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हाल ही में यूएन-हैबिटेट की “विश्व शहर रिपोर्ट 2024: शहर और जलवायु कार्रवाई” रिपोर्ट में शहरी क्षेत्रों के जलवायु संकट से प्रभावित होने और उनके द्वारा उत्पन्न ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के बारे में महत्वपूर्ण निष्कर्ष प्रस्तुत किए गए हैं।
विश्व शहर रिपोर्ट 2024 के मुख्य निष्कर्ष:
- जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशीलता: अनुमान है कि 2040 तक शहरी क्षेत्रों में रहने वाले 2 बिलियन से अधिक लोग 5°C तक की अतिरिक्त तापमान वृद्धि के प्रति संवेदनशील हो सकते हैं।
- वित्त पोषण की कमी: जलवायु-अनुकूल प्रणालियों के निर्माण के लिए शहरी क्षेत्रों को प्रति वर्ष 5-5.4 ट्रिलियन डॉलर की आवश्यकता है, लेकिन वर्तमान में केवल 831 बिलियन डॉलर का वित्तपोषण उपलब्ध है।
- सिकुड़ता हरित क्षेत्र: 1990 में शहरी क्षेत्रों में हरित क्षेत्र का हिस्सा 20% था, जो 2020 में घटकर 14% रह गया है।
- कमजोर समुदायों पर नकारात्मक प्रभाव: कुछ जलवायु हस्तक्षेप, जैसे “हरित सभ्यता” (ग्रीन जेंट्रीफिकेशन), अनजाने में कमजोर समुदायों के लिए समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं, जैसे विस्थापन और संपत्ति मूल्यों में वृद्धि।
अनुशंसाएँ:
- राजस्व जुटाने के साधन: ऋण, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) और अन्य साधनों के माध्यम से जलवायु वित्त जुटाना।
- शहरी नियोजन में जलवायु कार्रवाई का एकीकरण: स्थानीय स्तर पर संचालित प्रयासों को समर्थन देकर और शहरी योजनाओं में जलवायु कार्रवाई को सम्मिलित कर शहरी लचीलापन बढ़ाना।
- सामाजिक संरक्षण और प्रकृति-आधारित समाधान: कमजोर समुदायों के लिए सामाजिक सुरक्षा उपायों को सुदृढ़ करना और जलवायु संकट से निपटने के लिए प्रकृति आधारित समाधान अपनाना।
यूएन-हैबिटेट के बारे में
- स्थापना: 1978 में, हैबिटेट I सम्मेलन में यूएन-हैबिटेट की नींव रखी गई।
- मुख्यालय: नैरोबी, केन्या।
- उद्देश्य: सामाजिक और पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ कस्बों और शहरों को बढ़ावा देना।
- साझेदार: विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, नागरिक समाज संगठनों और निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी करना।
- महत्वपूर्ण दस्तावेज: “वैंकूवर घोषणा” (हैबिटेट I) और “इस्तांबुल घोषणा” (हैबिटेट II)।
ग्रीनहाउस गैस के बारे में:
ग्रीनहाउस गैसें (Greenhouse Gases, GHGs) वे गैसें हैं जो पृथ्वी के वायुमंडल में प्राकृतिक रूप से मौजूद होती हैं, लेकिन कई मानव-जनित गतिविधियों के कारण उनकी मात्रा में वृद्धि हो गई है। ये गैसें सूर्य के प्रकाश को वायुमंडल में प्रवेश करने देती हैं और उससे उत्पन्न गर्मी को अवशोषित कर उसे पुनः उत्सर्जित करती हैं। ग्रीनहाउस गैसें वायुमंडल में एक प्रकार के “थर्मल कंबल” के रूप में काम करती हैं, जो पृथ्वी की सतह से बाहर जाने वाली गर्मी को कुछ हद तक रोककर तापमान को स्थिर बनाए रखती हैं। इसे ग्रीनहाउस प्रभाव कहते हैं, जो पृथ्वी को जीवन के लिए अनुकूल तापमान प्रदान करता है।
प्रमुख ग्रीनहाउस गैसें
- कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂): यह मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन (कोयला, तेल, प्राकृतिक गैस) के जलने, वनों की कटाई और कुछ औद्योगिक प्रक्रियाओं से उत्पन्न होती है। यह सबसे अधिक मात्रा में पाई जाने वाली मानव-जनित ग्रीनहाउस गैस है।
- मीथेन (CH₄): यह गैस कृषि (विशेषकर पशुपालन), अपशिष्ट प्रबंधन और तेल व गैस के उत्पादन से उत्सर्जित होती है। इसकी ग्रीनहाउस प्रभाव बढ़ाने की क्षमता CO₂ से कई गुना अधिक होती है।
- नाइट्रस ऑक्साइड (N₂O): मुख्य रूप से कृषि, उर्वरकों के प्रयोग और औद्योगिक गतिविधियों से निकलती है। यह भी अत्यधिक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है, जो जलवायु परिवर्तन में बड़ा योगदान देती है।
- जल वाष्प: यह सबसे अधिक मात्रा में मौजूद प्राकृतिक ग्रीनहाउस गैस है। हालांकि यह मानवीय गतिविधियों से सीधे उत्पन्न नहीं होती, लेकिन अन्य ग्रीनहाउस गैसों की वृद्धि से वायुमंडल में इसकी मात्रा बढ़ जाती है, जिससे तापमान में वृद्धि होती है।
मानव गतिविधियों, जैसे जीवाश्म ईंधनों का जलाना, वनों की कटाई और औद्योगिक प्रक्रियाओं ने इन गैसों की सांद्रता को बढ़ा दिया है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन की समस्या उत्पन्न हुई है।
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