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विशेष गहन पुनरीक्षण 2.0 (Special Intensive Revision 2.0) | Apni Pathshala

Special Intensive Revision 2.0

Special Intensive Revision 2.0

संदर्भ:

भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) ने Special Intensive Revision (SIR) 2.0 नामक एक नई पहल की शुरुआत की है। यह देशभर में मतदाता सूची को साफ़-सुथरा बनाने का एक बड़ा अभियान है, जो आज से 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शुरू हो गया है।

  • यह व्यापक जांच लगभग51 करोड़ मतदाताओं को कवर करेगी। इस अभियान में शामिल राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हैं — तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, पुडुचेरी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तथा लक्षद्वीप।

विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR):

परिभाषा: विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) निर्वाचन आयोग (ECI) द्वारा संचालित एक प्रक्रिया है, जिसे असाधारण परिस्थितियों में लागू किया जाता है — जैसे मतदाता सूची (voter roll) में बड़े पैमाने पर त्रुटियाँ, नामों की चूक, या राजनीतिक कारणों से उत्पन्न विशेष स्थिति।

उद्देश्य: इसका मुख्य उद्देश्य है —

  • गलत या अपूर्ण मतदाता सूचियों को ठीक करना,
  • प्रवासी  मतदाताओं की दोहराव प्रविष्टियों को हटाना,
  • और यह सुनिश्चित करना कि मतदाता सूची सटीक, समावेशी और अद्यतन  हो।

कानूनी आधार: जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 21(3) के तहत निर्वाचन आयोग (ECI) को यह अधिकार प्राप्त है कि वह मतदाता सूची का पुनरीक्षण किसी भी उपयुक्त तरीके से कर सकता है, जैसा उसे आवश्यक लगे।

मुख्य महत्व:

  • फर्जी और दोहरी प्रविष्टियों में कमी: SIR अभियान के दौरान ‘घोस्ट वोटर्स’ या एक से अधिक स्थानों पर पंजीकरण जैसी गड़बड़ियों को दूर किया जाता है, जिससे चुनाव अधिक निष्पक्ष बनते हैं।
  • जनसांख्यिकीय बदलावों का परिलक्षित होना: लगातार हो रहे पलायन, नए युवा मतदाताओं का जुड़ना और शहरीकरण जैसे कारक पुराने मतदाता सूचियों को अप्रासंगिक बना देते हैं। SIR इन परिवर्तनों को सम्मिलित करता है।
  • वंचित समूहों का बेहतर समावेशन: आंतरिक प्रवासी, दिव्यांगजन और पहली बार मतदान करने वाले युवा मतदाता सही तरीके से सूची में शामिल किए जाते हैं।
  • पारदर्शिता और विश्वास में वृद्धि: जब मतदाताओं को भरोसा होता है कि सूची अद्यतन और समावेशी है, तो लोकतंत्र के प्रति उनकी आस्था और भागीदारी बढ़ती है।
  • मतदान प्रक्रिया की दक्षता में सुधार: स्वच्छ मतदाता सूची से मतदान केंद्रों का बेहतर प्रबंधन संभव होता है — जैसे सटीक बूथ आवंटन, कम अवैध मतपत्र और कम प्रशासनिक त्रुटियाँ (जैसा कि जयपुर में नए बूथों के निर्माण से देखा गया)।

पिछली मतदाता सूची संशोधन प्रक्रियाएँ:

देश के विभिन्न भागों में 1952-56, 1957, 1961, 1965, 1966, 1983-84, 1987-89, 1992, 1993, 1995, 2002, 2003 और 2004 में मतदाता सूची संशोधन प्रक्रियाएँ आयोजित की गई थीं। बिहार में, पिछली मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया 2003 में आयोजित की गई थी।

SIR के सामने चुनौतियाँ:

  1. वैध मतदाताओं का बहिष्कार:2003 के बाद के मतदाताओं से अतिरिक्त दस्तावेज़ मांगने पर गरीब, प्रवासी और हाशिए पर रहने वाले लोग मतदाता सूची से बाहर हो सकते हैं।
  2. चुनाव से पहले का समय:बड़े चुनाव से ठीक पहले यह प्रक्रिया भ्रम, पक्षपात के आरोप और प्रबंधन संबंधी दिक्कतें पैदा कर सकती है।
  3. कानूनी अस्पष्टता:“Special Intensive Revision” शब्द मौजूदा नियमों में स्पष्ट रूप से नहीं है, जिससे इसकी वैधता पर सवाल उठ रहे हैं।
  4. संसाधनों की कमी:घर-घर सर्वे के लिए पर्याप्त मानवबल और तकनीकी संसाधनों की कमी बताई रही है।
  5. डिजिटल असमानता:ग्रामीण और प्रवासी मतदाता ऑनलाइन प्रक्रिया में पिछड़ सकते हैं।
  6. राजनीतिक विवाद:विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि इस प्रक्रिया का इस्तेमाल मतदाता सूची में हेरफेर के लिए किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट में इस पर याचिका भी लंबित है।

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