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CBI भ्रष्टाचार के 7000 से अधिक मामले अदालत में सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं (Over 7000 CBI graft case await trial in court report) | UPSC

Over 7000 CBI graft case await trial in court report

Over 7000 CBI graft case await trial in court report

संदर्भ:

केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) की नई वार्षिक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि देशभर की अदालतों में CBI द्वारा जांचे गए 7,072 भ्रष्टाचार के मामले लंबित हैं। इनमें से 2,660 मामले 10 साल से अधिक पुराने हैं, जबकि 379 मामले 20 साल से भी अधिक समय से अटके हुए हैं।

31 दिसंबर 2024 तक के आंकड़ों के मुताबिक

  • 379 मामले 20 साल से ज्यादा पुराने हैं।
  • 2,281 मामले 10 से 20 साल के बीच के हैं।
  • 2,115 मामले 5 से 10 साल के बीच लंबित हैं।
  • 791 मामले 3 से 5 साल के बीच के हैं।
  • 1,506 मामले 3 साल से कम समय से पेंडिंग हैं।

ये आंकड़े दर्शाते हैं कि अधिकांश मामले लंबे समय से फंसे हुए हैं, जो न्यायिक प्रक्रिया में देरी के कारण हैं। उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट में 13,100 अपीलें और संशोधन याचिकाएं लंबित हैं, जिनमें 606 अपीलें 20 साल से अधिक, और 1,227 अपीलें 15-20 साल से लंबित हैं।

2024 में निपटारे और दोषसिद्धि दर: रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में कुल 644 मामलों का निपटारा हुआ, जिनमें 392 में दोषसिद्धि, 154 में दोषमुक्ति, 21 में आरोपी बरी और 77 मामलों का अन्य कारणों से निपटारा किया गया। दोषसिद्धि दर 2024 में 69.14% रही, जो 2023 की 71.47% के मुकाबले कम है।

सीबीआई की नई जांच और लंबित मामलों की स्थिति:

सीवीसी रिपोर्ट 2024 के अनुसार, सीबीआई ने 2024 में 807 नए मामले दर्ज किए जिनमे से 674 नियमित मामले, 133 प्रारंभिक जांच और कुल में से 502 मामले भ्रष्टाचार से संबंधित थे।

  • 31 दिसंबर 2024 तक529 मामले अभी भी जांच के अधीन थे, जिनमें 56 मामले 5 साल से पुराने हैं, जो जांच प्रक्रिया में देरी को दर्शाते हैं।

सीबीआई के कर्मचारियों के खिलाफ भी मामले लंबित: इसके अलावा, सीबीआई के कर्मचारियों के खिलाफ 60 विभागीय कार्रवाई के मामले लंबित हैं जिनमे 39 ग्रुप ‘ए’ अधिकारियों के खिलाफ और 21 ग्रुप ‘बी’ और ‘सी’ कर्मचारियों के खिलाफ लंबित हैं, यह आंकड़ा सीबीआई की आंतरिक सत्यनिष्ठा और जवाबदेही पर भी सवाल उठाता है।

न्यायिक देरी और उसके प्रभाव:

भारत में भ्रष्टाचार मामलों में लंबित मामलों की समस्या काफी गंभीर है और यह नई नहीं है। न्यायिक प्रक्रिया में देरी के मुख्य कारण हैं:

  • पर्याप्त जज न होने से मामलों की सुनवाई समय पर नहीं हो पाती।
  • लगातार टली सुनवाई मामलों को लंबित रखती है।
  • सबूतों की बहुलता और दस्तावेज़ी जटिलताओं के कारण मामलों का निपटारा धीमा होता है।
  • उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट में लंबित अपीलें मुख्य मामलों की प्रगति को प्रभावित करती हैं।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के बारे में:

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) एक गैर-संवैधानिक और गैर-कानूनी संस्था है, जो अपनी जांच की शक्तियाँ दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (DSPE) अधिनियम, 1946 से प्राप्त करती है। यह भारत की प्रमुख एजेंसी है, जो इंटरपोल सदस्य देशों के लिए जांचों का समन्वय करती है। CBI कर्मचारी विभाग, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के अधीन कार्य करती है।

संरचना: CBI का नेतृत्व एक निदेशक करता है, जिन्हें विशेष निदेशक या अतिरिक्त निदेशक, संयुक्त निदेशक, डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल, पुलिस अधीक्षक (SP) और अन्य पुलिस अधिकारियों की टीम सहायता प्रदान करती है।

CBI निदेशक की नियुक्ति

  • लोकपाल अधिनियम से पहले:नियुक्ति DSPE अधिनियम के तहत होती थी।
  • लोकपाल अधिनियम के बाद:नियुक्ति लोकपाल अधिनियम के तहत सर्च कमेटी के सुझाव पर होती है, जिसमें शामिल हैं: प्रधानमंत्री (अध्यक्ष), भारत के मुख्य न्यायाधीश, विपक्ष के नेता
  • कार्यकाल:2 वर्ष (CVC अधिनियम, 2003 के तहत सुरक्षित)।

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