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कोरियाई युद्ध : उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया की सीमा पर अजीब और भयावह आवाजें प्रसारित करना शुरू कर दिया है, जिसे “ध्वनि बमबारी” कहा जा रहा है, जिससे सीमा के पास बसे गांवों में लोगों का जीवन असहनीय हो गया है।
डिमिलिटराइज्ड ज़ोन (DMZ) के पास स्थित डैंगसन गांव के निवासियों का कहना है कि ये लगातार आने वाली आवाजें उनकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी को मुश्किल बना रही हैं और मानसिक तनाव का कारण बन रही हैं।
उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच लगातार बढ़ते तनाव का सबसे अधिक प्रभाव सीमावर्ती क्षेत्रों पर पड़ा है। इस बार उत्तर कोरिया द्वारा लाउडस्पीकरों के माध्यम से मनोवैज्ञानिक युद्ध छेड़ा गया है। विशेष रूप से डांगसन गांव में, जहां तनाव के चलते स्थानीय निवासियों का जीवन मुश्किल हो गया है।
- उत्तर कोरिया की लाउडस्पीकर रणनीति
- उत्तर कोरिया द्वारा लाउडस्पीकरों के माध्यम से मनोवैज्ञानिक युद्ध छेड़ा गया है।
- ये लाउडस्पीकर घंटों तक चीखें, गूंज और डरावने शोर प्रसारित करते हैं।
- उद्देश्य: दक्षिण कोरियाई नागरिकों को मानसिक रूप से कमजोर करना।
- गांववासियों पर प्रभाव
- जनसंख्या: डांगसन गांव में कुल 354 निवासी, जिनमें अधिकांश बुजुर्ग हैं।
- स्वास्थ्य समस्याएं:
- लगातार अनिद्रा और सिरदर्द की शिकायतें।
- मानसिक तनाव और डर का माहौल।
- पशुधन पर प्रभाव: शोर के चलते पशु भी असामान्य व्यवहार कर रहे हैं।
- दिनचर्या बाधित:
- खिड़कियां और दरवाजे बंद रखने की मजबूरी।
- बच्चे घर से बाहर खेलने में हिचकिचा रहे हैं।
- कुछ ने शोर से बचने के लिए स्टायरोफोम इन्सुलेशन का सहारा लिया है।
- समुदाय की प्रतिक्रिया
- स्थानीय नेता गांव का दौरा कर सहानुभूति जता चुके हैं।
- अभी तक स्थिति सुधारने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
- ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
- कोरियाई युद्ध (1950-53) बिना किसी शांति संधि के समाप्त हुआ।
- वर्षों से दोनों देशों के बीच तनाव और अविश्वास बढ़ा है।
- उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन ने संवाद बंद कर सख्त नीति अपनाई।
- दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल
- उत्तर कोरिया में स्वतंत्रता और सूचना प्रवाह को बढ़ावा देने की वकालत कर रहे हैं।
- पुराने समझौतों को पुनर्जीवित कर शांति वार्ता की आवश्यकता पर जोर दिया।
- हालिया घटनाएं और तनाव
- उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया से जुड़े रेल और सड़क नेटवर्क को नुकसान पहुंचाया।
- जीपीएस सिग्नल बाधित करने जैसी घटनाएं भी दर्ज की गई हैं।
- सीमा पर ये कार्रवाइयां तनाव को और भड़काने का काम कर रही हैं।
- समाधान की दिशा में सुझाव
- सीमावर्ती क्षेत्रों में नागरिकों की सुरक्षा के लिए विशेष कदम उठाए जाएं।
- शांति वार्ता: दोनों देशों को पुराने समझौतों पर पुनर्विचार कर संवाद का रास्ता अपनाना चाहिए।
- तनाव कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता और सहयोग की आवश्यकता।
डांगसन गांव की स्थिति “गोलों के बिना बमबारी” जैसी हो गई है। इस संवेदनशील माहौल में, दोनों देशों को जल्द से जल्द शांति और स्थिरता बहाल करने के उपाय अपनाने चाहिए।
कोरियाई युद्ध (1950-1953): विस्तृत विवरण
युद्ध की शुरुआत और पृष्ठभूमि कोरियाई युद्ध 25 जून 1950 को उत्तर कोरिया द्वारा दक्षिण कोरिया पर आक्रमण करने से शुरू हुआ। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, कोरिया को 38वें समानांतर (Parallel) पर दो हिस्सों में विभाजित किया गया था:
- उत्तर कोरिया: सोवियत संघ द्वारा समर्थित साम्यवादी शासन।
