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राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) की 57वीं कार्यकारी समिति बैठक

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हाल ही में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) की कार्यकारी समिति (EC) की 57वीं बैठक में विभिन्न राज्यों में प्रमुख परियोजनाओं को मंजूरी दी गई।

प्रमुख परियोजनाएं:

  1. बिहार के कटिहार:
    • परियोजना लागत: 350 करोड़ रुपये
    • उद्देश्य: जल निकासी और सीवेज प्रबंधन में सुधार।
    • मुख्य सुविधाएं: रोजितपुर में 35 एमएलडी का एसटीपी और शरीफगंज में 20.5 एमएलडी का एसटीपी का निर्माण।
    • मॉडल: डीबीओटी (डिजाइन, बिल्ड, ऑपरेट और ट्रांसफर)।
  2. उत्तर प्रदेश के अलीगढ़:
    • परियोजना लागत: 488 करोड़ रुपये
    • उद्देश्य: इंटरसेप्शन, डायवर्जन और एसटीपी परियोजना।
    • मुख्य सुविधाएं: 65 एमएलडी और 48 एमएलडी के दो एसटीपी।
    • समय सीमा: 24 महीने के भीतर पूरा किया जाना है।
  3. बिहार के सुपौल:
    • परियोजना लागत: 76.69 करोड़ रुपये
    • उद्देश्य: तीन एसटीपी और छह इंटरसेप्शन एवं डायवर्जन संरचनाओं का निर्माण।
  4. उत्तराखंड:
    • परियोजना लागत: 2.5 करोड़ रुपये
    • उद्देश्य: मौजूदा एसटीपी पर को-ट्रीटमेंट सेप्टेज का प्रबंधन।
  5. महाकुंभ 2025:
    • आईईसी गतिविधियों के लिए: 30 करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दी गई है, जिसमें ‘पेंट माई सिटी’ और गंगा से संबंधित विषयों पर दीवार पेंटिंग शामिल है।

अन्य महत्वपूर्ण निर्णय:

  • पीआईएएस परियोजना: प्रदूषण संबंधी सूची, मूल्यांकन और निगरानी के लिए जनशक्ति का पुनर्गठन।
  • ऑनलाइन सतत प्रवाह निगरानी प्रणाली: गंगा नदी बेसिन में मौजूदा एसटीपी की निगरानी को मजबूत करने के लिए 33 करोड़ रुपये की परियोजना।
  • छोटी नदियों के संरक्षण के लिए प्रयोगशाला परियोजना: 13 करोड़ रुपये के निवेश के साथ।
  • कुकरैल घड़ियाल पुनर्वास केन्द्र में संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम: 2 करोड़ रुपये की लागत से।

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG):

·       राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) की स्थापना 12 अगस्त 2011 को सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत एक सोसाइटी के रूप में की गई थी।

·       यह राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (NGRBA) की कार्यान्वयन शाखा के रूप में कार्य करता था, जिसे पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (EPA), 1986 के प्रावधानों के तहत गठित किया गया था।

·       वर्ष 2016 में NGRBA का विघटन कर दिया गया और इसकी जगह राष्ट्रीय गंगा नदी कायाकल्प, संरक्षण एवं प्रबंधन परिषद ने ले ली।

उद्देश्य:

·       NMCG का मुख्य उद्देश्य गंगा नदी के प्रदूषण को कम करना और उसके कायाकल्प को सुनिश्चित करना है। इसके अंतर्गत “नमामि गंगे” कार्यक्रम शामिल है, जो गंगा को साफ करने के लिए NMCG के प्रमुख कार्यक्रमों में से एक है।

·       यह जल की गुणवत्ता को सुधारने और पर्यावरणीय रूप से सतत विकास को सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक योजना और प्रबंधन को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखता है।

·       इसके लिए, नदी में न्यूनतम पारिस्थितिक प्रवाह को बनाए रखने हेतु अंतरक्षेत्रीय समन्वय को बढ़ावा दिया जाता है।

संगठनात्मक संरचना: NMCG की संरचना में भारत के गंगा नदी के पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और कमी के उपायों के लिए पांच स्तरीय संरचना का प्रावधान किया गया है:

  1. राष्ट्रीय गंगा परिषद: अध्यक्ष: भारत के माननीय प्रधानमंत्री।
  2. गंगा नदी पर सशक्त कार्य बल (ETF): अध्यक्ष: माननीय केंद्रीय जल शक्ति मंत्री (जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग)।
  3. राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG): कार्यान्वयन और प्रबंधन के लिए जिम्मेदार।
  4. राज्य गंगा समितियाँ: राज्यों में गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों से सटे प्रत्येक निर्दिष्ट जिलों में।
  5. जिला गंगा समितियाँ: स्थानीय स्तर पर कार्यान्वयन और निगरानी के लिए जिम्मेदार।

निष्कर्ष: इन परियोजनाओं का उद्देश्य गंगा नदी के संरक्षण और स्वच्छता में सुधार लाना है, साथ ही 2025 में महाकुंभ के दौरान स्वच्छता और जागरूकता बढ़ाना है।

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