चर्चा में क्यों ?
16वां BRICS शिखर सम्मेलन 2024, 22 से 24 अक्टूबर के बीच रूस के कज़ान (Kazan, Russia) शहर में आयोजित किया गया। यह सम्मेलन अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर था ।
- 22 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16वें BRICS शिखर सम्मेलन के लिए कज़ान, रूस (Kazan, Russia) पहुंच गए है।
- सम्मेलन की शुरुआत एक शाम के भोज से हुई, जिसमें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) समेत अन्य नेता विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर चर्चा किया.
- इस सम्मेलन में BRICS देशों के नेताओं की भागीदारी रही, और पीएम मोदी कई द्विपक्षीय बैठकें भी की।
- यह शिखर सम्मेलन BRICS समूह की वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था में बढ़ती भूमिका को और मजबूत करेगा।
- BRICS शिखर सम्मेलन 2024 का मुख्य निष्कर्ष कज़ान घोषणा रही, जिसमें BRICS देशों के बीच एकता और रणनीतिक साझेदारी के महत्व पर जोर दिया गया।
16वें BRICS शिखर सम्मेलन का अवलोकन (Overview of the 16th BRICS Summit):
- दिनांक (Date): 22-23 अक्टूबर, 2024
- स्थान (Venue): कज़ान, रूस (Kazan, Russia)
- विषय (Theme): “उभरती प्रौद्योगिकियाँ और सतत विकास” (Emerging Technologies and Sustainable Development)
- भाग लेने वाले देश (Participating Countries): ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ़्रीका
BRICS शिखर सम्मेलन 2024 के मुख्य बिंदु (Key Points of BRICS Summit 2024):
- आर्थिक विकास और सहयोग (Economic Growth and Cooperation): BRICS देशों ने आपसी व्यापार को बढ़ावा देने, पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं पर निर्भरता कम करने और सतत विकास को प्रोत्साहित करने पर चर्चा की।
- सुरक्षा और भू-राजनीतिक स्थिरता (Security and Geopolitical Stability): क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों जैसे आतंकवाद के खिलाफ उपाय और साइबर सुरक्षा रणनीतियों पर जोर दिया गया।
- जलवायु कार्रवाई (Climate Action): जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त पहल को बढ़ावा दिया गया, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा और स्थायी अवसंरचना विकास परियोजनाओं पर ध्यान दिया गया। भारत ने सदस्य देशों को अंतरराष्ट्रीय सोलर अलायंस, आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन, ‘एक पेड़ मां के नाम’ और ग्रीन क्रेडिट जैसी पहलों में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया।
- ग्लोबल साउथ की वकालत (Advocacy of Global South): अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ग्लोबल साउथ के मुद्दों और प्राथमिकताओं को सामने लाने पर बल दिया गया।
- सांस्कृतिक और मानवीय संबंध (Cultural and Humanitarian Relations): BRICS देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को सुदृढ़ करने और शैक्षिक व मानवीय पहलों को प्रोत्साहित किया गया।
- कज़ान घोषणा (Kazan Declaration): BRICS शिखर सम्मेलन 2024 का मुख्य निष्कर्ष कज़ान घोषणा रही, जिसमें BRICS देशों के बीच एकता और रणनीतिक साझेदारी के महत्व पर जोर दिया गया।
कज़ान घोषणा (Kazan Declaration):
कज़ान, रूस – ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में कज़ान घोषणा को सभी सदस्य देशों ने मंजूरी दी। यह दस्तावेज़ ब्रिक्स देशों की सामूहिक दृष्टि और लक्ष्यों को दर्शाता है और इसे संयुक्त राष्ट्र में वैश्विक बहुपक्षीयता की अभिव्यक्ति के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा।
