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जैव ईंधन और सतत विमानन ईंधन (एसएएफ)

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श्री हरदीप एस. पुरी, भारत के पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री, और ब्राजील संघीय गणराज्य के खान एवं ऊर्जा मंत्री महामहिम श्री एलेक्जेंडर सिल्वेरा के बीच बैठक में ऊर्जा सहयोग और सतत विकास पर चर्चा की गई। इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच तेल एवं गैस क्षेत्र, जैव ईंधन, और सतत विमानन ईंधन (SAF) के उत्पादन और उपयोग को लेकर सहयोग को बढ़ावा देना था।

मुख्य बिंदु:

  1. ऊर्जा क्षेत्र में मौजूदा सहयोग की समीक्षा:
    • भारतीय कंपनियों के निवेश से ब्राजील भारतीय तेल और गैस कंपनियों के लिए सबसे बड़ा गंतव्य बन गया है।
    • नए निवेश अवसर और भारतीय कंपनियों की उपस्थिति बढ़ाने पर चर्चा हुई।
  2. जैव ईंधन सहयोग:
    • दोनों देश वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन के संस्थापक सदस्य हैं।
    • जैव ईंधन को ऊर्जा स्रोतों में बदलाव का प्रमुख घटक माना गया, जो पर्यावरणीय स्थिरता और सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान देगा।
  3. सतत विमानन ईंधन (SAF) पर सहयोग:
    • दोनों पक्षों ने SAF उत्पादन और उपयोग के लिए साझेदारी की संभावना पर जोर दिया।
    • SAF को विमानन क्षेत्र में नेट जीरो लक्ष्य को प्राप्त करने का महत्वपूर्ण साधन माना गया है।
    • SAF उत्पादन के लिए आवश्यक अवसंरचना, कच्चे माल, और लागत चुनौतियों पर चर्चा की गई।
  4. SAF उत्पादन में सहयोग के लिए पांच मुख्य मार्ग:
    • इथेनॉल उत्पादन का अधिकतम उपयोग।
    • प्रौद्योगिकी विनिमय और अनुसंधान एवं विकास (R&D) में सहयोग।
    • निवेश को प्रोत्साहित करने वाली नीतिगत व्यवस्थाएँ साझा करना।
    • उत्पादन प्रक्रियाओं के तकनीकी स्तर को उन्नत करना।
    • ICAO जैसे बहुपक्षीय मंचों में सहयोग बढ़ाना।

व्यापक साझेदारी के लाभ:

  • रोजगार सृजन, आयात निर्भरता में कमी, और नवीकरणीय ऊर्जा में नवाचार के जरिए दोनों देश सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में कदम बढ़ाएंगे।
  • विमानन के कार्बन उत्सर्जन को कम करने में इस साझेदारी का वैश्विक स्तर पर बड़ा योगदान होगा।

यह सहयोग भारत और ब्राजील के बीच सतत विकास और ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा और दोनों देश स्वच्छ और हरित भविष्य की दिशा में अग्रसर होंगे।

सतत विमानन ईंधन (SAF) क्या हैं?

  • सतत विमानन ईंधन (Sustainable Aviation Fuel) एक टिकाऊ तरल ईंधन है जिसे वाणिज्यिक विमानन में उपयोग किया जाता है, और इसका मुख्य उद्देश्य विमानन से होने वाले CO2 उत्सर्जन को 80% तक कम करना है। यह कई प्रकार के स्रोतों (फ़ीडस्टॉक) से तैयार किया जा सकता है, जैसे:
  1. अपशिष्ट तेल और वसा
  2. हरा कचरा और नगरपालिका अपशिष्ट
  3. गैर-खाद्य फसलें
  • इसके अतिरिक्त, SAF को कृत्रिम रूप से भी उत्पन्न किया जा सकता है, जो एक ऐसी प्रक्रिया के माध्यम से होता है जिसमें कार्बन को सीधे हवा से पकड़ा जाता है। यह ‘टिकाऊ’ इसलिए माना जाता है क्योंकि इसमें उपयोग होने वाला कच्चा फीडस्टॉक खाद्य फसलों या जल संसाधनों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं करता है और न ही यह वन क्षरण के लिए उत्तरदायी होता है।
  • SAF और जीवाश्म ईंधन में मुख्य अंतर यह है कि जीवाश्म ईंधन से मिलने वाला कार्बन पहले से बंद कार्बन को रिलीज़ करके CO2 के स्तर को बढ़ाता है, जबकि SAF उस CO2 को रीसाइकिल करता है जिसे बायोमास ने अपने जीवनकाल में अवशोषित किया था। इस प्रकार, SAF से उत्पन्न CO2 वातावरण में नए उत्सर्जन को नहीं बढ़ाता।
  • अब तक, नौ जैव ईंधन उत्पादन मार्गों को एसएएफ उत्पादन के लिए प्रमाणित किया गया है, और यह जेट ए1 ईंधन के प्रदर्शन के बराबर स्तर पर काम करता है। SAF को “ड्रॉप-इन” समाधान के रूप में डिज़ाइन किया गया है, जो हवाई अड्डों के मौजूदा ईंधन बुनियादी ढांचे में सीधे मिश्रित किया जा सकता है और आधुनिक विमानों के साथ पूरी तरह से संगत है।

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