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हाल ही में, कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के तहत कंपनी रजिस्ट्रार (आरओसी) ने कंपनी अधिनियम के प्रावधानों के कथित उल्लंघन के लिए दो दर्जन से अधिक निधि कंपनियों पर कार्रवाई की है। निधि कंपनियाँ सामान्यतः भारत के गैर-बैंकिंग वित्तपोषण क्षेत्र में कार्य करती हैं और अपने सदस्यों को धन उधार देने और बचत की आदत विकसित करने का काम करती हैं।
निधि कंपनी की विशेषताएँ और कानूनी आवश्यकता
निधि कंपनी को कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 406 के तहत मान्यता प्राप्त होती है और इसे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होती। इसके गठन के लिए न्यूनतम सात सदस्यों की आवश्यकता होती है, जिनमें से तीन सदस्य कंपनी के निदेशक होने चाहिए।
निधि कंपनियों की निषिद्ध गतिविधियाँ
- चिट फंड, किराया-खरीद वित्त, पट्टा वित्त, बीमा या प्रतिभूति कारोबार में संलग्न नहीं हो सकती हैं।
- केवल अपने सदस्यों से ही धन स्वीकार करने और उधार देने की अनुमति है; अन्य किसी भी व्यक्ति से राशि स्वीकार करना या देना सख्त वर्जित है।
- निधि कंपनियाँ किसी भी तरीके, नाम या रूप में वरीयता शेयर, डिबेंचर या अन्य ऋण साधन जारी नहीं कर सकतीं।
- अपने सदस्यों के नाम पर चालू खाते खोलने की अनुमति नहीं है।
कंपनी अधिनियम के उल्लंघन पर कार्रवाई
हाल की कार्रवाई का उद्देश्य निधि कंपनियों के द्वारा कंपनी अधिनियम की शर्तों और नियमों का पालन सुनिश्चित करना है और वित्तीय अनुशासन बनाए रखना है।
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