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भारत ने स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारकों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई

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भारत ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र में आयोजित जी-20 संयुक्त वित्त-स्वास्थ्य कार्यबल की उच्च स्तरीय बैठक के दौरान स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारकों (Social Determinants of Health, SDH) को प्राथमिकता देते हुए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारक ऐसे गैर-चिकित्सीय कारक होते हैं, जो स्वास्थ्य के परिणामों को प्रभावित करते हैं। ये कारक उन परिस्थितियों से संबंधित होते हैं, जिनमें लोग जन्म लेते हैं, बड़े होते हैं, काम करते हैं और रहते हैं।

स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारक (SDH) क्या हैं?

स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारक (SDH) वे परिस्थितियाँ हैं, जो स्वास्थ्य परिणामों पर प्रभाव डालती हैं, जैसे:

  • शिक्षा: उच्च शिक्षा स्तर स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देता है।
  • आय और सामाजिक सुरक्षा: बेहतर आय और सुरक्षा से स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में सुधार होता है।
  • खाद्य असुरक्षा: पौष्टिक भोजन की कमी स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
  • आवास और कार्य स्थितियां: सुरक्षित आवास और अच्छी कार्य स्थितियां स्वस्थ जीवन को प्रोत्साहित करती हैं।
  • बेरोजगारी: नौकरी की असुरक्षा और बेरोजगारी मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और SDH

WHO ने SDH पर काम करते हुए 2040 तक तीन मुख्य लक्ष्य निर्धारित किए हैं:

  1. जीवन प्रत्याशा में असमानता को आधा करना
  2. वयस्क मृत्यु दर को आधा करना
  3. शिशु और मातृ मृत्यु दर में 90-95% तक कमी लाना

भारत का दृष्टिकोण और प्रयास

भारत ने एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाते हुए “सम्पूर्ण सरकार और एक स्वास्थ्य” नीति पर जोर दिया है, जिसका उद्देश्य विभिन्न सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय कारकों के बीच संतुलन स्थापित करना है। इसके तहत भारत ने निम्नलिखित कार्यक्रमों की शुरुआत की है:

  • आयुष्मान भारत: यह सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करने के लिए सबसे बड़ा सरकारी स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम है।
  • स्वच्छ भारत मिशन: इस अभियान का उद्देश्य स्वच्छता और स्वच्छता सेवाओं की पहुंच बढ़ाना है।
  • जल जीवन मिशन: इस योजना के माध्यम से प्रत्येक ग्रामीण परिवार को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है।
  • प्रधानमंत्री आवास योजना: इसका उद्देश्य सभी को किफायती आवास प्रदान करना है।

भारत ने स्वास्थ्य प्रणालियों को बेहतर बनाने के लिए G-20 देशों से डेटा संग्रह और विश्लेषण पर एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया है। साथ ही, भारत स्वास्थ्य असमानताओं को कम करने और स्वास्थ्य इक्विटी को बढ़ावा देने के लिए “स्वास्थ्य के लिए ऋण अदला-बदली” जैसी संभावनाओं की भी तलाश कर रहा है, जिससे आर्थिक तनाव को कम किया जा सके।

यह दृष्टिकोण स्वास्थ्य परिणामों में सुधार लाने के साथ ही भारत की सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की ओर बढ़ने की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा के बारे में:

संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly – UNGA) संयुक्त राष्ट्र (United Nations) का मुख्य परामर्शदाता, नीति निर्माण और प्रतिनिधिकरण अंग है। इसकी स्थापना 1945 में संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत की गई थी, और यह सभी सदस्य देशों के प्रतिनिधियों का एक मंच है। महासभा के निर्णय और सिफारिशें सदस्य देशों के लिए मार्गदर्शक होती हैं, और यह विश्व के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा का प्रमुख स्थान है।

महासभा की प्रमुख विशेषताएं:

  1. सदस्यता:
    • महासभा में संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 सदस्य देशों का प्रतिनिधित्व होता है।
    • हर देश के पास महासभा में एक वोट होता है, चाहे उसका आकार, आर्थिक स्थिति या जनसंख्या कोई भी हो।
  2. प्रमुख कार्य:
    • अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा से संबंधित विषयों पर चर्चा और सिफारिशें करना।
    • संयुक्त राष्ट्र के बजट का अनुमोदन करना और इसके कार्यक्रमों और एजेंसियों के वित्तीय प्रबंधन का निरीक्षण करना।
    • महासचिव की नियुक्ति और सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्यों के चुनाव में भाग लेना।
    • अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और संधियों पर विचार करना।
    • विकासशील देशों के लिए सहायता और विकासशील नीतियों पर कार्य करना।
    • विश्व में मानवाधिकारों के संरक्षण और संवर्धन के लिए पहल करना।
  3. सत्र:
    • महासभा का नियमित वार्षिक सत्र प्रत्येक वर्ष सितंबर में न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में शुरू होता है।
    • विशेष सत्र संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद या सदस्य देशों की मांग पर बुलाई जा सकती है।
  4. प्रमुख समितियां:
    • महासभा के कार्यों को छह प्रमुख समितियों में विभाजित किया गया है:
      1. प्रथम समिति (अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और निरस्त्रीकरण से संबंधित)
      2. द्वितीय समिति (आर्थिक और वित्तीय)
      3. तृतीय समिति (सामाजिक, मानवाधिकार और सांस्कृतिक)
      4. चौथी समिति (विशेष राजनीतिक और उपनिवेशीकरण)
      5. पांचवीं समिति (प्रशासनिक और बजटीय)
      6. छठी समिति (कानूनी)
  5. महासभा के प्रस्ताव:
    • महासभा के द्वारा पारित किए गए प्रस्ताव अनुशंसा होते हैं, जो बाध्यकारी नहीं होते हैं, परंतु उनका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नैतिक और राजनैतिक प्रभाव होता है।
    • सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के विपरीत, महासभा के प्रस्तावों का अनुपालन अनिवार्य नहीं होता।
  6. महासभा के अध्यक्ष:
    • महासभा का अध्यक्ष प्रत्येक वर्ष चुना जाता है और उसकी जिम्मेदारी महासभा के सत्रों का संचालन करना होता है।
    • अध्यक्ष का कार्यकाल एक वर्ष का होता है और यह सदस्य देशों के बीच क्षेत्रीय आधार पर चुना जाता है।

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