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केंद्रीय बजट 2025-26: मुख्य बिंदु

केंद्रीय बजट 2025-26: 1 फ़रवरी, 2025 को संसद में केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2025-26 का बजट पेश किया। इस बजट के महत्वपूर्ण बिंदु निम्नलिखित हैं:

बजट अनुमान 2025-26:

  • उधारी को छोड़कर कुल प्राप्तियां 34.96 लाख करोड़ रुपये और कुल व्यय 50.65 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।
  • निवल कर राजस्व 28.37 लाख करोड़ रुपये रहने की संभावना है।
  • राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 4.4% रहने का अनुमान है।
  • सकल बाजार उधारियां 14.82 लाख करोड़ रुपये आंकी गई हैं।
  • पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) 11.21 लाख करोड़ रुपये (GDP का 3.1%) रहने की उम्मीद है।

विकास का पहला इंजन: कृषि

  1. प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना – विकासशील कृषि जिला कार्यक्रम
    • सरकार राज्यों के सहयोग से ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ का शुभारंभ करेगी।
    • इस योजना के तहत 100 ऐसे जिलों को शामिल किया जाएगा, जहाँ कृषि उत्पादकता और ऋण उपलब्धता औसत से कम है।
    • इस पहल से लगभग 1.7 करोड़ किसानों को लाभ मिलेगा।
  2. ग्रामीण समृद्धि और लचीला निर्माण कार्यक्रम
    • राज्यों के साथ मिलकर सरकार ‘ग्रामीण समृद्धि और लचीला निर्माण’ कार्यक्रम शुरू करेगी।
    • यह पहल कौशल विकास, निवेश और तकनीकी नवाचार के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाएगी।
    • पहले चरण में 100 विकासशील कृषि जिलों को शामिल किया जाएगा।
  3. दलहन में आत्मनिर्भरता
    • सरकार तूर, उड़द और मसूर दालों के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए छह वर्षीय “दलहन आत्मनिर्भरता मिशन” प्रारंभ करेगी।
    • केंद्र सरकार की एजेंसियां – नेफेड और एनसीसीएफ अगले चार वर्षों तक इन दालों की खरीद करेंगी।
  4. फल-सब्जी उत्पादन एवं विपणन: राज्यों की सहभागिता से फल एवं सब्जी उत्पादन, आपूर्ति श्रृंखला, प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन हेतु एक समग्र योजना शुरू की जाएगी।
  5. बिहार में मखाना बोर्ड की स्थापना: मखाना उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन को बढ़ावा देने के लिए बिहार में एक विशेष मखाना बोर्ड स्थापित किया जाएगा।
  6. राष्ट्रीय उच्च उत्पादकता बीज मिशन
    • सरकार उन्नत बीजों के अनुसंधान, विकास और प्रसार हेतु ‘राष्ट्रीय उच्च उत्पादकता बीज मिशन’ लाएगी।
    • इसके अंतर्गत 100 से अधिक उच्च गुणवत्ता वाली बीज किस्मों का वाणिज्यिक उत्पादन किया जाएगा।
  7. मत्स्य उद्योग में विस्तार: अंडमान और निकोबार एवं लक्षद्वीप द्वीप समूहों पर विशेष ध्यान देते हुए गहरे समुद्र में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए एक नीति बनाई जाएगी।
  8. कपास उत्पादकता मिशन
    • कपास की उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार के लिए पांच वर्षीय मिशन की शुरुआत होगी।
    • अधिक लंबा रेशा देने वाली कपास की किस्मों को प्राथमिकता दी जाएगी।
  9. किसान क्रेडिट कार्ड की ऋण सीमा वृद्धि: किसान क्रेडिट कार्ड पर ऋण सीमा को 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया जाएगा।
  10. असम में यूरिया संयंत्र की स्थापना: नामरूप, असम में 12.7 लाख मीट्रिक टन वार्षिक उत्पादन क्षमता वाला एक यूरिया संयंत्र स्थापित किया जाएगा।

