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SAARC का 40वां चार्टर दिवस

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दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) चार्टर पर हस्ताक्षर की 40वीं वर्षगांठ 8 दिसंबर को मनाई गई। यह चार्टर 8 दिसंबर 1985 को ढाका में पहले शिखर सम्मेलन में हस्ताक्षरित हुआ था।

दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC):

परिचय:

  • सार्क (SAARC) दक्षिण एशिया के देशों के बीच क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक आंतर्राष्ट्रीय संगठन है।
  • इसकी स्थापना 8 दिसंबर 1985 को ढाका, बांग्लादेश में हुई थी।

स्थापना:

  • प्रस्तावना: 1980 में बांग्लादेश के राष्ट्रपति जियाउर रहमान ने क्षेत्रीय सहयोग का प्रस्ताव रखा।
  • पहले सदस्य: 7 संस्थापक सदस्य देश – बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका
  • आठवां सदस्य: अफगानिस्तान 2007 में संगठन में शामिल हुआ।

उद्देश्य:

  1. क्षेत्रीय कल्याण: दक्षिण एशिया के लोगों का कल्याण और जीवन स्तर सुधारना
  2. आर्थिक और सामाजिक विकास: आर्थिक वृद्धि, सामाजिक प्रगति, और सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा देना।
  3. आपसी सहयोग: विज्ञान, तकनीक, अर्थव्यवस्था, समाज, और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना।
  4. आत्मनिर्भरता: सदस्य देशों के बीच आत्मनिर्भरता और विश्वास को मजबूत करना।
  5. वैश्विक सहयोग: विकासशील देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करना।

मुख्य सिद्धांत:

  • समानता और संप्रभुता का सम्मान।
  • क्षेत्रीय अखंडता और आंतरिक मामलों में गैरहस्तक्षेप
  • सर्वसम्मति के आधार पर निर्णय लेना।

महत्व:

  • क्षेत्रीय क्षेत्रफल: विश्व का 3% क्षेत्रफल
  • जनसंख्या: 21% वैश्विक जनसंख्या
  • वैश्विक अर्थव्यवस्था: 5.21% (4.47 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर) का योगदान (2021 के अनुसार)।

सहयोग के मुख्य क्षेत्र:

  1. व्यापार और वाणिज्य: दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (SAFTA): 2006 से लागू, शुल्क दरों में कमी और मुक्त व्यापार को बढ़ावा देता है।
  2. सेवा क्षेत्र का व्यापार (SATIS): 2012 में लागू, सेवा क्षेत्र के व्यापार को उदार बनाने और आंतरिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए समझौता।

SAARC की उपलब्धियां:

  • मुक्त व्यापार क्षेत्र (FTA): सदस्य देशों के बीच व्यापार बढ़ाने और व्यापार घाटा कम करने के लिए स्थापित।
  • SAPTA (1995): दक्षिण एशियाई वरीयता व्यापार समझौता।
  • SAFTA (2006): वस्तुओं के लिए शुल्कों को समाप्त करने के लिए एक मुक्त व्यापार समझौता।
  • SATIS: सेवा क्षेत्र में व्यापार को बढ़ावा देने के लिए समझौता।
  • सार्क विश्वविद्यालय: भारत में स्थापित एक प्रमुख शैक्षणिक संस्थान।

भारत के लिए SAARC का महत्व:

  • पड़ोसी प्रथम नीति: भारत के निकटवर्ती देशों को प्राथमिकता।
  • भूराजनीतिक महत्व: नेपाल, भूटान, मालदीव और श्रीलंका जैसे देशों के साथ विकास और सहयोग से चीन के प्रभाव को कम कर सकता है।
  • क्षेत्रीय स्थिरता: आपसी विश्वास और शांति स्थापित करने में सहायक।
  • वैश्विक नेतृत्व: भारत को क्षेत्रीय नेतृत्व की भूमिका निभाने का मंच प्रदान करता है।
  • एक्ट ईस्ट नीति: दक्षिण एशियाई अर्थव्यवस्थाओं को दक्षिण पूर्व एशिया से जोड़कर भारत की आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देता है।

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