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भारत, ईरान और आर्मेनिया त्रिपक्षीय वार्ता

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हाल ही में भारत, ईरान और आर्मेनिया के बीच दूसरी त्रिपक्षीय वार्ता नई दिल्ली में आयोजित की गई। इस बैठक का उद्देश्य आपसी सहयोग को मजबूत करना और क्षेत्रीय और वैश्विक चुनौतियों का समाधान खोजना था।

भारत, ईरान और आर्मेनिया त्रिपक्षीय वार्ता के मुख्य चर्चा बिंदु:

  1. संपर्क बढ़ाने की रणनीतियाँ:
    • अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) के तहत सहयोग को प्रोत्साहित करने पर सहमति बनी।
    • चाबहार बंदरगाह की भूमिका को क्षेत्रीय संपर्क में एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में रेखांकित किया गया।
  2. वैश्विक मंचों पर सहयोग: तीनों देशों ने वैश्विक मंचों में अपनी सामूहिक भागीदारी बढ़ाने और प्रभाव को मजबूत करने के उपायों पर विचार किया।
  3. क्षेत्रीय स्थिरता और शांति: क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख घटनाक्रमों और सुरक्षा मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श हुआ।
  4. व्यापार, पर्यटन और सांस्कृतिक संबंध:
    • व्यापार, पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए रणनीतिक योजनाओं पर चर्चा की गई।
    • आपसी संबंध और लोगों के बीच संपर्क मजबूत करने के प्रयासों पर जोर दिया गया।
  5. आर्मेनिया की संपर्क परियोजना:
    • आर्मेनिया ने अपनी “द क्रॉसरोड्स ऑफ पीस” परियोजना का विवरण साझा किया, जिसका उद्देश्य कैस्पियन सागर को भूमध्य सागर और फारस की खाड़ी को काला सागर से जोड़ने वाले परिवहन मार्गों को विकसित करना है।
    • उज़्बेकिस्तान जैसे देश INSTC और चाबहार बंदरगाह का उपयोग कर बाजार पहुंच बढ़ाने में रुचि दिखा रहे हैं। यह पहल चीन की विवादित क्षेत्रों से गुजरने वाली बेल्ट एंड रोड परियोजना का एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करती है, जिसका भारत विरोध करता है।

चाबहार बंदरगाह क्या है?

चाबहार बंदरगाह

  • स्थान: ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित गहरे पानी का बंदरगाह।
  • महत्व: फारस की खाड़ी और ओमान की खाड़ी के पास स्थित, यह भारत के गुजरात के कांडला बंदरगाह से लगभग 550 समुद्री मील दूर है।
  • ढांचा: इसमें दो टर्मिनल हैं – शाहिद बेहेश्ती (भारत की निवेशित परियोजना) और शाहिद कलंतरी।
  • क्षमता: पूर्ण विकास के बाद 82 मिलियन टन वार्षिक माल ढुलाई क्षमता।

भारत, ईरान और आर्मेनिया के बीच सहयोग के बढ़ते आयाम:

भारत और ईरान के संबंध:

  • भारत और ईरान ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत साझा करते हैं।
  • चाबहार बंदरगाह दोनों देशों के बीच एक प्रमुख संपर्क केंद्र है।
  • भारत ने चाबहार बंदरगाह के विकास में सहायता के लिए $25 मिलियन के उपकरण, जिनमें छह मोबाइल हार्बर क्रेन शामिल हैं, प्रदान किए हैं।
  • यह बंदरगाह भारत को मध्य एशिया और अफगानिस्तान तक पहुंचने के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग और ईरान के लिए फारस की खाड़ी से जुड़ने का वैकल्पिक रास्ता प्रदान करता है।

ईरान और आर्मेनिया के संबंध:

  • ईरान और आर्मेनिया की आपस में सीमा साझा है और उनके बीच मजबूत आर्थिक और कूटनीतिक संबंध हैं।
  • पिछले वर्ष ईरान ने आर्मेनिया के कापन शहर में एक वाणिज्य दूतावास खोला।
  • दोनों देश व्यापार और आर्थिक सहयोग को बढ़ाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं, जिसमें आर्मेनिया ईरान को यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन तक पहुंचने के लिए एक महत्वपूर्ण ट्रांजिट मार्ग प्रदान करता है।

त्रिपक्षीय सहयोग की संभावनाएँ: भारत, ईरान और आर्मेनिया के बीच त्रिपक्षीय सहयोग व्यापार, निवेश, ऊर्जा और परिवहन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में मजबूत साझेदारी का मार्ग प्रशस्त करेगा।

 

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