बाबासाहेब डॉ. बी.आर. आंबेडकर की 69वीं पुण्यतिथि के अवसर पर महापरिनिर्वाण दिवस 6 दिसंबर, 2024 को केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तत्वाधान में डॉ. आंबेडकर फाउंडेशन (डीएएफ) द्वारा संसद भवन के परिसर में स्थित प्रेरणा स्थल पर मनाया जाएगा।
महापरिनिर्वाण दिवस के बारे में:
- महापरिनिर्वाण दिवस भारत में डॉ. भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है। यह दिन उनके योगदान, विचारों, और समाज सुधार के प्रति समर्पण को याद करने के लिए 6 दिसंबर को मनाया जाता है।
- महापरिनिर्वाण का अर्थ: बौद्ध धर्म में परिनिर्वाण का तात्पर्य मृत्यु के पश्चात मोक्ष या पूर्ण शांति से है। यह एक अवस्था है जिसमें व्यक्ति संसार के दुखों और बंधनों से मुक्त हो जाता है। इसे महापरिनिर्वाण कहा जाता है। भगवान बुद्ध की मृत्यु (महापरिनिर्वाण) को इसी सिद्धांत का आधार माना जाता है।
- डॉ. भीमराव अंबेडकर और महापरिनिर्वाण दिवस:
- डॉ. अंबेडकर ने सामाजिक न्याय और समानता के लिए अपना जीवन समर्पित किया। उन्होंने बौद्ध धर्म को अपनाकर जाति-आधारित असमानता और भेदभाव का विरोध किया।
- 6 दिसंबर 1956 को उनके निधन के बाद उनकी पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस कहा जाने लगा, विशेष रूप से उनकी बौद्ध नेता की भूमिका और सामाजिक सुधारों के लिए।
डॉ. अंबेडकर का जीवन और योगदान:
जन्म और शिक्षा
- जन्म: 14 अप्रैल, 1891, महू (मध्य प्रदेश)।
- ‘भारतीय संविधान के जनक’ और स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री।
- उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से उच्च शिक्षा प्राप्त की।
मुख्य उपलब्धियां
- भारतीय संविधान निर्माण:
- संविधान की मसौदा समिति के अध्यक्ष।
- समानता, स्वतंत्रता, और धर्मनिरपेक्षता को संविधान के प्रमुख सिद्धांतों में शामिल किया।
- समाज सुधार:
- जाति प्रथा और अस्पृश्यता के खिलाफ आंदोलन।
- महिलाओं और दलितों के अधिकारों के लिए संघर्ष।
- हिंदू कोड बिल: महिलाओं के लिए संपत्ति और विवाह के अधिकार सुनिश्चित करने के उद्देश्य से प्रस्तावित।
संगठन और प्रकाशन:
- संगठन:
- बहिष्कृत हितकारिणी सभा (1923)।
- स्वतंत्र लेबर पार्टी (1936)।
- अनुसूचित जाति फेडरेशन (1942)।
- पत्रिकाएँ:
- मूकनायक (1920)।
- बहिष्कृत भारत (1927)।
- समता (1929)।
- जनता (1930)।
- पुस्तकें:
- जाति प्रथा का विनाश।
- बुद्ध और उनका धम्म।
- बुद्ध या कार्ल मार्क्स।
बौद्ध धर्म और दीक्षा
- 14 अक्टूबर, 1956 को नागपुर में बौद्ध धर्म स्वीकार किया।
- उन्होंने लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया, जिसे भारत में दलित आंदोलन का महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया।
मृत्यु
- 6 दिसंबर, 1956 को निधन।
- मुंबई स्थित चैत्य भूमि उनका स्मारक स्थल है।
वर्तमान प्रासंगिकता:
- जातिगत असमानता: आज भी भारत में जाति आधारित भेदभाव और असमानता बनी हुई है।
- सामाजिक और आर्थिक सुधार: दलितों की राजनीतिक पहचान मजबूत हुई है, लेकिन सामाजिक और आर्थिक स्तर पर चुनौतियाँ बरकरार हैं।
- संवैधानिक नैतिकता: सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए डॉ. अंबेडकर की संवैधानिक नैतिकता को संरक्षित करना आवश्यक है।
महापरिनिर्वाण दिवस का महत्त्व:
- यह दिन डॉ. अंबेडकर के विचारों और उनके द्वारा समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए किए गए प्रयासों को सम्मानित करने का अवसर है।
- इस अवसर पर लाखों लोग चैत्य भूमि जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनके आदर्शों को अपनाने का संकल्प लेते हैं।
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