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भारत ने थाईलैंड द्वारा वर्चुअल रूप से आयोजित 24वीं BIMSTEC वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक (SOM) में भाग लिया।
बिम्सटेक (BIMSTEC) के बारे में:
- स्थापना: बिम्सटेक की स्थापना 1997 में बैंकॉक घोषणा पत्र को अपनाने के साथ हुई।
- उद्देश्य: बंगाल की खाड़ी क्षेत्र के देशों के बीच बहुआयामी तकनीकी और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना।
- मुख्यालय: 3वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन (म्यांमार) में बिम्सटेक सचिवालय की स्थापना ढाका, बांग्लादेश में की गई।
- सदस्य देश: बिम्सटेक के सात सदस्य देश हैं – बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड।
Source: https://www.ncmrwf.gov.in/bcwc
- संरचना: यह पांच स्तरों में कार्य करता है:
- शिखर सम्मेलन (राज्य/सरकार के प्रमुख)
- मंत्री स्तरीय बैठक (विदेश मंत्री)
- क्षेत्रीय मंत्री स्तरीय बैठकें (संबंधित क्षेत्र के मंत्री)
- वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक (विदेश सचिव/वरिष्ठ अधिकारी)
- स्थायी कार्य समिति (राष्ट्रीय संपर्क बिंदुओं के वरिष्ठ अधिकारी)।
नाम परिवर्तन का इतिहास:
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- प्रारंभ में इसे “बिस्ट-ईसी” (BIST-EC) कहा गया और इसमें चार सदस्य थे – बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड।
- 1997 में म्यांमार के जुड़ने के बाद इसे “बिम्सट-ईसी” (BIMST-EC) नाम दिया गया।
- 2004 में नेपाल और भूटान के शामिल होने पर इसका नाम “बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल” (Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation) रखा गया।
बिम्सटेक का महत्व:
- क्षेत्रीय सहयोग: बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में कभी गहरा आपसी जुड़ाव था, लेकिन स्वतंत्रता के बाद यह सहयोग घट गया।
- बिम्सटेक का उद्देश्य देशों के बीच कनेक्टिविटी और साझा हितों को पुनर्जीवित करना है।
- क्षेत्र-आधारित सहयोग: बिम्सटेक अन्य क्षेत्रीय संगठनों जैसे सार्क या आसियान से अलग तरीके से कार्य करता है।
- यह सहयोग के क्षेत्रों को सदस्यों के बीच विभाजित करता है, जैसे भारत परिवहन, पर्यटन और आतंकवाद विरोधी क्षेत्रों का नेतृत्व करता है।
- भारत की नीति के अनुरूप: बिम्सटेक भारत की “एक्ट ईस्ट” नीति और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में उसके व्यापक उद्देश्यों के साथ मेल खाता है।
- सार्क से बदलाव:
- 2016 के उरी हमले के बाद, भारत ने सार्क से बिम्सटेक की ओर ध्यान केंद्रित किया क्योंकि भारत-पाकिस्तान तनाव के कारण सार्क की प्रगति रुक गई थी।
- बिम्सटेक क्षेत्रीय सहयोग के लिए एक वैकल्पिक मंच बन गया।
- भूमि और समुद्री व्यापार की क्षमता:
- बिम्सटेक में भूमि और समुद्री व्यापार की बड़ी क्षमता है।
- हालांकि, सदस्य देशों को सीमा पार व्यापार, समुद्री व्यापार, और साझा तटीय शिपमेंट प्रणाली विकसित करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
बिम्सटेक की चुनौतियां और बाधाएं:
- धीमी प्रगति: कार्यक्षमता की कमी और धीमी गति से कार्यान्वयन प्रमुख चुनौतियां हैं।
- वित्तीय और संचालन संबंधी समस्याएं: बिम्सटेक सचिवालय को वित्तीय संसाधनों और जनशक्ति की कमी का सामना करना पड़ता है।
- राजनीतिक समस्याएं: आंतरिक संघर्ष, जैसे रोहिंग्या संकट, भारत-नेपाल सीमा विवाद, और म्यांमार की राजनीतिक अस्थिरता, प्रगति में बाधा बने हुए हैं।
- समुद्री और मत्स्य पालन संबंधी मुद्दे: बंगाल की खाड़ी लाखों लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है, लेकिन तटीय शिपमेंट और मत्स्य पालन के मुद्दों पर सहयोग अपर्याप्त रहा है।