विकास का दूसरा इंजन: सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME)

  • MSME वर्गीकरण मानदंड में बदलाव: MSME के वर्गीकरण हेतु निवेश एवं कारोबार की सीमा को क्रमशः 2.5 गुना और 2 गुना तक बढ़ाया जाएगा।
  • सूक्ष्म उद्यमों के लिए क्रेडिट कार्ड सुविधा: उद्यम पोर्टल पर पंजीकृत सूक्ष्म उद्यमों के लिए पहले वर्ष में 5 लाख रुपये की सीमा तक 10 लाख कस्टमाइज्ड क्रेडिट कार्ड जारी किए जाएंगे।
  • स्टार्टअप्स के लिए वित्त पोषण कोष: स्टार्टअप्स को समर्थन देने के लिए 10,000 करोड़ रुपये के नए अंशदान के साथ एक नया वित्त पोषण कोष बनाया जाएगा।
  • पहली बार उद्यमियों के लिए विशेष योजना: अगले पांच वर्षों में 5 लाख महिलाओं, अनुसूचित जातियों और जनजातियों के उद्यमियों को 2 करोड़ रुपये तक का सावधि ऋण प्रदान किया जाएगा।
  • फुटवियर और चमड़ा उद्योग हेतु विशेष योजना: इस योजना से 22 लाख रोजगार, 4 लाख करोड़ का कारोबार और 1.1 लाख करोड़ रुपये का निर्यात सुगम होगा।
  • खिलौना उद्योग को प्रोत्साहन: भारत को ‘वैश्विक खिलौना केंद्र’ बनाने के लिए पर्यावरण-अनुकूल और नवीन खिलौनों के निर्माण को बढ़ावा दिया जाएगा।
  • खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में सहायता: बिहार में राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमशीलता और प्रबंधन संस्थान की स्थापना की जाएगी।
  • राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन: ‘मेक इन इंडिया’ पहल को गति देने के लिए लघु, मध्यम और बड़े उद्योगों को सम्मिलित करते हुए एक ‘राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन’ स्थापित किया जाएगा।

विकास का तीसरा इंजन: निवेश

  • सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0: पोषण संबंधी सहायता हेतु बजट में बढ़ोतरी की जाएगी।
  • अटल टिंकरिंग लैब्स का विस्तार: अगले 5 वर्षों में सरकारी स्कूलों में 50,000 अटल टिंकरिंग प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी।
  • ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी: भारत नेट परियोजना के तहत सभी सरकारी माध्यमिक स्कूलों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी दी जाएगी।
  • भारतीय भाषा पुस्तक योजना: शिक्षा के लिए भारतीय भाषाओं में डिजिटल पुस्तकों को बढ़ावा देने हेतु एक विशेष योजना लाई जाएगी।
  • राष्ट्रीय कौशल उत्कृष्टता केंद्र: ‘मेक फॉर इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ दृष्टिकोण के तहत 5 राष्ट्रीय कौशल उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए जाएंगे।
  • IIT में विस्तार: 2014 के बाद स्थापित 5 आईआईटी में 6,500 अतिरिक्त छात्रों के लिए अधोसंरचना का विकास किया जाएगा।
  • एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) केंद्र: शिक्षा में एआई को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपये की लागत से एक उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया जाएगा।
  • चिकित्सा शिक्षा का विस्तार: अगले 5 वर्षों में 75,000 अतिरिक्त मेडिकल सीटें बढ़ाई जाएंगी, जिसमें 2025-26 में 10,000 सीटें जोड़ी जाएंगी।
  • डे-केयर कैंसर केंद्र: अगले 3 वर्षों में सभी जिला अस्पतालों में डे-केयर कैंसर केंद्र स्थापित किए जाएंगे। 2025-26 में 200 केंद्रों की शुरुआत होगी।
  • शहरी आजीविका और PM स्वनिधि योजना
    • शहरी श्रमिकों की आय बढ़ाने हेतु विशेष योजना लाई जाएगी।
    • PM स्वनिधि के तहत 30,000 रुपये तक के ऋण की सुविधा, यूपीआई लिंक्ड क्रेडिट कार्ड और क्षमता विकास सहायता प्रदान की जाएगी।
  • गिग कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा: गिग कामगारों के लिए पहचान पत्र, ई-श्रम पोर्टल पंजीकरण और PM जन आरोग्य योजना के तहत स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।

