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हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अपनी वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2024 जारी की। रिपोर्ट में इस बात को स्वीकार किया गया है कि भारत ने 2015 से टीबी के छूटे हुए मामलों के अंतर को कम करने में जबरदस्त प्रगति की है।
क्षय रोग (टीबी) क्या है?
- क्षय रोग या टीबी (ट्यूबरकुलोसिस) एक संक्रामक बीमारी है जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होती है।
- यह मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन शरीर के अन्य अंगों में भी फैल सकता है।
- टीबी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तब फैलता है जब टीबी से संक्रमित व्यक्ति खांसता, छींकता या थूकता है, जिससे बैक्टीरिया युक्त सूक्ष्म बूंदें हवा में फैल जाती हैं। अन्य व्यक्ति इन दूषित बूंदों के संपर्क में आने पर संक्रमित हो सकते हैं।
- टीबी का उपचार संभव है, और इसके लिए एंटीबायोटिक्स का उपयोग किया जाता है, लेकिन इसके प्रभावी उपचार के लिए लंबी अवधि की चिकित्सा आवश्यक होती है। इसके रोकथाम के लिए टीबी के मामलों की शीघ्र पहचान और उनका उचित उपचार आवश्यक है।
टीबी के बारे में महत्वपूर्ण बिंदु:
- प्रसार: टीबी संक्रमित व्यक्ति की खांसी या छींक से फैलता है।
- लक्षण: लंबे समय तक खांसी, बुखार, वजन में कमी, और रात को पसीना आना।
- रोकथाम और उपचार: टीबी की रोकथाम के लिए नियमित जांच और बीसीजी टीका मददगार हो सकता है। इसका उपचार एंटीबायोटिक्स से किया जाता है।
- प्रभाव: अनुमान है कि दुनिया की एक चौथाई आबादी टीबी बैक्टीरिया से संक्रमित है, लेकिन उनमें से सभी लोग सक्रिय टीबी से प्रभावित नहीं होते।
वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2024 के मुख्य बिंदु:
- नए टीबी मामलों में वृद्धि: 2023 में 8.2 मिलियन नए टीबी मामलों का निदान हुआ, जो कि 1995 के बाद से सबसे अधिक है। 2022 में यह संख्या 7.5 मिलियन थी।
- मृत्यु दर में गिरावट: 2023 में टीबी से होने वाली मौतों की संख्या 1.25 मिलियन आंकी गई, जो कि 2022 की तुलना में कम है और कोविड-19 महामारी के चरम से भी कम है।
- टीबी बोझ का वितरण: 87% टीबी बोझ 30 निम्न और मध्यम आय वाले देशों में केंद्रित है, जिसमें प्रमुख पांच देश – भारत, इंडोनेशिया, चीन, फिलीपींस, और पाकिस्तान – 56% योगदान देते हैं।
- भारत में प्रगति:
- भारत में 2015 के बाद से टीबी के छूटे हुए मामलों को पहचानने में सुधार हुआ है। 2023 में, भारत का उपचार कवरेज 89% तक पहुँच गया, जो 2015 में 72% था।
- 2023 में प्रति लाख जनसंख्या पर टीबी मामलों की संख्या घटकर 195 रह गई, जो 2015 में 237 थी, इस प्रकार 17.7% की कमी आई है।
- जोखिम कारक: टीबी के नए मामलों में वृद्धि के प्रमुख कारण हैं कुपोषण, एचआईवी संक्रमण, शराब सेवन विकार, धूम्रपान और मधुमेह।
निष्कर्ष: विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस रिपोर्ट में भारत द्वारा टीबी की रोकथाम और उपचार में की गई प्रगति को सराहा गया है। हालाँकि, यह भी स्पष्ट किया गया है कि टीबी का वैश्विक बोझ अभी भी काफी अधिक है और इसे कम करने के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं, आर्थिक संसाधनों, और सामाजिक सहयोग की आवश्यकता है।
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