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रिलायंस इंडस्ट्रीज में छंटनी

Reliance Industries Layoffs

चर्चा में क्यों?

रिलायंस इंडस्ट्रीज, भारत का सबसे बड़ा कारोबारी समूह, जो लाखों लोगों को रोजगार देता है, वर्तमान में छंटनी की खबरों के कारण चर्चा में है। वित्त वर्ष 2023-24 में कंपनी ने लगभग 42,000 कर्मचारियों की छंटनी की (Reliance Industries Layoffs), जो कुल वर्कफोर्स का लगभग 11 प्रतिशत है। इस कदम ने न केवल आर्थिक जगत में हलचल मचाई है, बल्कि सामाजिक चिंता भी पैदा की है।

शार्क टैंक इंडिया फेम और प्रमुख उद्यमी अनुपम मित्तल ने इस खबर को सार्वजनिक किया और इसे ‘चुप्पी वाली खबर’ कहा, जिससे यह सवाल उठता है कि इतनी बड़ी छंटनी पर व्यापक चर्चा क्यों नहीं हो रही। मित्तल ने इस छंटनी को “खतरे की घंटी” के रूप में देखा है।

रिलायंस इंडस्ट्रीज की छंटनी ने कई सवाल खड़े किए हैं। इस प्रकार की छंटनी न केवल प्रभावित कर्मचारियों के जीवन पर गहरा असर डालती है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इतने बड़े पैमाने पर कर्मचारियों को निकालने का अर्थ है कि कंपनी अपने खर्चों को नियंत्रित करने के लिए कठोर कदम उठा रही है, जो कि उसके भविष्य के लिए संकेत हो सकता है।

रिलायंस इंडस्ट्रीज में हालिया छंटनी के मुख्य बिंदु (Reliance Industries Layoffs):

  • रिलायंस इंडस्ट्रीज ने वित्त वर्ष 2023-24 में एक साथ 42,000 कर्मचारियों की छंटनी करी जो कुल कार्यबल का लगभग 11 प्रतिशत है। यह आंकड़ा बहुत हैरान करने वाला है। किसी कंपनी द्वारा इतने बड़े पैमाने पर की गई छंटनी ने उद्योग जगत और समाज में हलचल मचा दी है, क्योंकि यह कंपनी लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करती है और इसका भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान है।
  • हालांकि यह खबर रिलायंस द्वारा सार्वजनिक नही की गई है लेकिन शार्क टैंक इंडिया के फेमस उद्यमी अनुपम मित्तल ने इस खबर को सोशल मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक किया और इस छंटनी पर सार्वजनिक रूप से चिंता व्यक्त की है। उन्होंने सवाल उठाया कि इतनी बड़ी छंटनी पर व्यापक चर्चा क्यों नहीं हो रही है। मित्तल ने इसे “खतरे की घंटी” के रूप में देखते हुए कहा कि यह घटना भारतीय उद्योग और अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर संकेत है।
  • यह हो सकता हैं कि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और प्रतिस्पर्धा के कारण, यह कंपनी अपने संचालन को अधिक कुशल बनाने के लिए कठोर कदम उठा रही हैं। इस कदम ने कंपनी कर्मचारियों की क्षमता को 3,47,362 कर दी है।

गत और वर्तमान वर्ष के कर्मचारियों का आंकड़ा:

वित्त वर्ष 2022-23 में रिलायंस के पास 3,89,414 कर्मचारी थे, जो कि अगले वित्त वर्ष 2023-24 में घटकर 3,47,362 रह गए। यह 42,052 कर्मचारियों की कमी को दर्शाता है, जो कंपनी के कुल कार्यबल का लगभग 11 प्रतिशत है। इस कमी का सबसे बड़ा असर रिलायंस के रिटेल और दूरसंचार व्यवसायों में देखा गया है।

रिलायंस रिटेल, जो कि कंपनी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, में कर्मचारियों की संख्या में भी उल्लेखनीय गिरावट आई है। वित्त वर्ष 2022-23 में रिटेल सेक्टर में 2,45,581 कर्मचारी थे, जबकि 2023-24 में यह संख्या घटकर 2,07,552 रह गई। यह 38,029 कर्मचारियों की कमी को दर्शाता है, जो रिटेल बिजनेस के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण गिरावट है।

दूसरी ओर, रिलायंस जियो, जो कि भारत में दूरसंचार क्षेत्र में एक अग्रणी कंपनी है, में भी कर्मचारियों की संख्या में कमी देखी गई। वित्त वर्ष 2022-23 में जियो के पास 95,326 कर्मचारी थे, जो कि 2023-24 में घटकर 90,067 रह गए। यह कमी 5,259 कर्मचारियों की है, जो जियो के ऑपरेशंस पर निश्चित रूप से प्रभाव डाल सकती है।