- दक्षिण कोरिया: अमेरिका द्वारा समर्थित लोकतांत्रिक शासन। दोनों हिस्सों में विचारधाराओं और राजनीतिक तनावों के कारण युद्ध की स्थिति उत्पन्न हुई। दोनों पक्षों का उद्देश्य पूरे कोरिया को अपनी-अपनी विचारधारा के तहत एकजुट करना था।
कोरियाई युद्ध के प्रमुख कारण
- कोरिया का विभाजन:
- WWII के बाद कोरिया को अस्थायी रूप से दो हिस्सों में विभाजित किया गया। 38वें समानांतर के उत्तर में साम्यवादी और दक्षिण में लोकतांत्रिक सरकार स्थापित हुई।
- उत्तर कोरियाई आक्रमण:
- जून 1950 में, उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया पर हमला किया, ताकि पूरे कोरिया को साम्यवादी शासन के तहत लाया जा सके।
- शीत युद्ध का प्रभाव:
- अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध ने कोरिया को एक प्रॉक्सी युद्धक्षेत्र बना दिया। चीन और सोवियत संघ ने उत्तर कोरिया का समर्थन किया, जबकि अमेरिका ने दक्षिण कोरिया का समर्थन किया।
- सीमावर्ती झड़पें:
- 1950 से पहले उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच सीमा पर कई सैन्य संघर्ष हो चुके थे।
- कूटनीतिक असफलताएं:
- संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रयास दोनों पक्षों के बीच शांति स्थापित करने में विफल रहे। सोवियत संघ ने सुरक्षा परिषद का बहिष्कार किया, जिससे शांति प्रयासों में बाधा उत्पन्न हुई।
युद्ध का घटनाक्रम
- उत्तर कोरिया का आक्रमण (जून 1950):
- उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल पर कब्जा कर लिया और बसान परिधि (Busan Perimeter) तक दक्षिण कोरिया और अमेरिकी सेना का आखिरी ठिकाना रह गया।
- अमेरिकी नेतृत्व में जवाबी हमला (सितंबर 1950):
- अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र (UN) की सेनाओं ने इंचॉन लैंडिंग के माध्यम से उत्तर कोरिया की सेनाओं को पीछे धकेल दिया। UN बलों ने 38वें समानांतर को पार करते हुए प्योंगयांग (उत्तर कोरिया की राजधानी) पर कब्जा कर लिया।
- चीन का हस्तक्षेप (अक्टूबर 1950):
- जब UN बल चीनी सीमा के पास पहुंचे, तो चीन ने बड़ी संख्या में सैनिकों को भेजकर हमला किया। चीनी सेना ने UN बलों को पीछे हटने पर मजबूर किया और सियोल पर फिर से कब्जा कर लिया।
- युद्ध का स्थिरीकरण (1951-1953):
- 1951 में, UN और अमेरिकी सेनाओं ने उत्तर कोरियाई सेना को 38वें समानांतर तक पीछे धकेल दिया, और युद्ध एक गतिरोध में बदल गया। इस दौरान, जेट विमानों के बीच हवा में पहली बार युद्ध हुआ।
- अस्त्र-समझौता (जुलाई 1953):
- जुलाई 1953 में, युद्ध समाप्त हुआ लेकिन केवल एक अस्त्र-समझौते पर हस्ताक्षर हुए। कोई स्थायी शांति संधि नहीं हुई।
युद्ध के परिणाम
- भौगोलिक स्थिति:
- उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच कोरियाई गैर-सैन्यीकृत क्षेत्र (DMZ) बनाया गया, जो लगभग 2.5 मील चौड़ा और 150 मील लंबा है। इस क्षेत्र में आज भी भारी सैन्य उपस्थिति बनी हुई है।
- विनाश:
- युद्ध में लगभग 30 लाख लोग मारे गए, जिनमें अधिकांश नागरिक थे। लाखों परिवारों का विभाजन हुआ।
- आर्थिक और सामाजिक प्रभाव:
- दक्षिण कोरिया ने युद्ध के बाद अमेरिकी सहायता से पुनर्निर्माण शुरू किया। उत्तर कोरिया ने साम्यवादी शासन के तहत एक बंद अर्थव्यवस्था अपनाई।
- राजनीतिक प्रभाव:
- दोनों देश अब भी तकनीकी रूप से युद्ध की स्थिति में हैं। सीमा पर अक्सर तनाव और झड़पें होती रहती हैं।
- अंतरराष्ट्रीय प्रभाव:
- कोरियाई युद्ध ने अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध को और गहरा कर दिया और एशिया में अमेरिकी नीति को मजबूत किया, जो कम्युनिज़्म के खिलाफ थी।
वर्तमान स्थिति और महत्व
- कोरियाई युद्ध का स्थायी समाधान आज भी अधूरा है, और दोनों देश 38वें समानांतर पर विभाजित हैं। DMZ आज भी दुनिया के सबसे खतरनाक सीमावर्ती क्षेत्रों में से एक है।
- यह युद्ध शीत युद्ध के प्रभाव और वैश्विक राजनीति में कोरियाई प्रायद्वीप के महत्व को दर्शाता है।
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