कज़ान घोषणा की मुख्य बातें (Highlights of the Kazan Declaration):
- वैश्विक सुधार (Global reform): ब्रिक्स ने वैश्विक प्रणाली को अधिक प्रभावी और लोकतांत्रिक बनाने पर जोर दिया और विकासशील देशों की भागीदारी बढ़ाने की मांग की। सबसे कम विकसित देशों, विशेष रूप से अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और कैरेबियन क्षेत्रों की वैश्विक निर्णय-प्रक्रिया में अधिक भागीदारी की जरूरत पर जोर दिया गया है।
- एकजुटता और सहयोग को और बढ़ाने पर जोर (Emphasis on further increasing unity and cooperation): ब्रिक्स देशों ने आपसी हितों और प्राथमिकताओं के आधार पर एकजुटता और सहयोग को और बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई।
- ब्रिक्स भावना के तहत आपसी सम्मान, संप्रभु समानता, लोकतंत्र, और समावेशिता पर जोर दिया गया।
- राजनीतिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने का संकल्प लिया गया।
- सुधारित बहुपक्षीय प्रणाली, सतत विकास, और समावेशी विकास को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा गया।
- वित्तीय संरचना में सुधार (Reforming the Financial Architecture): वैश्विक शासन में सुधार का संकल्प: एक अधिक उत्तरदायी बहुपक्षीय प्रणाली के माध्यम से वैश्विक शासन को सुधारने का संकल्प, और एक मजबूत अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के समर्थन में प्रतिबद्धता।
- स्थानीय मुद्रा में व्यापार (Trading in local currencies): सीमापार लेनदेन को सुगम बनाने के लिए स्थानीय मुद्राओं में व्यापार और वित्तीय निपटान को मजबूत करने का समझौता।
- जैव विविधता संरक्षण (Biodiversity conservation): ब्रिक्स ने जैव विविधता की सुरक्षा और कुनमिंग-मॉन्ट्रियल फ्रेमवर्क के पालन की अपील की।
- मानवीय संकट (Humanitarian crisis): पश्चिम एशिया और अफ्रीका में नागरिक हताहतों पर शोक जताया और सूडान में बढ़ती हिंसा पर चिंता व्यक्त की।
- BRICS प्लस साझेदारी (BRICS Plus Partnership): उभरते राष्ट्रों के साथ नई साझेदारियों को समर्थन, जिसमें मिस्र, इथियोपिया और सऊदी अरब जैसे देशों का स्वागत किया गया।
- इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष (Israel-Palestine conflict): ब्रिक्स ने गाजा में इज़राइल द्वारा मानवीय ऑपरेशनों और सुविधाओं पर किए गए हमलों की निंदा की है और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों (2712, 2720, 2728, और 2735) के कार्यान्वयन का आह्वान किया है।
- परमाणु चिकित्सा सहयोग (Nuclear Medicine Cooperation): ब्रिक्स ने परमाणु चिकित्सा में सहयोग बढ़ाने और ब्रिक्स स्वास्थ्य पत्रिका की शुरुआत का स्वागत किया।
एकतरफा दबावपूर्ण उपायों पर चिंता (Concerns over unilateral coercive measures):
कज़ान घोषणा (Kazan Declaration) में BRICS शिखर सम्मेलन 2024 के दौरान एकतरफा दबावपूर्ण उपायों, विशेषकर अवैध प्रतिबंधों की निंदा की गई।
- ये उपाय वैश्विक अर्थव्यवस्था, वैश्विक व्यापार, और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्रगति को बाधित करते हैं।
- ये संयुक्त राष्ट्र चार्टर, बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली, और अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण समझौतों को कमजोर करते हैं।
कज़ान घोषणा के तहत सहयोग के प्रमुख क्षेत्र (Key areas of cooperation under the Kazan Declaration):
- साइबर सुरक्षा और डेटा शासन (Cybersecurity and data governance): वित्तीय क्षेत्र में साइबर सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए BRICS ने त्वरित सूचना सुरक्षा चैनल अभ्यास का आयोजन किया। डेटा शासन और डिजिटल अर्थव्यवस्था में समान वैश्विक ढांचे की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया।
