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रासायनिक रूप से दूषित स्थलों पर नए नियम (New rules on chemically contaminated sites) | UPSC Preparation

New rules on chemically contaminated sites

New rules on chemically contaminated sites

New rules on chemically contaminated sites – 

संदर्भ:

पर्यावरण मंत्रालय ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत नए नियम जारी किए हैं, जो रासायनिक प्रदूषण वाले स्थलों को संबोधित करने की प्रक्रिया निर्धारित करते हैं। इन नियमों को पर्यावरण संरक्षण (प्रदूषित स्थलों के प्रबंधन) नियम, 2025″ कहा गया है। ये नियम देशभर में पहले से पहचाने गए कई रासायनिक प्रदूषित स्थलों को ठीक करने की कानूनी रूपरेखा प्रदान करते हैं, जो अब तक अनुपस्थित थी।

दूषित स्थल (Contaminated Sites) – CPCB परिभाषा

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार –

  • वे स्थल जहाँ अतीत मेंखतरनाक एवं अन्य अपशिष्ट (Hazardous & Other Wastes) डाले गए थे।
  • इसके कारणमिट्टी, भूजल और सतही जल में प्रदूषण हुआ।
  • यहमानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए जोखिम पैदा करते हैं।

मुख्य कारण:

  1. जबखतरनाक अपशिष्ट प्रबंधन पर कोई नियम लागू नहीं थे, तब इन स्थलों का विकास हुआ।
  2. प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगबंद हो गए।
  3. सफाई (Remediation) की लागत प्रदूषक की क्षमता से अधिक।

दूषित स्थलों के प्रकार: लैंडफिल (Landfill), कूड़ा-करकट डंप (Dump), अपशिष्ट भंडारण व उपचार स्थल, स्पिल-साइट (Spill-site), रासायनिक अपशिष्ट संभाल व भंडारण स्थल

भारत में स्थिति:

  • 103 स्थल पहचाने गए।
  • केवल 7 स्थलों पर सफाई कार्य शुरू हुआ।
  • सफाई प्रक्रिया: उचित तकनीक से मिट्टी, भूजल, सतही जल और तलछट (Sediment) की सफाई।

दूषित स्थलों के लिए नियमों की आवश्यकतापृष्ठभूमि:

  • 2010– पर्यावरण मंत्रालय ने Capacity Building Program for Industrial Pollution Management Project शुरू किया, जिसका उद्देश्य था राष्ट्रीय दूषित स्थल सुधार कार्यक्रम (National Program for Remediation of Polluted Sites) बनाना।
  • इसमें 3 मुख्य कार्य शामिल थे –
    1. संभावित दूषित स्थलों की सूची तैयार करना।
    2. दूषित स्थलों के आकलन व सुधार (Assessment & Remediation) के लिए दिशानिर्देश बनाना।
    3. सुधार हेतुकानूनी, संस्थागत और वित्तीय ढाँचा तैयार करना।
  • पहले दो कार्य पूरे हुए, लेकिनकानूनी ढाँचे की कमी थी, जिसे 25 जुलाई 2025 को जारी नियमों के माध्यम से पूरा किया गया।

नए नियमों की प्रक्रिया:

  1. जिला प्रशासन: हरछह माह में “संभावित दूषित स्थल” की रिपोर्ट तैयार करेगा।
  2. राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड / रेफरेंस ऑर्गनाइजेशन
    • सूचना मिलने के90 दिनों में प्रारंभिक आकलन
    • अगले3 माह में विस्तृत सर्वे और पुष्टि कि स्थल वास्तव में दूषित है या नहीं।
  3. आकलन मानक:
    • खतरनाक रसायनों के स्तर की जाँच (वर्तमान में 189 रसायनHazardous and Other Wastes Rules, 2016 में सूचीबद्ध)।
    • यदि सुरक्षित सीमा से अधिक → स्थल की जानकारी सार्वजनिक और पहुँच पर प्रतिबंध।
  4. सुधार योजना: विशेषज्ञों की टीमद्वारा तैयार।
  5. जिम्मेदार व्यक्ति की पहचान:
    • 90 दिनमें जिम्मेदार व्यक्ति/संस्था चिन्हित।
    • जिम्मेदार व्यक्ति को सफाई की लागत वहन करनी होगी, अन्यथा केंद्र/राज्य सरकार सफाई खर्च वहन करेगी।
  6. कानूनी दायित्व: यदि दूषण सेमृत्यु या क्षति सिद्ध होती है- दंड भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023) के तहत।

अपवर्जन: निम्न स्रोतों से होने वाला दूषण इन नियमों के अंतर्गत शामिल नहीं है, क्योंकि इनके लिए अलग कानून मौजूद हैं –

  1. रेडियोधर्मी अपशिष्ट(Radioactive Waste)
  2. खनन गतिविधियों से होने वाला प्रदूषण(Mining Operations)
  3. तेल प्रदूषण(Oil Pollution)
  4. डंप साइट से ठोस अपशिष्ट(Solid Waste from Dump Sites)

चुनौतियाँ (Challenges):

  • दूषित स्थल को सुरक्षित स्तर पर लाने के लिए कोई निश्चित समयसीमा निर्धारित नहीं है।

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