Apni Pathshala

हरित हाइड्रोजन पर दूसरा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

Download Today Current Affairs PDF

हाल ही में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हरित हाइड्रोजन पर दुसरे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया।

सम्मलेन की प्रमुख बातें-

  • G20 में ग्रीन ऊर्जा पर पेरिस प्रतिबद्धताओं को 2030 के लक्ष्य से 9 साल पहले पूरा करने पर जोर दिया गया।
  • भारत की गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता में 300% और सौर ऊर्जा में 3,000% से अधिक की वृद्धि हुई।
  • ग्रीन हाइड्रोजन को भविष्य की ऊर्जा मानते हुए, इसे डी-कार्बोनाइजेशन के लिए अहम बताया गया।
  • जलवायु परिवर्तन को वैश्विक समस्या मानते हुए, सामूहिक नवाचार के जरिए इसके समाधान पर बल दिया गया।

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन:

भारत ने 2047 तक ऊर्जा स्वतंत्र बनने और 2070 तक नेट जीरो (शून्य कार्बन उत्सर्जन) हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सभी आर्थिक क्षेत्रों में नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाना भारत के ऊर्जा परिवर्तन का मुख्य हिस्सा है। हरित हाइड्रोजन को इस परिवर्तन को सक्षम बनाने के लिए एक संभावित विकल्प माना जा रहा है। हाइड्रोजन का उपयोग नवीकरणीय ऊर्जा के दीर्घकालिक भंडारण, उद्योग में जीवाश्म ईंधन के स्थान पर, स्वच्छ परिवहन, और विकेंद्रीकृत बिजली उत्पादन, विमानन और समुद्री परिवहन के लिए किया जा सकता है। राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को 4 जनवरी 2022 को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी दी गई थी, जिसके निम्नलिखित उद्देश्य थे:

  1. भारत को दुनिया में हरित हाइड्रोजन का प्रमुख उत्पादक और आपूर्तिकर्ता बनाना
  2. हरित हाइड्रोजन और इसके व्युत्पन्न उत्पादों के निर्यात के अवसर पैदा करना
  3. आयातित जीवाश्म ईंधन और फीडस्टॉक पर निर्भरता को कम करना
  4. स्वदेशी निर्माण क्षमताओं का विकास करना
  5. उद्योग के लिए निवेश और व्यावसायिक अवसर आकर्षित करना
  6. रोजगार और आर्थिक विकास के अवसर पैदा करना
  7. अनुसंधान और विकास (R&D) परियोजनाओं का समर्थन करना

मिशन के परिणाम:

2030 तक इस मिशन के परिणाम निम्नलिखित होंगे:

  1. कम से कम 5 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता का विकास और देश में लगभग 125 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का विस्तार
  2. 8 लाख करोड़ रुपये से अधिक का कुल निवेश
  3. 6 लाख से अधिक नौकरियों का सृजन
  4. जीवाश्म ईंधन के आयात में 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की कमी
  5. वार्षिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 50 मिलियन मीट्रिक टन की कमी

हाइड्रोजन के प्रकार (निकालन विधि के आधार पर)

इसके निकालन के तरीके के आधार पर हाइड्रोजन को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है: ग्रे, ब्लू, और ग्रीन।

  1. ग्रे हाइड्रोजन: इसे कोयला या लिग्नाइट गैसीकरण या प्राकृतिक गैस/मीथेन के स्टीम मीथेन रिफॉर्मेशन (SMR) द्वारा उत्पादित किया जाता है। ये प्रक्रियाएं कार्बन-गहन होती हैं।
  2. ब्लू हाइड्रोजन: इसे प्राकृतिक गैस या कोयले के गैसीकरण द्वारा उत्पादित किया जाता है, जिसमें कार्बन कैप्चर स्टोरेज (CCS) या कार्बन कैप्चर यूज (CCU) तकनीकें शामिल होती हैं, ताकि कार्बन उत्सर्जन को कम किया जा सके।
  3. ग्रीन हाइड्रोजन: इसे पानी के इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा उत्पादित किया जाता है, जहां बिजली नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से उत्पन्न होती है। इसका कार्बन उत्सर्जन उस बिजली स्रोत की कार्बन तटस्थता पर निर्भर करता है (यानी, जितनी अधिक नवीकरणीय ऊर्जा, उतना ही अधिक “ग्रीन” हाइड्रोजन)।

Explore our courses: https://apnipathshala.com/courses/

Explore Our test Series: https://tests.apnipathshala.com/

Scroll to Top