- व्यापार और आर्थिक सहयोग (Trade and economic cooperation): आपूर्ति शृंखलाओं की सुरक्षा, निष्पक्ष कृषि व्यापार, विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ), और विशेष रूप से उच्च-तकनीकी क्षेत्रों में MSMEs के समर्थन की आवश्यकता पर बल दिया गया।
- ऊर्जा और जलवायु (Energy and climate): पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा परिवर्तन, सतत कृषि, और कार्बन बाजारों में सहयोग को बढ़ावा दिया गया, साथ ही एकतरफा संरक्षणवादी उपायों को अस्वीकार किया गया।
- स्वास्थ्य और विज्ञान (Health and science): AMR, TB के खिलाफ कदम उठाने और सार्वजनिक स्वास्थ्य, अंतरिक्ष और पर्यटन के क्षेत्रों में सहयोग के लिए समर्थन व्यक्त किया गया।
- प्रतिस्पर्धा और कर सहयोग (Competition and tax cooperation): BRICS प्रतिस्पर्धा कानून, परस्पर कस्टम मान्यता, और कर सहयोग ढांचे को बढ़ावा दिया गया।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी: आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता और वैश्विक संस्थाओं में सुधार पर दिया जोर (PM Modi at BRICS summit: Emphasis on unity against terrorism and reform of global institutions):
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कज़ान (Kazan) में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (BRICS summit) को संबोधित किया, जहां उन्होंने आतंकवाद और आतंकवाद की वित्तपोषण (terrorism and terror financing) के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया।
- आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का आह्वान (Call for unity against terrorism): प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “हम सभी को आतंकवाद और आतंकवाद की वित्तपोषण से निपटने के लिए एकजुट होकर दृढ़ता से सहयोग करना होगा। इस गंभीर मुद्दे पर कोई दोहरा मापदंड नहीं होना चाहिए।
- रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त करने में भारत की भूमिका (India’s role in ending the Russia-Ukraine war): इसके अलावा, उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता की और कहा कि भारत रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए मदद देने को तैयार है।
- ‘सुधार करें, प्रतिस्थापित नहीं‘ – ब्रिक्स की भूमिका पर मोदी (‘Reform, not replace’ – Modi on role of BRICS): प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वैश्विक संस्थाओं में सुधार की जरूरत है और ब्रिक्स का उद्देश्य इन संस्थाओं को बदलने के बजाय उनमें बदलाव लाना होना चाहिए। “हमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, बहुपक्षीय विकास बैंक (Multilateral Development Banks), और विश्व व्यापार संगठन (WTO) जैसे वैश्विक संस्थानों में समय पर सुधार के लिए आगे बढ़ना चाहिए।”
- उन्होंने यह भी कहा, “ब्रिक्स के प्रयासों को आगे बढ़ाते समय हमें ध्यान रखना चाहिए कि हमारी छवि ऐसी न हो कि हम वैश्विक संस्थाओं को सुधारना नहीं बल्कि उन्हें बदलना चाहते हैं।”
- ‘हम युद्ध का नहीं, संवाद और कूटनीति का समर्थन करते हैं‘ (‘We support dialogue and diplomacy, not war’): प्रधानमंत्री मोदी ने पश्चिम एशिया, यूरोप (रूस-यूक्रेन) और अफ्रीका में मानवता संकट का सामना कर रही स्थितियों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “हमारे बैठक का समय ऐसा है जब दुनिया युद्ध, संघर्ष, आर्थिक अनिश्चितता, जलवायु परिवर्तन, और आतंकवाद जैसी कई चुनौतियों से घिरी हुई है। दुनिया में उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम के विभाजन की बात हो रही है।”
