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हाल ही में तमिलनाडु सरकार ने केरल के अलपुझा के अरूकुट्टी में समाज सुधारक पेरियार ईवी रामासामी के स्मारक के निर्माण के लिए अनुमति दी है। यह स्मारक वायकोम सत्याग्रह (Vaikom Satyagraha) से जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाओं को स्मरण करेगा।
वायकोम सत्याग्रह (Vaikom Satyagraha) का परिचय:
- अवधि: 1924-1925
- स्थान: त्रावणकोर रियासत का भाग, वैकोम, केरल
- प्रमुख उद्देश्य: यह एक सामाजिक सुधार आंदोलन था, जिसका मुख्य लक्ष्य भारत में मंदिर प्रवेश के अधिकार की मांग करना था।
पृष्ठभूमि:
- मंदिर का प्रतिबंध: वैकोम महादेव मंदिर का केंद्र दलितों के लिए बंद था। उन्हें न केवल मंदिर में प्रवेश से रोका गया, बल्कि मंदिर को घेरने वाली सड़क का उपयोग करने की अनुमति भी नहीं दी गई।
- याचिका: 1923 में काकीनाडा में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में टी. के. माधवन, सरदार पणिक्कर, और के.पी. केशव मेनन ने त्रावणकोर विधान परिषद में एक याचिका प्रस्तुत की। इस याचिका में जाति, पंथ, और समुदाय के भेदभाव के बिना सभी वर्गों को मंदिर में प्रवेश और देवताओं की पूजा का अधिकार देने की मांग की गई।
- अधिकारी का इनकार: के. केलप्पन जैसे नेताओं द्वारा किए गए प्रयासों के बावजूद, मंदिर अधिकारियों ने सभी को सड़क का उपयोग करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया।
सत्याग्रह का आरंभ:
- नेतृत्व: सत्याग्रह का नेतृत्व के. केलप्पन, टीके माधवन, और केपी केशव मेनन जैसे प्रमुख नेताओं ने किया।
- युवाओं की भागीदारी: केरल के विभिन्न हिस्सों से युवा स्वयंसेवक अस्पृश्यता के खिलाफ लड़ने के लिए सत्याग्रह में शामिल हुए।
- महात्मा गांधी का समर्थन: महात्मा गांधी ने बिना शर्त इस आंदोलन का समर्थन किया और 1925 में वैकोम का दौरा किया।
आंदोलन की प्रगति:
- पेरियार का योगदान: जब कई नेताओं को जेल में डाल दिया गया, तो पेरियार ईवी रामासामी ने 13 अप्रैल 1924 को वैकोम पहुंचकर आंदोलन को महत्वपूर्ण नेतृत्व प्रदान किया।
- समर्थन: श्री नारायण गुरु ने भी वायकोम सत्याग्रह को अपना समर्थन और सहयोग दिया।
आंदोलन का परिणाम:
- सत्याग्रह की अवधि: सत्याग्रह मार्च 1924 में शुरू होकर कुल 604 दिन बाद 23 नवंबर 1925 को समाप्त हुआ।
- विजय: अधिकारियों द्वारा सत्याग्रह को दबाने के प्रयासों के बावजूद, अंततः मंदिर के मार्ग को सभी के लिए खोलने में सफलता मिली।
- अगले कदम: अगले तीन वर्षों में त्रावणकोर सरकार ने आदेश दिया कि राज्य भर में सभी मंदिर मार्ग सभी के लिए खोल दिए जाएं।
निष्कर्ष: वायकोम सत्याग्रह ने भारत में सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया, जिसने मंदिरों के दरवाजे सभी जातियों के लिए खोल दिए और समाज में समानता की दिशा में एक नई सोच को जन्म दिया। यह आंदोलन पेरियार जैसे समाज सुधारकों के प्रयासों का परिणाम था, जिन्होंने सामाजिक परिवर्तन के लिए संघर्ष किया।
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