10000-year-old pottery found at Lake Biwa Japan
संदर्भ:
हाल ही में जापान की लेक बीवा के तल से हाल ही में 10,000 वर्ष से भी अधिक पुराने मृद्भांड (pottery vessel) लगभग पूर्ण अवस्था में प्राप्त हुए है। यह एक महत्वपूर्ण खोज है, जो प्रारंभिक जोमन सभ्यता की उन्नत कुम्भकारी परंपरा और प्राचीन काल की जटिल सांस्कृतिक गतिविधियों को समझने में सहायक होगी।
10,000 वर्ष पुराना मृद्भांड:
अक्टूबर 2025 में जापानी पुरातत्वविदों ने लेक बीवा के त्सुजुराओज़ाकी नामक जलमग्न पुरास्थल से 64 मीटर की गहराई पर लगभग 25 सेंटीमीटर ऊँचा प्रागैतिहासिक मृद्भांड प्राप्त किया।
- यह जोमन काल की प्रारंभिक परंपरा से संबंधित माना जा रहा है, जो मानव इतिहास की सबसे प्रारंभिक कुम्भकारी परंपराओं में से एक है।
- यह जिंगूजी-स्टाइल अथवा कोनामी अपर-लेयर परंपराओं में से किसी का प्रतिनिधित्व करता है, जो सौंदर्यबोध, प्रतीकात्मकता और सामाजिक जीवन से जुड़ी सांस्कृतिक अभिव्यक्ति को दर्शाती हैं।
- इस खोज में उन्नत तकनीकों स्वायत्त पनडुब्बी वाहन (AUVs), 3D सोनार मैपिंग, रोबोटिक आर्म्स और कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित प्रतिरूपण प्रणाली का उपयोग किया गया हैं।
जोमन सभ्यता का परिचय:
जोमन सभ्यता पूर्व–एशिया की उन प्राचीन सभ्यताओं में से है। यह जापान की एक प्रागैतिहासिक सभ्यता है, जो लगभग 14,000 ईसा पूर्व से 300 ईसा पूर्व तक रही, जहाँ मानव समुदायों ने शिकारी, संग्राहक और मछली पकड़ने का अभ्यास किया। इस संस्कृति के लोग स्थिर जीवनशैली जीते थे। बाद में, उनके पूर्वज मुख्य भूमि पूर्व एशिया से आए और यायोई संस्कृति में परिवर्तित हो गए।
- जीवन शैली: जोमोन लोगों ने मुख्य रूप से शिकार, मछली पकड़ने और पौधों को इकट्ठा करके अपना जीवनयापन किया। वे छोटे, स्थायी समुदायों में रहते थे और अक्सर नदियों या तट के पास बसे थे।
- मिट्टी के बर्तन: “जोमोन” का अर्थ “रस्सी का पैटर्न” है, जो इस काल के मिट्टी के बर्तनों की सजावट की एक विशिष्ट तकनीक को दर्शाता है। ये मिट्टी के बर्तन दुनिया के सबसे पुराने मिट्टी के बर्तनों में से हैं
- कृषि: हालांकि वे मुख्य रूप से शिकारी-संग्राहक थे, लेकिन काल के अंत तक प्रारंभिक कृषि की शुरुआत हो गई होगी। उन्होंने शाहबलूत, सोयाबीन और अज़ुकी जैसे उपयोगी पौधों की खेती की।
- प्रवास और वंशावली: जोमोन लोगों के पूर्वज पूर्वोत्तर एशिया, कोरियाई प्रायद्वीप और दक्षिण पूर्व एशिया से आए थे। जोमोन लोग आधुनिक जापानी लोगों के पूर्वजों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और होक्काइडो के स्वदेशी ऐनु लोगों के भी पूर्वज हैं।
लेक बीवा का भू-भौगोलिक महत्व:
लेक बीवा जापान की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील है, जो शिगा प्रांत में स्थित है और इसे बीवाको के नाम से भी जाना जाता है। यह झील क्योटो के उत्तर-पूर्व में है और अपनी प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक महत्व और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए जानी जाती है। इसके आसपास के क्षेत्र में धार्मिक स्थल, पार्क और अन्य दर्शनीय स्थान भी हैं।
- लेक बीवा लगभग 40–50 लाख वर्ष पुरानी मानी जाती है, जो इसे एशिया की सबसे पुरानी झीलों में से एक बनाती है। यह लगभग 40 मील (64 किमी) लंबी है और इसका क्षेत्रफल 259 वर्ग मील (672 वर्ग किमी) है।
- इसके लंबे भू-भौगोलिक इतिहास के कारण झील में 700 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें कई स्थानिक (endemic) हैं।
- लेक बीवा टेक्टोनिक बेसिन में स्थित है। वैज्ञानिक इसे पैलियोक्लाइमेट रीकंस्ट्रक्शन के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं।
- झील का उत्तरी हिस्सा गहरा और मेसोट्रॉफिक है, जबकि दक्षिणी भाग अपेक्षाकृत उथला और यूट्रॉफिक प्रकृति वाला है।
- इस झील को 1993 से रामसर साइट के रूप में भी मान्यता मिली है, जो इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक महत्वपूर्ण आर्द्रभूमि बनाती है।
- यह क्षेत्र व्यापार, परिवहन और कृषि के लिए आदर्श रहा है। भू-आकृतिक रूप से यह जापान के कांसाई क्षेत्र के आर्थिक और सांस्कृतिक विकास को प्रभावित करती है।
- झील के चारों ओर साइकिल चलाने का लोकप्रिय रास्ता है, जिसे “बिवाइची” कहते हैं। यहाँ कई दर्शनीय स्थल हैं, जैसे कि उकिमिडो फ्लोटिंग मंदिर, हिकोन कैसल, और शिराहिगे श्राइन।