- उन्होंने कहा, “हमें दुनिया को यह संदेश देना चाहिए कि ब्रिक्स कोई विभाजनकारी समूह नहीं है, बल्कि जनहित में काम करने वाला समूह है।”
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय वार्ता (Bilateral talks between Prime Minister Modi and President Xi Jinping):
रूस के कज़ान (Kazan) शहर में बुधवार, 23 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच पांच साल बाद द्विपक्षीय वार्ता हुई। इस बैठक में दोनों नेताओं ने सीमा विवाद को शीघ्र निपटाने, आपसी सहयोग बढ़ाने और विश्वास बनाए रखने पर जोर दिया।
2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद यह दोनों नेताओं की पहली औपचारिक द्विपक्षीय वार्ता थी। लगभग 50 मिनट तक बैठक चली।
- प्रधानमंत्री मोदी ने कहा (Prime Minister Modi said): “हम 5 वर्षों बाद औपचारिक रूप से मिल रहे हैं। पिछले 4 वर्षों में सीमा पर उत्पन्न समस्याओं के समाधान के लिए जो सहमति बनी है, उसका स्वागत करते हैं। सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।”
- वहीं, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा (Chinese President Xi Jinping said): “भारत और चीन को अपने मतभेदों को सही तरीके से संभालना चाहिए। हमें अपने विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए संवाद और सहयोग को मजबूत करना चाहिए। दोनों देशों को स्थिर संबंध बनाए रखने के लिए मिलकर काम करना चाहिए, ताकि हमारे विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में मदद मिल सके।”
BRICS क्या है (What is BRICS)?
BRICS एक समूह है जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन, और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। यह उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं का समूह है, जिसे आर्थिक सहयोग और बहुपक्षवाद (economic cooperation and multilateralism) को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बनाया गया है। यह समूह विश्व की लगभग 45% जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है और वैश्विक GDP का एक तिहाई हिस्सा इससे आता है, जिससे यह वैश्विक शासन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- BRICS का पूरा नाम: Brazil, Russia, India, China, South Africa
- BRICS मुख्यालय: शंघाई, चीन (New Development Bank)
- ब्रिक्स सदस्य सूची (BRICS member list) वर्तमान: ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका
- नए सदस्य (2024): मिस्र, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, इथियोपिया (2024 से शुरू)
BRICS का विकास (Evolution of BRICS):
- जुलाई 2006 में, ब्राजील, रूस, भारत, और चीन (BRIC) देशों के नेताओं की पहली बार मुलाकात सेंट पीटर्सबर्ग, रूस (St. Petersburg, Russia) में G8 Outreach Summit के मौके पर हुई।
- इसके तुरंत बाद, सितंबर 2006 में, इस समूह को औपचारिक रूप से BRIC के रूप में स्थापित किया गया। यह बैठक न्यूयॉर्क में UN महासभा के जनरल डिबेट के दौरान 1st BRIC Foreign Ministers’ Meeting के रूप में आयोजित की गई थी।
- कई उच्च-स्तरीय बैठकों के बाद, 16 जून 2009 को रूस के येकातेरिनबर्ग (Yekaterinburg, Russia) में पहला BRIC शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया।
- सितंबर 2010 में, दक्षिण अफ्रीका को BRIC Foreign Ministers की बैठक में पूर्ण सदस्य के रूप में स्वीकार किया गया, और इसके साथ ही BRIC का नाम बदलकर BRICS (Brazil, Russia, India, China, South Africa) कर दिया गया।