वित्त वर्ष 2023-24 में कंपनी ने केवल 1,71,116 नई भर्तियां कीं, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में एक तिहाई से अधिक की कमी को दर्शाती है। यह कमी कंपनी के खर्चों को नियंत्रित करने की रणनीति का हिस्सा हो सकती है, विशेषकर जब वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता बढ़ रही है।

रिलायंस इंडस्ट्रीज का इतिहास:

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) की स्थापना 1966 में धीरूभाई अंबानी द्वारा की गई थी। इसका प्रारंभ एक छोटे कपड़ा व्यवसाय के रूप में हुआ था, जिसे धीरूभाई ने “रिलायंस कॉमर्शियल कॉर्पोरेशन” के नाम से शुरू किया। कंपनी का मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्र में स्थित है।

1970 के दशक में रिलायंस ने कपड़ा उद्योग में अपनी जगह बनाई, और 1977 में कंपनी का पहला सार्वजनिक निर्गम (IPO) हुआ। यह IPO इतना सफल रहा कि रिलायंस ने जल्द ही भारतीय निवेशकों का विश्वास जीत लिया। 1980 के दशक में कंपनी ने पेट्रोकेमिकल्स के क्षेत्र में कदम रखा और जल्दी ही इस क्षेत्र में भी अपनी पहचान बना ली। इसके बाद रिलायंस ने रिफाइनिंग, तेल और गैस अन्वेषण जैसे क्षेत्रों में भी विस्तार किया।

1991 में भारत में आर्थिक उदारीकरण के बाद, रिलायंस इंडस्ट्रीज ने तेजी से विकास किया और कई नए क्षेत्रों में प्रवेश किया। 2002 में, धीरूभाई अंबानी के निधन के बाद, उनके बेटे मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी ने कंपनी का नेतृत्व संभाला। कुछ वर्षों बाद, पारिवारिक विवाद के कारण कंपनी का विभाजन हुआ और मुकेश अंबानी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज की प्रमुख संपत्तियों को संभाला। आज रिलायंस इंडस्ट्रीज न केवल भारत की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है, बल्कि यह विश्वस्तर पर भी महत्वपूर्ण स्थान रखती है।

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के प्रमुख क्षेत्र:

  1. पेट्रोकेमिकल्स (Petrochemicals): रिलायंस का पेट्रोकेमिकल्स व्यवसाय दुनिया के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। इसमें पॉलिएस्टर, पॉलिथीन, पॉलिप्रोपिलीन, और अन्य पेट्रोकेमिकल्स शामिल हैं, जो विभिन्न उद्योगों में उपयोग किए जाते हैं।
  2. रिफाइनिंग (Refining): रिलायंस के पास गुजरात के जामनगर में दुनिया का सबसे बड़ा रिफाइनरी परिसर है। यह रिफाइनरी अत्याधुनिक तकनीक से लैस है और कंपनी को वैश्विक तेल बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी बनाती है।
  3. तेल और गैस अन्वेषण (Oil and Gas Exploration): रिलायंस का तेल और गैस अन्वेषण और उत्पादन व्यवसाय प्रमुख क्षेत्रों में फैला हुआ है। कंपनी भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों में तेल और गैस के भंडारों की खोज और उत्पादन में शामिल है।
  4. दूरसंचार (Telecommunications): रिलायंस जियो ने 2016 में भारतीय दूरसंचार बाजार में प्रवेश किया और कम लागत वाली 4G सेवाओं के साथ देश में डिजिटल क्रांति ला दी। जियो अब भारत के सबसे बड़े दूरसंचार ऑपरेटरों में से एक है।
  5. खुदरा (Retail): रिलायंस रिटेल भारत का सबसे बड़ा रिटेलर है, जो किराने का सामान, फैशन, इलेक्ट्रॉनिक्स, और अन्य उपभोक्ता वस्त्रों में व्यापार करता है। कंपनी के पास देश भर में हजारों स्टोर हैं।
  6. मीडिया और मनोरंजन (Media and Entertainment): रिलायंस का वायकॉम 18 और नेटवर्क 18 के माध्यम से मीडिया और मनोरंजन में भी बड़ा निवेश है। इसके अंतर्गत टीवी चैनल्स, प्रोडक्शन हाउस, और डिजिटल प्लेटफार्म शामिल हैं।
  7. डिजिटल सेवाएं (Digital Services): जियो प्लेटफार्म्स के माध्यम से रिलायंस ने डिजिटल सेवाओं, जैसे कि क्लाउड कंप्यूटिंग, डेटा एनालिटिक्स, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में भी कदम रखा है।

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) में छंटनी के पीछे प्रमुख कारण:

