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खगोलविदों ने कोडईकनाल सौर वेधशाला में सूर्य के 100 वर्षों के दैनिक रिकॉर्ड का उपयोग करते हुए पहली बार सूर्य के क्रोमोस्फीयर की घूर्णन गति में होने वाले परिवर्तन का मानचित्रण किया है। यह शोध सूर्य के आंतरिक कार्यों की पूरी तस्वीर प्रस्तुत करने में सहायक हो सकता है।
क्रोमोस्फीयर के महत्वपूर्ण बिंदु:
- सूर्य की घूर्णन गति:
- पृथ्वी के विपरीत, जो हर जगह समान गति से घूमती है, सूर्य के विभिन्न भाग विभिन्न गति से घूर्णन करते हैं।
- सूर्य की भूमध्य रेखा अपने ध्रुवों की तुलना में अधिक तेजी से घूमती है। भूमध्य रेखा को एक चक्कर पूरा करने में 25 दिन लगते हैं, जबकि ध्रुवों को 35 दिन लगते हैं।
- विभेदक घूर्णन: इस घूर्णन गति में अंतर को विभेदक घूर्णन कहा जाता है। यह सौर चुंबकीय क्षेत्र और सौर गतिविधियों के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है।
- शोध विधि:
- भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए) के खगोलविदों ने कोडईकनाल सौर वेधशाला द्वारा बनाए गए सूर्य के 100 वर्षों के रिकॉर्ड से सौर प्लेज और नेटवर्क का उपयोग किया।
- यह वेधशाला इस वर्ष अपनी 125वीं वर्षगांठ मना रही है।
- डेटा संग्रहण: क्रोमोस्फीयर का दस्तावेजीकरण फोटोग्राफिक प्लेटों और फिल्मों के माध्यम से किया गया, जिसे हाल ही में बड़े प्रारूप वाले सीसीडी कैमरे का उपयोग करके डिजिटलीकरण किया गया।
- परिणाम:
- शोध से यह पता चला कि प्लेज और नेटवर्क दोनों विशेषताओं ने समान घूर्णन दर प्रदर्शित की, जो सूर्य के आंतरिक भाग में संभावित साझा उत्पत्ति का संकेत देती है।
- अध्ययन में विभिन्न अक्षांशों पर इन विशेषताओं की घूर्णन अवधि का पता लगाया गया, जिससे सूर्य के विभेदक घूर्णन की स्पष्ट तस्वीर सामने आई।
शोध का महत्व: इस अध्ययन से प्राप्त जानकारी सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र और गतिविधियों को समझने में महत्वपूर्ण है, और यह भविष्य के अनुसंधान के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करता है। शोधपत्र एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ है, जिसका शीर्षक “इक्वेटर टू पोल सोलर क्रोमोस्फेरिक डिफरेंशियल रोटेशन यूजिंग सीए-के फीचर्स डेयुव्युड फ्रॉम कोडाइकनाल डेटा” है।
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