- दक्षिण अफ्रीका ने BRICS में अपनी पहली उपस्थिति 14 अप्रैल 2011 को चीन के सान्या (China, Sanya) में आयोजित तीसरे BRICS शिखर सम्मेलन में दर्ज कराई।
- BRICS का यह विस्तार समूह की वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक महत्व में वृद्धि को दर्शाता है।
BRICS संरचना (BRICS Structure):
BRICS की संरचना लचीली (flexible) है। यह वार्षिक रूप से आयोजित होने वाली बैठकों और शिखर सम्मेलनों के माध्यम से संचालित होता है। कई कार्य समूह और उप-समितियाँ (sub-committees) व्यापार, स्वास्थ्य, कृषि, और शिक्षा जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करती हैं।
BRICS ढांचे के भीतर कुछ प्रमुख तंत्र इस प्रकार हैं:
- न्यू डेवलपमेंट बैंक (New Development Bank- NDB): 2014 में स्थापित, NDB BRICS और अन्य विकासशील देशों में बुनियादी ढाँचे और सतत विकास परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण प्रदान करता है।
- संभावित आरक्षित व्यवस्था (Contingent Reserve Arrangement- CRA): यह एक वित्तीय सुरक्षा जाल है, जिसका उद्देश्य भुगतान संतुलन संकट के समय सदस्यों को तरलता सहायता प्रदान करना है।
- BRICS अकादमिक फोरम (BRICS Academic Forum): यह मंच BRICS देशों के विश्वविद्यालयों के बीच शैक्षिक और अनुसंधान सहयोग को प्रोत्साहित करता है।
BRICS शिखर सम्मेलन 2024: थीम (BRICS Summit 2024: Theme):
BRICS शिखर सम्मेलन 2024 की थीम “उभरती प्रौद्योगिकियां और सतत विकास” (Emerging Technologies and Sustainable Development) है।
यह थीम इस बात पर जोर देती है कि BRICS देशों—ब्राजील, रूस, भारत, चीन, और दक्षिण अफ्रीका—के बीच नए तकनीकी नवाचारों (new technological innovations) का उपयोग कैसे सतत विकास (sustainable development) के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है।
इस थीम के तहत चर्चाएं मुख्य रूप से निम्नलिखित पहलुओं पर केंद्रित होंगी:
- तकनीकी नवाचार (Technological innovation): कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial intelligence), डिजिटल बदलाव (digital transformation) और इनके आर्थिक विकास (economic development) में उपयोग पर ध्यान दिया जाएगा।
- सततता (Sustainability): जलवायु परिवर्तन (Climate change), पर्यावरण संरक्षण (environmental protection), और उद्योगों में सतत प्रथाओं की आवश्यकता पर चर्चा होगी।
- सहयोग (Cooperation): BRICS देशों के बीच साझेदारी को प्रोत्साहित किया जाएगा, ताकि प्रौद्योगिकी का आपसी लाभ के लिए उपयोग किया जा सके और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिल सके।
BRICS शिखर सम्मेलन 2024 में भारत की महत्ता (Importance of India in BRICS Summit 2024):
- वैश्विक प्रभाव का संतुलन (Balancing Global Influence): BRICS में अपनी भूमिका को मजबूत कर भारत, वैश्विक मामलों में पश्चिमी प्रभाव को संतुलित करने का प्रयास कर रहा है। यह मंच भारत को जलवायु परिवर्तन, व्यापार और सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी स्थिति व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है।
- द्विपक्षीय संबंध (Bilateral Relations): इस शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अन्य नेताओं, विशेष रूप से चीन के शी जिनपिंग और रूस के व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय चर्चा करने का मौका मिलेगा। यह वार्ता भौगोलिक तनाव और सीमा विवादों के मद्देनजर बेहद महत्वपूर्ण है।
