Download Today Current Affairs PDF
‘सागरमंथन- द ग्रेट ओशंस डायलॉग’ दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा समुद्री नेतृत्व शिखर सम्मेलन है, जो भारत सरकार के बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW) और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) के संयुक्त प्रयास से आयोजित किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य सतत और नवाचारी समुद्री प्रथाओं को प्रोत्साहित करना है। इसमें 61 देशों के प्रतिनिधि और 1,700 से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए, जिनमें वैश्विक नीति निर्माता, उद्योग जगत के अग्रणी, शोधकर्ता और समुद्री विशेषज्ञ उपस्थित रहे।
सागरमंथन- द ग्रेट ओशंस डायलॉग के मुख्य बिंदु
- सागरमंथन- द ग्रेट ओशंस डायलॉगआयोजन का उद्देश्य
- सतत और नवाचारी समुद्री प्रथाओं को बढ़ावा देना।
- वैश्विक समुद्री नेतृत्व और सहयोग को प्रोत्साहित करना।
- प्रतिभागी
- 61 देशों के प्रतिनिधि।
- 1,700+ प्रतिभागी, जिनमें नीति निर्माता, उद्योग जगत के अग्रणी और शोधकर्ता शामिल।
- भारत का समुद्री दृष्टिकोण
- मैरीटाइम विजन 2047:
- सततता, कनेक्टिविटी और प्रौद्योगिकी पर आधारित खाका।
- महत्वपूर्ण पहलें:
- सागरमाला और मैरीटाइम अमृत काल विजन।
- समुद्री व्यापार में भारत को अग्रणी बनाने की दिशा में काम।
- मैरीटाइम विजन 2047:
- सरकार का निवेश और विकास योजनाएँ
- समुद्री अवसंरचना के विकास में 80 लाख करोड़ रुपये का निवेश।
भारत का समुद्री क्षेत्र: व्यापार और रणनीतिक महत्व
भारत का समुद्री क्षेत्र देश की व्यापार और वाणिज्य प्रणाली की रीढ़ के रूप में कार्य करता है। यह न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है, बल्कि वैश्विक नौवहन और व्यापार में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है।
मुख्य तथ्य और योगदान
- व्यापार में योगदान: भारत का समुद्री क्षेत्र देश के कुल व्यापार का लगभग 95% मात्रा और 70% मूल्य संभालता है।
- यह भारत को अंतरराष्ट्रीय व्यापार के एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करता है।
- बंदरगाह बुनियादी ढांचा: देश में 12 प्रमुख बंदरगाह और 200 से अधिक अधिसूचित छोटे और मध्यवर्ती बंदरगाह हैं।
- यह बुनियादी ढांचा भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करता है।
- वैश्विक नौवहन में भूमिका:
- भारत दुनिया का सोलहवां सबसे बड़ा समुद्री राष्ट्र है।
- पूर्वी एशिया, अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका के बीच यात्रा करने वाले अधिकांश मालवाहक जहाज भारतीय जल क्षेत्र से होकर गुजरते हैं।
भारत का समुद्री क्षेत्र: प्रमुख उपलब्धियाँ और योगदान
- वैश्विक शिपिंग में बढ़ती उपस्थिति
- 2023 तक भारत के पास अपने झंडे के नीचे 1,530 जहाजों का बेड़ा है।
- जहाज रीसाइक्लिंग के मामले में भारत टन भार के आधार पर दुनिया में तीसरे स्थान पर है।
- बंदरगाह बुनियादी ढाँचे में विस्तार
- 2014-15 से 2023-24 के बीच प्रमुख बंदरगाहों की वार्षिक कार्गो-हैंडलिंग क्षमता में01% वृद्धि (871.52 मिलियन टन से 1,629.86 मिलियन टन)।
- वित्तीय वर्ष 2024 में22 मिलियन टन कार्गो का प्रबंधन, जो पिछले वर्ष की तुलना में 4.45% अधिक है।
- निर्यात में वृद्धि
- वित्तीय वर्ष 2023 में वाणिज्यिक निर्यात 451 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचा, जो वित्तीय वर्ष 2022 के 417 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है।
- स्थायित्व और टिकाऊ विकास
- जहाज रीसाइक्लिंग और बंदरगाह आधुनिकीकरण टिकाऊ समुद्री कार्यप्रणालियों और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की भूमिका को मजबूत करते हैं।
प्रमुख निवेश योजनाएँ
- बंदरगाह बुनियादी ढांचे के लिए USD 82 बिलियन (2035 तक)।
- वधावन, महाराष्ट्र में नया बंदरगाह: जून 2024 में ₹76,220 करोड़ (USD 9.14 बिलियन) की लागत से मंजूर।
- शिपबिल्डिंग वित्तीय सहायता नीति: प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए ₹337 करोड़ (USD 40.40 मिलियन) की सहायता।
समुद्री क्षेत्र में सरकारी योजनाएँ:
- सागरमाला कार्यक्रम
- समुद्री भारत दृष्टि (MIV) 2030
- अंतर्देशीय जलमार्ग विकास
- ग्रीन टग ट्रांज़िशन प्रोग्राम (GTTP)
Explore our Books: https://apnipathshala.com/product-category/books/
Explore Our test Series: https://tests.apnipathshala.com/