500 meter sea trial of Matsya-6000

संदर्भ:
भारत की गहरे समुद्र अन्वेषण क्षमताओं को सशक्त बनाने की दिशा में जल्द ही, मत्स्य-6000 सबमर्सिबल का 500 मीटर गहराई पर समुद्री परीक्षण किया जाएगा, जो समुद्रयान परियोजना और डीप ओशन मिशन का एक निर्णायक चरण है। यह परीक्षण 2027 तक 6,000 मीटर गहराई तक पहुंचने के राष्ट्रीय लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, जिसे NIOT वैज्ञानिकों द्वारा संचालित किया जाएगा।
मत्स्य-6000 के बारे में:
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परिचय: मत्स्य-6000 एक 28-टन क्षमता वाला मानव चालित सबमर्सिबल है, जिसे राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT), पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत विकसित कर रहा है। यह तीन वैज्ञानिकों को 6000 मीटर गहराई तक सुरक्षित ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है।
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विशेषताएं: सबमर्सिबल में 2.1 मीटर व्यास का गोलेनुमा चालक कक्ष (Personnel Sphere) है, जिसमें जीवन-समर्थन प्रणाली, नेविगेशन डिस्प्ले, नियंत्रण जॉयस्टिक और सुरक्षा उपकरणों का एकीकृत सेट स्थापित किया गया है। अंतरराष्ट्रीय तकनीकी प्रतिबंधों के बाद इसे पूर्णतः स्वदेशी क्षमता से बनाया जा रहा है, जो आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक अहम उपलब्धि है।
तकनीकी संरचना और प्रमुख प्रणालियाँ:
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जीवन-रक्षक प्रणाली: इसमें ऑक्सीजन आपूर्ति, CO₂ स्क्रबर, पर्यावरणीय पैरामीटर डिस्प्ले और आपातकालीन एयर-रिजर्व पैक की व्यवस्था है। यह 12 घंटे तक सुरक्षित संचालन और अतिरिक्त 96 घंटे की आपातकालीन क्षमता उपलब्ध कराता है।
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प्रणोदन और गतिशीलता प्रणाली: मुख्य वेरिएबल बैलास्ट टैंक, थ्रस्टर्स, और उन्नत कंट्रोल सॉफ़्टवेयर सबमर्सिबल को तीन दिशाओं में संचालन योग्य बनाते हैं।
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पावर एवं ऊर्जा प्रणाली: उच्च घनत्व वाली Li-Po बैटरियां सबमर्सिबल को गहराई में लंबे समय तक ऊर्जा उपलब्ध कराती हैं।
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संचार एवं नेविगेशन प्रणाली: अंडरवाटर अकॉस्टिक मोडेम, अंडरवाटर टेलीफोन, VHF रेडियो, GPS (सतह-स्तर) और अकॉस्टिक पोज़िशनिंग सिस्टम।
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वैज्ञानिक उपकरण: रोबोटिक आर्म, बाहरी कैमरे, पथदर्शी लाइट्स, और बहु-आयामी समुद्रवैज्ञानिक सेंसर, जो गहरे समुद्र के खनिज, जैव विविधता और पर्यावरणीय मापदंडों का अध्ययन करने में सक्षम हैं।
सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि है ISRO के LPSC द्वारा विकसित 80-mm मोटाई वाले टाइटेनियम मिश्रधातु गोले का निर्माण, जो 600 बार दबाव सहन करने में सक्षम होगा—यह 6000 मीटर की गहराई के लिए अनिवार्य है।
परीक्षण चरण और वर्तमान स्थिति:
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ड्राई टेस्टिंग: 500-मीटर परिचालन सीमा पर सभी उपप्रणालियों का एकीकृत परीक्षण NIOT द्वारा सफलतापूर्वक पूरा किया गया।
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वेट टेस्टिंग: जनवरी–फरवरी 2025 के बीच कत्तुपल्ली पोर्ट पर हार्बर वेट टेस्टिंग की गई, जिसमें: 8 कुल डाइव, 5 अनमैंड, 3 मानव-संचालित डाइव शामिल है।
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500 मीटर गहराई ट्रायल: अगला चरण 500 मीटर की वास्तविक समुद्री गहराई पर संचालन का है, जिसे 2025 के अंत तक पूरा किया जाएगा।
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6000 मीटर का मिशन: भारत 2027 तक मात्स्य-6000 को 6000 मीटर गहराई तक भेजने का लक्ष्य रखता है, जिससे वह अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान और चीन जैसे विशिष्ट देशों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा।
सामरिक, वैज्ञानिक और आर्थिक महत्व:
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ब्लू इकोनॉमी को प्रोत्साहन: समुद्र तल के दुर्लभ खनिज—पॉलिमेटलिक नोड्यूल्स, कोबाल्ट-रिच क्रस्ट, हाइड्रोथर्मल सल्फाइड—के वैज्ञानिक आकलन में सहायता।
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सामरिक क्षमता में वृद्धि: भारत अपनी समुद्री सुरक्षा एवं गहरे समुद्री डेटा-संग्रहण क्षमता को तकनीकी रूप से सक्षम करेगा।
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वैज्ञानिक अनुसंधान में विस्तार: गहरे समुद्री जैव विविधता, जलवायु संकेतक, और भू-विज्ञान पर प्रत्यक्ष मानव निरीक्षण आधारित अनुसंधान संभव होगा।
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प्रौद्योगिकी आत्मनिर्भरता: टाइटेनियम गोले का स्वदेशी निर्माण, उन्नत अकॉस्टिक संचार प्रणाली और नियंत्रित पर्यावरणीय प्रणाली भारत के लिए रणनीतिक निवेश है।