- व्यापार और आर्थिक सहयोग (Trade and Economic Cooperation): BRICS देशों के साथ व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करने का यह अवसर है, जिससे निवेश के नए अवसरों के साथ-साथ आर्थिक वृद्धि को भी गति मिलेगी।
- संसाधन साझेदारी (Resource Sharing): संसाधन प्रबंधन, विशेष रूप से उत्तरी समुद्री मार्ग और आर्कटिक क्षेत्र के संदर्भ में भारत की सक्रिय भागीदारी, इन संसाधन संपन्न क्षेत्रों में अपने हितों को सुरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
- नवाचार और प्रौद्योगिकी सहयोग (Innovation and Technology Cooperation): उभरती प्रौद्योगिकियों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में BRICS देशों के साथ मिलकर काम करने से भारत अपने डिजिटल और तकनीकी क्षेत्र में नई ऊँचाइयों को प्राप्त कर सकता है, जो भविष्य के विकास के लिए अहम है।
- ऊर्जा और पर्यावरण सुरक्षा (Energy and Environmental Security): नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों और ऊर्जा सुरक्षा पर चर्चा के माध्यम से भारत अपने ऊर्जा संक्रमण और जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा सकता है।
BRICS-भारत संबंधों में समस्याएँ (Problems in BRICS-India Relations):
- भौगोलिक तनाव (Geopolitical tensions): भारत-चीन के बीच भू-राजनीतिक तनाव (Geopolitical tensions) BRICS-भारत संबंधों के लिए एक बड़ी चुनौती है। ये तनाव कभी-कभी समूह में सहमति और प्रभावी सहयोग को बाधित करते हैं।
- अर्थव्यवस्था में असमानता (Disparities in the economy): BRICS देशों के बीच आर्थिक आकार और विकास के स्तर में भिन्नताएँ होती हैं, जो लाभ और सहयोग में असंतुलन पैदा कर सकती हैं।
- द्विपक्षीय मुद्दे (Bilateral issues): भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय मुद्दे कभी-कभी BRICS के भीतर समग्र गतिशीलता को प्रभावित करते हैं।
- व्यापार घाटा (Trade deficit): भारत कुछ BRICS सदस्यों के साथ व्यापार घाटे का सामना कर रहा है, जो आर्थिक तनाव उत्पन्न कर सकता है और बेहतर व्यापार समझौतों की आवश्यकता को बढ़ा सकता है।
- राष्ट्रीय प्राथमिकताओं में भिन्नता (Differences in national priorities): BRICS सदस्यों के बीच विभिन्न राष्ट्रीय हित और प्राथमिकताएँ कभी-कभी कुछ मुद्दों पर सहमति को बाधित कर सकती हैं।
- BRICS की प्रभावशीलता (Effectiveness of BRICS): BRICS की प्रभावशीलता और दक्षता सुनिश्चित करना एक महत्वपूर्ण चुनौती है, खासकर जब समूह के सदस्य देशों के बीच विभिन्न हितों और प्राथमिकताओं का संतुलन बनाना आवश्यक है।
नवीनतम विकास (Latest Developments):
नए सदस्य (new member countries): मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब, और संयुक्त अरब अमीरात को BRICS में शामिल होने के लिए आमंत्रण मिला है, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है।
अर्जेंटीना का फैसला (Argentina’s Decision): अर्जेंटीना ने BRICS में शामिल न होने का निर्णय लिया है।
पिछला विस्तार (Previous expansion): BRICS का अंतिम विस्तार 2010 में हुआ था, जब दक्षिण अफ्रीका को समूह में शामिल किया गया था।
ब्रिक्स विस्तार: संभावित चुनौतियाँ और भारत की भूमिका (BRICS expansion: Potential challenges and India’s role):
- निर्णय में कठिनाई (Decision making): नए सदस्यों से सर्वसम्मति बनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, जैसा कि बड़े समूहों NAM और G77 में होता है।
- भू-राजनीतिक तनाव (Geopolitical tensions): पश्चिम एशिया की प्रतिद्वंद्विता जैसे क्षेत्रीय विवाद ब्रिक्स के काम में बाधा डाल सकते हैं।
