चर्चा में क्यों ?
हाल ही में SEBI के एक अध्ययन में पाया गया कि लगभग 75% लोग, जिन्होंने फ्यूचर्स और ऑप्शंस ट्रेडिंग (futures and options trading ) में पैसे गंवाए, इसके बावजूद बाजार में ट्रेडिंग जारी रखी।
मुख्य बिन्दु:
नुकसान का कुल आंकड़ा (Total loss figure): FY22-FY24 के दौरान 1 करोड़ से अधिक फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) ट्रेडर्स ने ₹1.81 लाख करोड़ का नुकसान किया।
- FY24 में अकेले यह संख्या ₹75,000 करोड़ थी।
91% ट्रेडर्स का नुकसान (91% traders lost): FY24 में व्यक्तिगत F&O ट्रेडर्स का 91% से अधिक हिस्से ने पैसे गंवाए, जो लगभग 73 लाख ट्रेडर्स के बराबर है।
युवा ट्रेडर्स की बढ़ती संख्या (Growing number of young traders):
- FY24 में 43% F&O ट्रेडर्स की उम्र 30 वर्ष से कम थी, जबकि FY23 में यह 31% थी।
- इस आयु समूह में नुकसान की दर 93% थी, जो कुल 91% की तुलना में अधिक है।
नुकसान के बावजूद ट्रेडिंग जारी रखना (Continuing to trade despite losses): लगभग 75% लोग, जिन्होंने फ्यूचर्स और ऑप्शंस ट्रेडिंग में पैसे खोए, फिर भी बाजार में ट्रेडिंग जारी रखे हुए हैं।
- इनमें से तीन चौथाई ने वार्षिक आय ₹5 लाख से कम घोषित की।
प्रोप्रायटरी ट्रेडर्स और FPIs का लाभ (Profits by proprietary traders and FPIs):
- प्रोप्रायटरी ट्रेडर्स और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने क्रमशः ₹33,000 करोड़ और ₹28,000 करोड़ का लाभ कमाया।
- FPIs और प्रोप्रायटरी ट्रेडर्स के लाभ का अधिकांश हिस्सा “algo entities” से आया, जो एल्गोरिदम का उपयोग करके ट्रेड करती हैं।
अस्थिरता का स्तर (Volatility levels): फ्यूचर्स और ऑप्शंस स्वाभाविक रूप से अस्थिर होते हैं। पिछले तीन वर्षों में ऑप्शंस F&O ट्रेडर्स के लिए सबसे पसंदीदा विकल्प रहे हैं।
व्यक्तिगत ट्रेडर्स का अतिरिक्त नुकसान (Additional losses incurred by individual traders):
- व्यक्तिगत ट्रेडर्स ने डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट्स में लगभग ₹50,000 करोड़ का नुकसान उठाया, जिसमें आधा ब्रोकरेज चार्ज था।
- इसके अलावा, ₹13,800 करोड़ का नुकसान सेबी ट्रांजैक्शन टैक्स, स्टाम्प ड्यूटी, और जीएसटी में हुआ।
- FY24 में, व्यक्तिगत ट्रेडर्स ने औसतन ₹26,000 ट्रांजैक्शन लागत के रूप में खर्च किए।
फ्यूचर्स और ऑप्शंस ट्रेडिंग में नुकसान(Losses in futures vs options):
- फ्यूचर्स ट्रेडिंग में 60% लोगों ने नुकसान उठाया, जबकि ऑप्शंस में 90% से अधिक ने अपना पैसा खोया।
SEBI के नियमों में परिवर्तन (Changes in SEBI rules): अध्ययन महत्वपूर्ण है क्योंकि SEBI ने एक महीने पहले F&O नियमों में बदलाव की घोषणा की थी, जिसका उद्देश्य निवेशकों (investors) की सुरक्षा करना है।
युवा ट्रेडर्स में उच्च हानि दर (High loss rate among young traders):
- युवा ट्रेडर्स की संख्या में वृद्धि (Increase in number of young traders): FY23 में 31% से FY24 में युवा ट्रेडर्स (30 वर्ष से कम आयु) का अनुपात 43% तक बढ़ गया है।
- आयु और हानि का संबंध (Relationship between age and loss): यह देखा गया कि ट्रेडर्स की आयु हानि की संभावना के विपरीत अनुपात में थी। जैसे-जैसे ट्रेडर्स की आयु बढ़ी, F&O में हानि बनाने वालों का प्रतिशत घटा।
- अनुभव का प्रभाव (Effect of experience): वृद्ध ट्रेडर्स की तुलना में युवा ट्रेडर्स में बेहतर जोखिम प्रबंधन या जोखिम से बचाव की प्रवृत्ति का संकेत मिलता है, जो अनुभव के कारण हो सकता है।
- युवा ट्रेडर्स का हानि प्रतिशत (Loss percentage of young traders): FY24 में 30 वर्ष से कम आयु के युवा ट्रेडर्स में हानि बनाने वालों का प्रतिशत 93% था, जो अन्य आयु समूहों की तुलना में अधिक है।
- वृद्ध ट्रेडर्स का हानि प्रतिशत (Losing percentage of older traders): FY24 में 60 वर्ष से अधिक आयु के वृद्ध ट्रेडर्स में हानि बनाने वालों का प्रतिशत 79% था, जो युवा ट्रेडर्स की तुलना में कम है।
महिला ट्रेडर्स की तुलना में पुरुषों में हानि का अधिक प्रतिशत (Higher percentage of losers among men than women traders):
- महिला ट्रेडर्स की तुलना में, पुरुष ट्रेडर्स में F&O में हानि बनाने वालों का अनुपात हर वर्ष कम रहा। FY24 में 9% पुरुष ट्रेडर्स ने F&O में हानि बनाई, जबकि 86.3% महिला ट्रेडर्स ने हानि बनाई।
- FY24 में, महिला ट्रेडर्स ने प्रति व्यक्ति औसतन ₹75,973 की हानि उठाई, जबकि पुरुष ट्रेडर्स की औसत हानि ₹88,804 रही।
वित्त वर्ष 2023-24 में मुनाफा और नुकसान का विश्लेषण (Analysis of profits and losses in FY 2023-24):
