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डॉ. भीमराव अंबेडकर का 70वाँ महापरिनिर्वाण दिवस (70th Mahaparinirvan Day of Dr. Bhimrao Ambedkar) | UPSC

70th Mahaparinirvan Day of Dr. Bhimrao Ambedkar

70th Mahaparinirvan Day of Dr. Bhimrao Ambedkar

संदर्भ:

6 दिसंबर 2025 को भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत डॉ. अंबेडकर फाउंडेशन (DAF) द्वारा 70वाँ महापरिनिर्वाण दिवस आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, सांसदों तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा बाबासाहेब डॉ. बी.आर. अंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गई। 

महापरिनिर्वाण दिवस क्या है?

  •  परिभाषा: महापरिनिर्वाण का अर्थ है—महान व्यक्तित्व का शरीर छोड़कर शाश्वत शांति में विलीन होना। 6 दिसंबर 1956 को डॉ. आंबेडकर के निधन की स्मृति में यह दिवस प्रतिवर्ष मनाया जाता है।

  • उद्देश्य: इस दिवस का उद्देश्य डॉ. अंबेडकर के समानता, सामाजिक न्याय, मानव गरिमा, और संवैधानिक राष्ट्रवाद के संदेश को जन-जन तक पहुँचाना है।

  • आयोजन: कार्यक्रम में 25 बौद्ध भिक्षुओं ने बौद्ध मंत्रों के साथ श्रद्धांजलि दी, जो डॉ. अंबेडकर के धम्म दीक्षा आंदोलन (1956) से जुड़े आध्यात्मिक आयाम को दर्शाता है।

डॉ. अंबेडकर : जीवन, व्यक्तित्व और योगदान

  • संविधान निर्माता: डॉ. अंबेडकर संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे। उन्हें भारतीय संविधान का शिल्पकार कहा जाता है। उन्होंने संविधान में न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के सिद्धांतों को सुनिश्चित किया। उन्होंने अनुच्छेद 17 के माध्यम से अस्पृश्यता उन्मूलन और भेदभाव विरोधी प्रावधानों को स्थापित किया।

  • सामाजिक न्याय के प्रवर्तक: उनका जीवन का मूल मंत्र “शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो” था। उन्होंने महाड़ सत्याग्रह (1927) के माध्यम से सार्वजनिक जलस्रोतों पर दलितों के अधिकार की लड़ाई लड़ी। काला राम मंदिर आंदोलन (1930) जैसे अभियानों ने धार्मिक–सामाजिक समानता का मार्ग प्रशस्त किया।

  • महिला अधिकारों के समर्थक: डॉ. अंबेडकर महिलाओं के उत्तराधिकार, संपत्ति अधिकार, और विवाह–विच्छेद के पक्षधर थे। उन्होंने हिंदू कोड बिल के माध्यम से महिलाओं को समान अधिकार देने का प्रयास किया।

  • अर्थशास्त्री और राष्ट्र निर्माता: कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रशिक्षित डॉ. अंबेडकर ने मुद्रा–वित्त और श्रम नीति पर गहन कार्य किया। उनकी पुस्तक “द प्रॉब्लम ऑफ द रुपी” (1923) ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने 8 घंटे कार्य दिवस, रोज़गार विनिमय, और सिंचाई–विद्युत नीति के सुधार किए।

अंबेडकर की धम्म दीक्षा:

  •  ऐतिहासिक घटना: 14 अक्टूबर 1956, नागपुर में डॉ. अंबेडकर ने बौद्ध धर्म ग्रहण किया। यह भारतीय समाज में समानता और आत्मसम्मान के प्रति एक नया अध्याय था।

  • सामाजिक प्रभाव: उनकी दीक्षा के बाद लाखों अनुयायियों ने बौद्ध धर्म स्वीकार किया, जिसने आधुनिक भारत में नवयान बौद्ध आंदोलन को जन्म दिया।

डॉ. अंबेडकर फाउंडेशन (DAF):

  • स्थापना और उद्देश्य: 24 मार्च 1992 को स्थापित DAF, एक स्वायत्त संगठन है, जिसका उद्देश्य डॉ. अंबेडकर के विचारों का प्रसार, अध्ययन, और सामाजिक परिवर्तन से जुड़े कार्यक्रमों का क्रियान्वयन है।

  • प्रशासनिक नेतृत्व: वर्तमान में DAF के अध्यक्ष सामाजिक न्याय मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार हैं, जबकि समारोह का संचालन सदस्य सचिव वी. अप्पा राव और नोडल अधिकारी मनोज तिवारी द्वारा किया गया।

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