हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अमेरिका की आधिकारिक यात्रा के दौरान भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने आपूर्ति व्यवस्था की सुरक्षा (SOSA) और संपर्क अधिकारियों की तैनाती के संबंध में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। यह वर्ष 2016 के बाद से भारत एवं अमेरिका के मध्य रक्षा सहयोग में एक महत्त्वपूर्ण कदम हैं।
आपूर्ति व्यवस्था की सुरक्षा (SOSA) क्या है?
सुरक्षा आपूर्ति व्यवस्था (SOSA) एक समझौता है जिसे अमेरिका ने 18 अन्य देशों के साथ किया है, जिनमें भारत भी शामिल है। इसके तहत, अमेरिका और भारत एक-दूसरे को रक्षा के लिए जरूरी सामान और सेवाओं में प्राथमिकता देंगे।
- आपूर्ति व्यवस्था की सुरक्षा (Security of Supply Arrangement- SOSA) एक गैर-बाध्यकारी समझौता है जो भारत और अमेरिका के बीच रक्षा संबंधों को मजबूत करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- यह समझौता दोनों देशों के बीच रक्षा उपकरणों, सेवाओं और सूचनाओं के आदान-प्रदान को सुगम बनाने पर केंद्रित है, विशेष रूप से आपातकालीन या संकट की स्थिति में।
- ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, डेनमार्क, एस्टोनिया, फिनलैंड, इजरायल, इटली, जापान, लातविया, लिथुआनिया, नीदरलैंड, नॉर्वे, कोरिया गणराज्य, सिंगापुर, UK, स्पेन, स्वीडन के बाद भारत, अमेरिका का 18वाँ SOSA भागीदार है।
SOSA के मुख्य उद्देश्य:
- पारस्परिक प्राथमिकता समर्थन: SOSA दोनों देशों को एक-दूसरे को रक्षा आपूर्ति और सेवाओं के लिए प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित करता है, खासकर जब राष्ट्रीय सुरक्षा दांव पर हो।
- आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन: यह समझौता आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधानों को कम करने और महत्वपूर्ण रक्षा उपकरणों की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है।
- रक्षा औद्योगिक आधार का विस्तार: SOSA भारत और अमेरिका के रक्षा औद्योगिक ठिकानों के बीच सहयोग और एकीकरण को बढ़ावा देता है, जिससे दोनों देशों के लिए पारस्परिक रूप से लाभप्रद अवसर पैदा होते हैं।
- रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल (DTTI) को मजबूत करना: यह समझौता दोनों देशों के बीच रक्षा प्रौद्योगिकी सहयोग को और गहरा करने और संयुक्त अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है।
SOSA का महत्व:
- मजबूत रक्षा संबंध: SOSA भारत और अमेरिका के बीच पहले से ही मजबूत रक्षा साझेदारी को और मजबूत करता है।
- आपूर्ति श्रृंखला सुरक्षा में वृद्धि: यह समझौता यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि दोनों देशों के पास महत्वपूर्ण रक्षा उपकरणों तक लगातार पहुंच हो, यहां तक कि चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी।
- रक्षा औद्योगिक सहयोग में वृद्धि: SOSA दोनों देशों के रक्षा उद्योगों के बीच सहयोग और विकास को बढ़ावा देता है।
- क्षेत्रीय स्थिरता में योगदान: भारत और अमेरिका के बीच घनिष्ठ रक्षा संबंध क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं।
संपर्क अधिकारियों पर समझौता:
- यह भारत और अमेरिका के बीच सूचना साझा करने को बढ़ावा देने के पहले के निर्णय का एक हिस्सा है। इसमें भारत की सेना के अधिकारियों को अमेरिकी महत्वपूर्ण रणनीतिक कमांड्स में तैनात करने की बात भी शामिल है।
- भारत पहला संपर्क अधिकारी अमेरिका के विशेष संचालन कमान मुख्यालय, फ्लोरिडा में तैनात करेगा।
- भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय रक्षा सहयोग की दिशा को 2013 के संयुक्त US-India रक्षा सहयोग घोषणापत्र और 2015 के US-India रक्षा संबंधों के ढांचे में संक्षिप्त किया गया था।
अन्य समझौते और बिक्री:
- 2016 में, अमेरिका ने भारत को प्रमुख रक्षा साझेदार (Major Defence Partner) के रूप में मान्यता दी। इस मान्यता के अनुसार, 2018 में भारत को रणनीतिक व्यापार प्राधिकरण (Strategic Trade Authorisation) tier 1 का दर्जा दिया गया, जिससे उसे अमेरिका के वाणिज्य विभाग द्वारा नियंत्रित कई सैन्य और डुअल-यूज़ टेक्नोलॉजीज़ तक लाइसेंस-मुक्त पहुंच प्राप्त हुई।
- 2012 में, रक्षा व्यापार और प्रौद्योगिकी पहल (Defence Trade and Technology Initiative, DTTI) समझौता किया गया, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच औद्योगिक सहयोग और रक्षा व्यापार को बढ़ावा देना था।
- अमेरिका की रक्षा नवाचार इकाई (DIU) और भारतीय रक्षा नवाचार संगठन-इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस (DIO-iDEX) के बीच एक इरादे का ज्ञापन (Memorandum of Intent) भी है।
- अमेरिका से भारत द्वारा किए गए बड़े सैन्य खरीददारी में MH-60R सीहॉक मल्टीरोल हेलीकॉप्टर, सिग सॉयर राइफल्स, और M777 अल्ट्रा लाइट हॉवित्ज़र शामिल हैं।
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