संदर्भ:
राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF): मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने अंतरिम रोक लगाते हुए शिक्षा मंत्रालय और राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (NBA) को 2025 के लिए राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) जारी करने से रोका।
राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF):
- शुरुआत: 2015 में राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (NBA) द्वारा शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत शुरू किया गया।
- उद्देश्य:भारत में उच्च शिक्षा संस्थानों की वार्षिक रैंकिंग करना।
रैंकिंग की श्रेणियां:
- संस्थानों को पाँच श्रेणियों में रैंक किया जाता है।
- संस्थानों को NIRF पोर्टल पर डेटा अपलोड करना होता है, जैसे:
- छात्र और स्टाफ की संख्या, वेतन, स्नातक सूचकांक (Graduation Index), प्लेसमेंट, अनुसंधान निधि (Research Funds)
NIRF का महत्व:
- सूचित निर्णय लेना: छात्र संस्थानों की रैंकिंग के आधार पर सही विश्वविद्यालय का चयन कर सकते हैं।
- गुणवत्ता मूल्यांकन: उच्च शिक्षा संस्थानों की गुणवत्ता का मूल्यांकन करने का मानक प्रदान करता है।
- बहुआयामी मूल्यांकन: संस्थानों के प्रदर्शन को व्यापक रूप से मापने के लिए विभिन्न मापदंडों का उपयोग करता है।
- प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहन: संस्थानों को अपनी शैक्षणिक और शोध मानकों में सुधार करने के लिए प्रेरित करता है।
- नीति निर्माण में सहायता: नीति निर्माताओं को शिक्षा क्षेत्र में सुधार के क्षेत्रों की पहचान करने में मदद करता है।