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हाल ही में ईरान ने काइम-100 रॉकेट के जरिए अपने चमरान-1 अनुसंधान उपग्रह को सफलतापूर्वक कक्षा में प्रक्षेपित किया। यह प्रक्षेपण ईरान के एयरोस्पेस कार्यक्रम के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, जिसे पश्चिमी देशों द्वारा बैलिस्टिक मिसाइल विकास के लिए संभावित खतरे के रूप में देखा जा रहा है। उपग्रह को 550 किलोमीटर की कक्षा में स्थापित किया गया है और इसका उद्देश्य कक्षीय पैंतरेबाज़ी तकनीक का परीक्षण करना है।
क्षेत्रीय तनाव के बीच प्रक्षेपण:
इस उपग्रह प्रक्षेपण के समय मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव का माहौल है, विशेष रूप से चल रहे इजरायल-हमास संघर्ष के कारण। इसके अलावा, यह प्रक्षेपण महसा अमिनी की मृत्यु की दूसरी वर्षगांठ के साथ मेल खाता है, जिसने ईरान में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया था।
पश्चिमी देशों की चिंताएं और ईरान की प्रतिक्रिया:
इस प्रक्षेपण ने संयुक्त राज्य अमेरिका सहित पश्चिमी देशों में चिंताओं को जन्म दिया है, जो इसे ईरान के अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) कार्यक्रम से जोड़कर देख रहे हैं। हालांकि, ईरान का कहना है कि उसकी अंतरिक्ष गतिविधियाँ पूरी तरह से नागरिक और रक्षात्मक उद्देश्यों के लिए हैं।
ईरान के नए राष्ट्रपति के तहत पहला प्रक्षेपण:
यह प्रक्षेपण इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ईरान के नए राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन के कार्यकाल के तहत पहला सफल प्रक्षेपण है। राष्ट्रपति पेजेशकियन की इस कार्यक्रम पर भविष्य की रणनीति अभी तक स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह प्रक्षेपण उनके प्रशासन की ओर से महत्वपूर्ण कदम है।
अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM):
अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) एक प्रकार की बैलिस्टिक मिसाइल है जो एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है। ये मिसाइलें आमतौर पर परमाणु हथियारों से लैस होती हैं और किसी भी देश के लिए एक प्रमुख रणनीतिक हथियार माना जाता है।
ICBM की विशेषताएं
- दूरी: ICBM की अधिकतम दूरी 5,500 किलोमीटर से अधिक होती है, जिससे वे दुनिया के किसी भी कोने को निशाना बना सकते हैं।
- गति: ये मिसाइलें अत्यधिक गति से यात्रा करती हैं, जिससे दुश्मन के पास उन्हें रोकने का बहुत कम समय होता है।
- परमाणु हथियार: ICBM आमतौर पर परमाणु हथियारों से लैस होते हैं, जो विनाशकारी क्षमता रखते हैं।
- समन्वित प्रणाली: ICBM को एक जटिल प्रणाली के साथ नियंत्रित किया जाता है, जिसमें लक्ष्यीकरण, मार्गदर्शन और प्रक्षेपण शामिल हैं।
ICBM का विकास और उपयोग
- शीत युद्ध: ICBM का विकास शीत युद्ध के दौरान हुआ था, जब अमेरिका और सोवियत संघ के बीच परमाणु हथियारों की होड़ चल रही थी।
- परमाणु निवारण: ICBM का मुख्य उद्देश्य परमाणु निवारण होता है, जिसका मतलब है कि एक देश दूसरे देश पर परमाणु हमला करने की हिम्मत नहीं करेगा क्योंकि उसे पता होगा कि वह भी परमाणु हमले का सामना करेगा।
- आधुनिक युग: आज भी कई देशों के पास ICBM हैं, और इनका उपयोग एक रणनीतिक हथियार के रूप में किया जाता है।
ICBM की चुनौतियां
- रक्षा: ICBM को रोकना बहुत मुश्किल है, क्योंकि वे अत्यधिक गति से यात्रा करते हैं और दुश्मन के पास उन्हें रोकने का बहुत कम समय होता है।
- नियंत्रण: ICBM को नियंत्रित करना भी एक चुनौती है, क्योंकि इनमें जटिल प्रणालियां होती हैं और किसी भी गलती से विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।
- प्रसार: ICBM का प्रसार एक प्रमुख चिंता का विषय है, क्योंकि इन हथियारों के अधिक देशों के हाथ में जाने से वैश्विक सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।
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