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वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (VL-SRSAM) का सफल परीक्षण

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12 सितंबर 2024 को, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और भारतीय नौसेना ने ओडिशा तट से दूर चांदीपुर में स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (VL-SRSAM) का सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया। यह परीक्षण लगभग 1500 बजे भूमि-आधारित ऊर्ध्वाधर लांचर से किया गया, जिसमें कम ऊंचाई पर उड़ रहे एक उच्च गति वाले हवाई लक्ष्य को लक्ष्य बनाया गया। मिसाइल प्रणाली ने सफलतापूर्वक लक्ष्य का पता लगाया और उसे नष्ट किया।

VL-SRSAM परीक्षण का उद्देश्य:

  • प्रॉक्सिमिटी फ्यूज और सीकर की मान्यता: परीक्षण का मुख्य उद्देश्य इन हथियार प्रणाली के अद्यतन तत्वों की मान्यता करना था।
  • सिस्टम प्रदर्शन की पुष्टि: रडार इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम और टेलीमेट्री उपकरणों द्वारा प्रणाली के प्रदर्शन की निगरानी और पुष्टि की गई।
  • इस परीक्षण से भारतीय नौसेना की परिचालन क्षमता और सटीकता में सुधार होगा।
  • तकनीकी उन्नति: प्रॉक्सिमिटी फ्यूज और सीकर में सुधार, विमानन रक्षा प्रणाली की नई क्षमताओं को दर्शाता है।
  • वस्तुनिष्ठ निगरानी: परीक्षण के दौरान प्रणाली की निगरानी के लिए उन्नत रडार और टेलीमेट्री तकनीकों का उपयोग किया गया, जो भविष्य के परीक्षणों के लिए एक मानक स्थापित करता है।

लक्ष्य के आधार पर मिसाइल के प्रकार:

  • सतह से सतह मिसाइल: ये मिसाइलें जमीन पर स्थित लक्ष्यों को निशाना बनाती हैं।
  • सतह से हवा मिसाइल: ये मिसाइलें हवा में उड़ रहे लक्ष्यों जैसे विमानों या मिसाइलों को निशाना बनाती हैं।
  • हवा से सतह मिसाइल: ये मिसाइलें हवाई जहाज से दागी जाती हैं और जमीन पर स्थित लक्ष्यों को निशाना बनाती हैं।
  • हवा से हवा मिसाइल: ये मिसाइलें हवाई जहाज से दागी जाती हैं और अन्य हवाई जहाजों को निशाना बनाती हैं।
  • एंटी-सैटेलाइट मिसाइल: ये मिसाइलें उपग्रहों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं।

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DRDO के बारे में –

  • स्थापना: DRDO की स्थापना 1958 में की गई थी।
  • मुख्यालय: इसका मुख्यालय दिल्ली, भारत में स्थित है।
  • वर्तमान अध्यक्ष: डॉ. समीर वी. कामत, जिन्होंने 26 अगस्त, 2022 को पदभार संभाला।

कार्यप्रणाली और संरचना:

  • प्रयोगशालाएँ: DRDO के पास कुल 52 प्रयोगशालाएँ हैं। ये प्रयोगशालाएँ विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास करती हैं, जिनमें शामिल हैं:
    • वैमानिकी
    • आयुध
    • इलेक्ट्रॉनिक्स
    • भूमि युद्ध इंजीनियरिंग
    • जीवन विज्ञान
    • सामग्री
    • मिसाइल
    • नौसेना प्रणालियाँ
  • कर्मचारी: DRDO में 5,000 से अधिक वैज्ञानिक और 25,000 से अधिक तकनीकी कर्मचारी कार्यरत हैं।

उद्देश्य और लक्ष्य: DRDO का मुख्य उद्देश्य भारत को आधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों से लैस करना और रक्षा प्रणालियों में आत्मनिर्भरता हासिल करना है।

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