रिपोर्ट के अनुसार, जबकि व्यक्तिगत निवेशकों को फ्यूचर्स और ऑप्शंस सेगमेंट में नुकसान हुआ, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ( foreign portfolio investors) और वित्तीय संस्थानों ( financial institutions- FPIs) ने मुनाफा कमाया। वित्तीय संस्थानों ने वित्त वर्ष 2023-24 में फ्यूचर्स और ऑप्शंस सेगमेंट (futures and options segment) में लगभग 33,000 करोड़ रुपये का सकल लाभ अर्जित किया। इसके बाद एफपीआई (FPIs) का स्थान रहा, जिसने लगभग 28,000 करोड़ रुपये का सकल मुनाफा कमाया।
इसके विपरीत, व्यक्तियों और अन्य निवेशकों को वित्त वर्ष 2023-24 में (लेन-देन लागत को छोड़कर) 61,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ। युवा कारोबारियों (30 वर्ष से कम आयु) की भागीदारी इस वित्तीय वर्ष में बढ़कर 43 प्रतिशत हो गई, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 31 प्रतिशत थी। इनमें से लगभग 93 प्रतिशत युवा कारोबारियों को वित्त वर्ष 2023-24 में वायदा और विकल्प खंड में घाटा हुआ।
फ्यूचर्स और ऑप्शंस की परिभाषा )Definition of Futures and Options):
फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट (Futures Contract): फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट (Futures Contract) एक कानूनी बंधनकारी समझौता है जिसमें एक पक्ष (खरीदार) भविष्य की एक निश्चित तारीख पर किसी विशेष संपत्ति को खरीदने या दूसरे पक्ष (विक्रेता) द्वारा बेचने की सहमति देता है। इस समझौते में संपत्ति के मूल्य को पहले से निर्धारित किया जाता है।
ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट (Options Contract): ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट एक समझौता है जो खरीदार को एक निश्चित अवधि के भीतर एक विशेष संपत्ति को खरीदने (कॉल ऑप्शन) या बेचने (पुट ऑप्शन) का अधिकार देता है, लेकिन यह उसे ऐसा करने के लिए बाध्य नहीं करता।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India (SEBI)
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) भारत में प्रतिभूति बाजार के नियमन के लिए एक वैधानिक निकाय (statutory body) है। इसकी स्थापना 1988 में हुई थी, लेकिन इसे 1992 में एक वैधानिक स्थिति दी गई।
मुख्य उद्देश्य (Main Objectives):
- प्रतिभूति बाजार का नियमन (Regulation of securities market): SEBI का मुख्य कार्य प्रतिभूति बाजार के सही और पारदर्शी संचालन को सुनिश्चित करना है।
- निवेशकों का संरक्षण (Protection of investors): यह निवेशकों के हितों की रक्षा करता है और उन्हें धोखाधड़ी और गलत जानकारी से बचाता है।
- बाजार की विश्वसनीयता (Credibility of the market): SEBI का उद्देश्य बाजार की विश्वसनीयता बढ़ाना है, जिससे अधिक से अधिक लोग निवेश कर सकें।
- अनियमितताओं की रोकथाम (Prevention of irregularities): यह प्रतिभूति बाजार में अनियमितताओं और धोखाधड़ी की रोकथाम करता है।
- शिक्षा और जागरूकता (Education and awareness): SEBI निवेशकों को वित्तीय शिक्षा और जागरूकता प्रदान करता है, जिससे वे बेहतर निवेश निर्णय ले सकें।
संरचना (Structure):
- अध्यक्ष: SEBI का नेतृत्व एक अध्यक्ष द्वारा किया जाता है, जो केंद्रीय सरकार द्वारा नियुक्त होता है।
- सदस्य: आयोग में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ होते हैं, जैसे वित्त, कानून, और प्रबंधन।
मुख्य कार्य (Main Functions):
- नियम और दिशा-निर्देश बनाना (Making rules and guidelines): SEBI प्रतिभूति बाजार के लिए नियम और दिशा-निर्देश बनाता है, जो सभी प्रतिभूति कंपनियों और ब्रोकरों के लिए लागू होते हैं।
- मौजूदा नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करना (Ensuring compliance with existing regulations): यह सुनिश्चित करता है कि सभी कंपनियां और ब्रोकर अपने कार्यों में SEBI के नियमों का पालन करें।
- संबंधित मामलों की जांच (Investigation of related matters): SEBI उन मामलों की जांच करता है जहां प्रतिभूति बाजार में अनियमितताएँ पाई जाती हैं।
- निवेशकों की शिकायतों का निवारण (Redressal of investors’ grievances): SEBI निवेशकों की शिकायतों का समाधान करता है और उन्हें आवश्यक सहायता प्रदान करता है।
महत्व (Importance):
SEBI का कार्य न केवल प्रतिभूति बाजार को सुदृढ़ बनाने में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत की आर्थिक वृद्धि में भी एक केंद्रीय भूमिका निभाता है। यह बाजार की पारदर्शिता और विश्वास को बनाए रखने में मदद करता है, जिससे अधिक निवेशकों को आकर्षित किया जा सके।
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