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सरकार ने बासमती चावल पर से न्यूनतम मूल्य (फ्लोर प्राइस) हटाया

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भारत सरकार ने बासमती चावल के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए बासमती चावल के निर्यात पर से न्यूनतम मूल्य (फ्लोर प्राइस) हटाने का निर्णय लिया है।

न्यूनतम मूल्य (फ्लोर प्राइस):

न्यूनतम मूल्य या फ्लोर प्राइस किसी वस्तु या सेवा के लिए निर्धारित की गई न्यूनतम कीमत होती है, जिससे कम पर उस वस्तु या सेवा को बेचा नहीं जा सकता। इसे सरकार या किसी अन्य अधिकृत संस्था द्वारा निर्धारित किया जाता है।

न्यूनतम मूल्य निर्धारित करने के कारण:

  • किसानों की आय सुरक्षा: कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम मूल्य निर्धारित करने का मुख्य उद्देश्य किसानों की आय को सुरक्षित करना होता है। इससे किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य मिलता है और वे खेती जारी रखने के लिए प्रेरित होते हैं।
  • उत्पादन को बढ़ावा देना: कुछ मामलों में, न्यूनतम मूल्य निर्धारित करके सरकार किसी विशेष उत्पाद के उत्पादन को बढ़ावा देना चाहती है।
  • घरेलू उद्योगों की रक्षा: न्यूनतम मूल्य से घरेलू उद्योगों को सस्ते आयात से बचाया जा सकता है।

भारत में न्यूनतम मूल्य:

भारत में सरकार कई कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) निर्धारित करती है। MSP वह न्यूनतम कीमत है जो सरकार किसानों को उनकी फसल के लिए देती है। MSP का उद्देश्य किसानों की आय को सुरक्षित करना और कृषि उत्पादन को बढ़ावा देना है।

हालिया निर्णय:

  • वर्तमान में, घरेलू चावल की पर्याप्त उपलब्धता और व्यापारिक चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने बासमती चावल के निर्यात पर से न्यूनतम मूल्य को पूरी तरह से हटा दिया है।
  • कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) अब बासमती चावल के निर्यात अनुबंधों की बारीकी से निगरानी करेगा ताकि किसी भी गैर-यथार्थवादी मूल्य निर्धारण और निर्यात प्रक्रियाओं में पारदर्शिता बनी रहे।

पृष्ठभूमि:

  • अगस्त 2023 में, घरेलू चावल की कमी और गैर-बासमती सफेद चावल पर निर्यात प्रतिबंध के कारण बासमती चावल की पहचान में संभावित गलत वर्गीकरण को रोकने के लिए 1,200 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन (एमटी) का न्यूनतम मूल्य तय किया गया था।
  • अक्टूबर 2023 में विभिन्न व्यापार निकायों और हितधारकों के अनुरोध के बाद, इस न्यूनतम मूल्य को तर्कसंगत बना कर 950 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन कर दिया गया था।
  • अब इस न्यूनतम मूल्य को पूरी तरह से हटा कर, भारत सरकार बासमती चावल के निर्यात को और बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रही है।

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