  1. आर्थिक अनिश्चितता और लागत नियंत्रण: वैश्विक और घरेलू आर्थिक परिस्थितियों में अनिश्चितता के कारण कंपनियां अपने खर्चों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही हैं। बढ़ती मुद्रास्फीति, आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान, और बाजार की अस्थिरता ने कंपनियों को अपने परिचालन खर्चों में कटौती करने पर मजबूर किया है। रिलायंस जैसी बड़ी कंपनी के लिए, इतने बड़े पैमाने पर छंटनी एक ऐसा कदम हो सकता है जिससे लागत कम हो सके और लाभप्रदता बनाए रखी जा सके।
  2. प्रौद्योगिकी और स्वचालन का प्रभाव: नई तकनीकों और स्वचालन के बढ़ते उपयोग के कारण, कई कार्य जो पहले मानव कर्मचारियों द्वारा किए जाते थे, अब मशीनों और सॉफ्टवेयर द्वारा किए जा रहे हैं। इससे कंपनियों को मानव संसाधन की आवश्यकता कम हो गई है। रिलायंस जैसे समूह, जो तकनीकी रूप से उन्नत उद्योगों में कार्यरत है, ने भी इसी कारण अपने कर्मचारियों की संख्या में कमी की हो सकती है।
  3. बाजार में प्रतिस्पर्धा और रणनीतिक बदलाव: भारतीय बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और उपभोक्ताओं की बदलती प्राथमिकताओं ने कंपनियों को अपनी व्यावसायिक रणनीतियों में बदलाव करने पर मजबूर किया है। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अपने विभिन्न व्यवसायों, जैसे कि रिटेल और दूरसंचार, में संरचनात्मक परिवर्तन किए हैं। इन परिवर्तनों के कारण कंपनी ने अपने ऑपरेशंस को फिर से संगठित किया, जिससे छंटनी की आवश्यकता पड़ी।

रिलायंस इंडस्ट्रीज छंटनी (Reliance Industries Layoffs) का व्यापक प्रभाव:

  1. कर्मचारियों पर प्रभाव: सबसे पहले, छंटनी का सबसे बड़ा प्रभाव उन कर्मचारियों पर पड़ता है जो अपनी नौकरी से हाथ धो बैठते हैं। उनके लिए अचानक नौकरी का खत्म हो जाना एक बड़ी आर्थिक चुनौती बन जाती है। इससे उनकी आजीविका पर असर पड़ता है और परिवार की आर्थिक स्थिति पर भी दबाव बढ़ जाता है। साथ ही, नई नौकरी खोजने का तनाव और अनिश्चितता उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
  2. समाज पर प्रभाव: जब किसी बड़ी कंपनी में इतने बड़े पैमाने पर छंटनी होती है, तो इसका असर पूरे समाज पर भी पड़ता है। बेरोजगारी की दर बढ़ सकती है, जिससे आर्थिक असमानता और सामाजिक अस्थिरता का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, अगर छंटनी लंबे समय तक जारी रहती है, तो यह सामाजिक संरचना पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकती है, जिससे बेरोजगारी की समस्या और गहरी हो सकती है।
  3. अर्थव्यवस्था पर प्रभाव: इतने बड़े पैमाने पर छंटनी का अर्थव्यवस्था पर भी सीधा प्रभाव पड़ता है। जब बड़ी संख्या में लोग नौकरी खो देते हैं, तो उनकी क्रय शक्ति कम हो जाती है, जिससे उपभोक्ता मांग में गिरावट आ सकती है। इससे बाजार में मंदी का खतरा बढ़ सकता है। इसके अलावा, कंपनी की उत्पादन क्षमता और उत्पादकता भी प्रभावित हो सकती है, जिससे कुल आर्थिक विकास दर पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।

Reliance Industries के महत्वपूर्ण वित्तीय आंकड़े:

  • सालाना राजस्व (Annual Revenue): वित्त वर्ष 2022-23 में रिलायंस इंडस्ट्रीज का कुल राजस्व लगभग 9.88 लाख करोड़ रुपये था।
  • शुद्ध लाभ (Net Profit): वित्त वर्ष 2022-23 में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने शुद्ध लाभ के रूप में लगभग 80,000 करोड़ रुपये की कमाई की।
  • कर्मचारी लाभ व्यय (Employee Benefit Expenses): वित्त वर्ष 2023-24 में रिलायंस का कर्मचारी लाभ व्यय 25,699 करोड़ रुपये था, जो पिछले वर्ष की तुलना में 3 प्रतिशत अधिक था।
  • कंपनी का कुल कर्ज (Total Debt): रिलायंस इंडस्ट्रीज का कुल कर्ज समय-समय पर बदलता रहता है, लेकिन 2023 में इसका कुल कर्ज लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये था।
  • कैश फ्लो (Cash Flow): रिलायंस के पास मजबूत कैश फ्लो है, जो उसके विभिन्न व्यवसायों से आता है। वित्त वर्ष 2022-23 में कंपनी का ऑपरेटिंग कैश फ्लो 1.15 लाख करोड़ रुपये से अधिक था।
  • कंपनी के निवेश (Capital Expenditure): रिलायंस ने 2023 में अपने विभिन्न व्यापार क्षेत्रों में बड़ा पूंजी निवेश किया। कंपनी ने नई परियोजनाओं और विस्तार के लिए लगभग 80,000 करोड़ रुपये का निवेश किया।

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