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भारत-चीन भू-आर्थिक रणनीति (India-China Geo-Economic Strategy) | Ankit Avasthi Sir

India-China Geo-Economic Strategy

India-China Geo-Economic Strategy

India-China Geo-Economic Strategy – 

संदर्भ:

हाल ही में चीन द्वारा फॉक्सकॉन के भारत संयंत्र से इंजीनियरों की रणनीतिक वापसी और तकनीकी उपकरणों पर निर्यात प्रतिबंध ने भारत की विनिर्माण प्रणाली की कमजोरियों को उजागर कर दिया है। यह केवल एक व्यापारिक मुद्दा नहीं, बल्कि एक भूराजनीतिक और भूआर्थिक चुनौती बनकर उभरा है।

चीन द्वारा फॉक्सकॉन इंजीनियरों की वापसी और भारत के निर्माण क्षेत्र पर प्रभाव

  • फॉक्सकॉन की भारत स्थित इकाइयों (तमिलनाडु, कर्नाटक) से 300 से अधिक चीनी इंजीनियरों को अचानक वापस बुला लिया गया, जिससे iPhone 17 के निर्माण कार्य में रुकावट आई।
  • यह कदम सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि भारत को निर्माण हब बनने से रोकने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।

चीन की रणनीतिक चालें:

  • महत्वपूर्ण खनिजों और उपकरणों पर प्रतिबंध:
    • गैलियम, ग्रेफाइट, जर्मेनियम जैसे क्रिटिकल मिनरल्स और
    • ईवी, इलेक्ट्रॉनिक्स और सोलर टेक्नोलॉजी के लिए आवश्यक हाईएंड मशीनरी के निर्यात को भी सीमित कर रहा है।

चीन की मंशा और आंतरिक आर्थिक दबाव:

  1. मूल कारण प्रतिद्वंद्विता नहीं, बल्कि आंतरिक आर्थिक संकट:
    • घटती जनसंख्या
    • रियल एस्टेट संकट
    • कमजोर घरेलू खपत
  2. चीन की वैश्विक निर्यात पर निर्भरता: लगभग$1 ट्रिलियन का एक्सपोर्ट सरप्लस, जिससे चीन अपने वेलफेयर, सुरक्षा और सैन्य खर्च को पूरा करता है।
  3. भारत को चुनौती के रूप में देखना: बीजिंग को लगता है कि अगर भारत निर्माण क्षेत्र में मजबूत हुआ, तो वहचीन की वैश्विक निर्यात प्रधान स्थिति के लिए अस्तित्वगत खतरा बन जाएगा।

भारत की मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी कमजोरियाँ

  1. कमजोर बुनियादी ढांचा: परिवहन, बिजली आपूर्ति बंदरगाह कनेक्टिविटी कमजोर होने से लागत वियतनाम जैसे प्रतिस्पर्धियों की तुलना में 20-30% अधिक है।
  2. नीतिगत और प्रशासनिक अड़चनें
    • जटिल नियम, बार-बार नीतियों में बदलाव और धीमी नौकरशाही के कारण व्यवसाय करना कठिन है।
    • ग्लोबल रैंकिंग में भारत अभी भी पीछे है।
  1. उच्च लॉजिस्टिक्स लागत: आर्थिक सर्वे 2022-23 के अनुसार भारत की लॉजिस्टिक्स लागत GDP की 14-18% है, जबकि वैश्विक मानक 8% है।
  2. आयात पर निर्भरता: सेमीकंडक्टर, चिप, इंजन जैसे कई आवश्यक उत्पादों के लिए भारत आयात पर निर्भर है, जिससे बाहरी झटकों का खतरा बना रहता है।
  3. कौशल और श्रमिकों की कमी: उद्योग की जरूरतों और श्रमिकों के कौशल में बड़ा अंतर है, जिससे उत्पादकता और विस्तार सीमित होता है।
  4. घटिया नवाचार और घरेलू आपूर्ति श्रृंखला: उन्नत इलेक्ट्रॉनिक्स व मशीनरी के लिए मजबूत घरेलू सप्लाई चेन की कमी है, जिससे आत्मनिर्भरता की गति धीमी पड़ती है।

भारत को क्या करना चाहिए:

  1. रणनीतिक स्वतंत्रता बनाना
    • किसी एक देश (जैसे अमेरिका या चीन) पर अत्यधिक निर्भरता से बचें।
  2. मैन्युफैक्चरिंग को मजबूत करें
    • आधारभूत ढांचा, नवाचार और व्यापार सुगमता पर जोर दें।
  3. तकनीकी स्रोतों में विविधता लाएँ
    • लोकतांत्रिक देशों के साथ मिलकर महत्वपूर्ण तकनीक और सप्लाई चेन विकसित करें।
  4. मानव संसाधन में निवेश करें
    • विदेशी तकनीकी विशेषज्ञों की कमी को पूरा करने के लिए स्किल डेवलपमेंट करें।
  5. नीतियों में स्थिरता बनाए रखें
  • नियमों में बार-बार बदलाव न करें ताकि निवेशकों को भरोसा मिले।

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