- डॉलर निर्भरता कम करना (Reducing dollar dependence): रूस स्थानीय मुद्रा में व्यापार बढ़ाना चाहता है, लेकिन सभी ब्रिक्स देश इसके लिए समान रूप से तैयार नहीं हैं।
- भारत की कूटनीति (India’s diplomacy): प्रधानमंत्री मोदी की कज़ान में उपस्थिति ने भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत किया। भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख विवाद पर समझौता किया, जिससे रिश्तों में सुधार का संकेत मिलता है।
BRICS का महत्व (Importance of BRICS):
- जनसंख्या प्रतिनिधित्व (Population Representation): BRICS समूह (विस्तारित) लगभग 3.5 अरब लोगों का प्रतिनिधित्व करता है, जो दुनिया की कुल जनसंख्या का 45% है।
- आर्थिक योगदान (Economic Contribution): इसके सदस्य देशों की कुल अर्थव्यवस्था 28.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था का लगभग 28% है।
- ऊर्जा उत्पादन (Energy Production): ईरान, सऊदी अरब, और संयुक्त अरब अमीरात, इस समूह का हिस्सा होते हुए, वैश्विक कच्चे तेल उत्पादन का लगभग 44% योगदान करते हैं।
BRICS से जुड़े चिंताएँ (BRICS Concerns):
- आर्थिक विषमताएँ और दक्षिण अफ्रीका की स्थिति (Economic disparities and South Africa’s situation): BRICS सदस्य देशों के बीच आर्थिक विषमताएँ चिंता का विषय हैं, जिससे सहयोग में बाधा आती है। दक्षिण अफ्रीका की अर्थव्यवस्था ऋण में है और इसका चालू खाता नकारात्मक स्थिति में है, जो समूह की सामूहिक आर्थिक स्थिरता को प्रभावित कर सकता है।
- राजनीतिक मतभेद और बाह्य भू-राजनीतिक दबाव (Political differences and external geopolitical pressures): BRICS देशों के बीच राजनीतिक मतभेद और नीतिगत असहमति समूह की एकजुटता को कमजोर कर सकते हैं। इसके साथ ही, बाहरी भू-राजनीतिक दबाव, जैसे कि चीन का अमेरिका और उसके सहयोगियों के खिलाफ विरोध, BRICS की प्रभावशीलता को प्रभावित कर सकते हैं।
- चीन का प्रभाव और भारत का BRI पर विरोध (China’s influence and India’s opposition to BRI): चीन का प्रभाव, विशेष रूप से दक्षिण चीन सागर और एलएसी में, विवादित है, और भारत इसका विरोध करता है। भारत के BRI पर आपत्ति के बाद, रूस ने भी भागीदारी से इनकार कर दिया, जिससे BRICS के भीतर संबंधों में और तनाव उत्पन्न हो सकता है।
भविष्य की दिशा (Future Direction):
- प्रमुख उभरते बाजार (Major emerging markets): BRICS की तीन बड़ी अर्थव्यवस्थाएं—रूस, चीन, और भारत—उभरते वैश्विक बाजारों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो इसे वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण बनाती हैं।
- भूराजनीतिक चुनौतियां (Geopolitical Challenges): रूस-यूक्रेन संघर्ष और पूर्व में भारत-चीन के बीच डोकलाम विवाद ने यह दिखाया है कि BRICS देशों के बीच राजनीतिक संबंधों में कभी भी तनाव उत्पन्न हो सकता है।
- आधारभूत सिद्धांतों का पालन (Upholding Foundational Principles): समूह को अपनी संस्थागत नींव जैसे संप्रभु समानता और वैश्विक शासन में बहुलवाद का सम्मान करते हुए आगे बढ़ना चाहिए, क्योंकि नए सदस्य अपने राष्ट्रीय एजेंडे को आगे बढ़ाने की कोशिश करेंगे।
- आने वाले दशक की चुनौतियां (Challenges of the Decade Ahead): BRICS को सुनिश्चित करना होगा कि समूह की प्रासंगिकता आने वाले दशकों में भी बनी रहे, जिनमें और अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इसके लिए BRICS को बहुध्रुवीय विश्व और लोकतांत्रिक निर्णय-प्रक्रिया का समर्थन करते हुए अपने समर्पण को पुनः मजबूत करना होगा।
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