्ट हुई।
WHO द्वारा उठाए गए कदम:
- नवंबर 2020 में WHO ने आनुवंशिक रूप से संशोधित टाइप 2 नोवेल ओरल पोलियो वैक्सीन को आपातकालीन उपयोग सूची (EUL) के तहत अधिकृत किया।
- इस वैक्सीन का पहला क्षेत्रीय उपयोग मार्च 2021 में शुरू किया गया।
- दिसंबर 2023 में WHO ने इस वैक्सीन को प्री-क्वालिफिकेशन प्रदान किया।
- इस वैक्सीन के ‘सबिन वैक्सीन’ की तुलना में न्यूरोविरुलेंस में वापस आने की संभावना कम है, जिससे टाइप-2 VDPV (वायरस-व्युत्पन्न पोलियोवायरस) का जोखिम भी घट जाता है।
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पिछले कुछ वर्षों में ‘आरएनए इंटरफेरेंस (आरएनएआई)’ तकनीक ने लोकप्रियता हासिल की है। क्यों?
1.इसका उपयोग जीन साइलेंसिंग थेरेपी विकसित करने में किया जाता है।
2.इसका उपयोग कैंसर के उपचार के लिए थेरेपी विकसित करने में किया जा सकता है।
3.इसका उपयोग हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी विकसित करने के लिए किया जा सकता है।
4.इसका उपयोग वायरल रोगजनकों के लिए प्रतिरोधी फसल पौधों का उत्पादन करने के लिए किया जा सकता है।
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