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संदर्भ:
अमेरिका ने रूस के साथ तेल व्यापार पर रोक लगाने के उद्देश्य से रूस की ‘शैडो फ्लीट‘ को निशाना बनाते हुए प्रतिबंध लगाए हैं। यह कदम माल ढुलाई लागत (freight cost) बढ़ा सकता है, जिससे भारत पश्चिम एशिया के तेल आपूर्तिकर्ताओं को प्रभावित कर सकता है।
रूस की ‘शैडो फ्लीट‘ क्या है?
‘शैडो फ्लीट’ एक ऐसा टैंकर नेटवर्क है, जो रूसी तेल को गुप्त रूप से अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाने में मदद करता है।
शैडो फ्लीट की प्रमुख विशेषताएं:
- पोतों के स्वामित्व में पारदर्शिता की कमी: जहाजों का स्वामित्व जटिल कॉर्पोरेट संरचनाओं और शेल कंपनियों के माध्यम से छिपाया जाता है।
- शिप-टू-शिप ट्रांसफर (समुद्र में तेल का हस्तांतरण):
- तेल को समुद्र में एक जहाज से दूसरे जहाज में स्थानांतरित किया जाता है।
- इसका उद्देश्य तेल की उत्पत्ति को छिपाना और अंतिम गंतव्य तक पहुंचाना होता है।
- अनुकूल झंडों (Flags of Convenience) का उपयोग: तेल जहाज ऐसे देशों के झंडों के तहत संचालित होते हैं, जिनकी नियामक निगरानी कमजोर होती: है।
- पुराने जहाजों का बेड़ा: शैडो फ्लीट में पुराने टैंकर शामिल होते हैं, जो रखरखाव लागत अधिक होने और कम दक्षता के कारण मुख्यधारा के संचालन के लिए कम उपयुक्त माने जाते हैं।
- भ्रामक गतिविधियां और धोखाधड़ी:
- AIS ट्रैकिंग बंद करना: जहाजों के स्थान को छिपाने के लिए ऑटोमैटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (AIS) को बंद कर दिया जाता है।
- दस्तावेजों में हेरफेर: कार्गो की उत्पत्ति के दस्तावेजों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया जाता है।
- गलत रिपोर्टिंग: कार्गो के स्रोत की जानकारी को गलत तरीके से पेश किया जाता है, ताकि इसे पहचानने से बचा जा सके।
भारत पर प्रभाव:
- रूस से तेल आपूर्ति पर निर्भरता: 2024 में रूस, भारत का सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता रहा, जो भारत के कुल आयात का लगभग 38% था।
- प्रतिबंधों से व्यापार में रुकावट:
- भारतीय रिफाइनर मार्च 12 तक मौजूदा अनुबंधों को पूरा कर सकते हैं।
- इसके बाद प्रतिबंध भारत-रूस तेल व्यापार को बाधित कर सकते हैं।
- वैकल्पिक आपूर्ति का प्रबंधन: भारत की कुल तेल आपूर्ति स्थिर रहेगी क्योंकि पश्चिम एशिया से वैकल्पिक आपूर्ति आसानी से उपलब्ध है।
भारत पर शैडो फ्लीट का समर्थन करने का आरोप
- रूसी तेल शिपमेंट में वृद्धि: भारतीय कंपनियों और दुबई स्थित भारतीय संबंधों वाली इकाइयों पर रूसी तेल के परिवहन में शामिल होने का आरोप, जिससे प्रतिबंधों को दरकिनार करने का संदेह बढ़ा।
- भारतीय शिपिंग रजिस्टर (IRS) द्वारा प्रमाणन: प्रतिबंधों के बाद, भारतीय शिपिंग रजिस्टर (IRS) ने अधिक जहाजों को प्रमाणित किया जो रूसी तेल से जुड़े थे, जिससे इसे “शैडो फ्लीट” संचालन का समर्थन माना गया।
- फ्लैग ऑफ कंवीनियंस का उपयोग: भारत से जुड़े जहाज अक्सर विदेशी झंडों के तहत पंजीकृत थे, जिससे उनके स्वामित्व और माल के स्रोत को छिपाकर प्रतिबंधों से बचने की आशंका उत्पन्न हुई।
रूस की दुविधा और मूल्य सीमा:
- शैडो फ्लीट पर दबाव: प्रतिबंधों ने रूस की शैडो फ्लीट पर अतिरिक्त दबाव डाला है, जो पश्चिमी प्रतिबंधों से बाहर संचालित होती है।
- $60 प्रति बैरल से कम कीमत पर तेल बेचना: निर्यात जारी रखने के लिए, रूस को पश्चिमी मूल्य सीमा का पालन करते हुए $60 प्रति बैरल से कम पर तेल बेचना पड़ सकता है।
- यह रूस को पश्चिमी शिपिंग और बीमा सुविधाओं का उपयोग करने में मदद करेगा।
- राजस्व में कमी: इस कदम से रूस की आय घटेगी, लेकिन भारत और चीन को तेल निर्यात जारी रखने में मदद मिलेगी।