II. अर्थव्यवस्था में निवेश

  • अवसंरचना में सार्वजनिक-निजी भागीदारी: सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत तीन-वर्षीय परियोजना पाइपलाइन के लिए अवसंरचना मंत्रालयों की स्थापना की जाएगी। राज्यों को भी इस दिशा में प्रोत्साहित किया जाएगा।
  • राज्यों को अवसंरचना सहायता: सुधारों के लिए पूंजीगत व्यय और प्रोत्साहन हेतु राज्यों को 50 वर्षों के ब्याज मुक्त ऋण के रूप में 1.5 लाख करोड़ रुपये आवंटित करने का प्रस्ताव है।
  • परिसंपत्ति मुद्रीकरण योजना 2025-30: 2025-30 के लिए परिसंपत्ति मुद्रीकरण की दूसरी योजना के अंतर्गत 10 लाख करोड़ रुपये की नई परियोजनाएं प्रारंभ की जाएंगी।
  • जल जीवन मिशन का विस्तार: बढ़े हुए वित्तीय आवंटन के साथ जल जीवन मिशन की अवधि को 2028 तक बढ़ाया गया है।
  • शहरी सुधार हेतु चुनौती कोष: एक लाख करोड़ रुपये का शहरी चुनौती कोष स्थापित किया जाएगा, जिसमें 2025-26 के लिए 10 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए जाएंगे। इस कोष का उपयोग रचनात्मक पुनर्विकास, जल प्रबंधन, और स्वच्छता परियोजनाओं के लिए किया जाएगा।
  • परमाणु ऊर्जा के लिए मिशन
    • परमाणु ऊर्जा अधिनियम और नागरिक दायित्व परमाणु क्षति अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव रखा गया है।
    • 20 हजार करोड़ रुपये के बजट के साथ लघु मॉड्यूलर रिएक्टर्स (SMR) के अनुसंधान और विकास के लिए परमाणु ऊर्जा मिशन स्थापित किया जाएगा। 2033 तक 5 स्वदेशी SMR संचालित करने का लक्ष्य है।
  • पोत निर्माण उद्योग में सुधार
    • पोत निर्माण वित्तीय सहायता नीति को पुनर्गठित किया जाएगा।
    • बड़े आकार के पोतों को अवसंरचना सुसंगत मास्टर लिस्ट (HML) में सम्मिलित किया जाएगा।
  • समुद्री विकास कोष: 25 हजार करोड़ रुपये के आवंटन के साथ समुद्री विकास कोष की स्थापना होगी, जिसमें सरकार की हिस्सेदारी 49% होगी और शेष योगदान बंदरगाहों एवं निजी क्षेत्र से प्राप्त होगा।
  • उड़ान क्षेत्रीय संपर्क योजना
    • अगले 10 वर्षों में 120 नए गंतव्यों को जोड़ने और 4 करोड़ यात्रियों को परिवहन सुविधा प्रदान करने हेतु संशोधित उड़ान योजना की घोषणा की गई है।
    • पर्वतीय एवं उत्तर-पूर्व क्षेत्रों में हेलीपैड और छोटे हवाई अड्डों को भी समर्थन मिलेगा।
  • बिहार में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट: बिहार में ग्रीन पटना एयरपोर्ट, बिहटा में ब्राउनफील्ड एयरपोर्ट की क्षमता विस्तार और एक नए ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट की स्थापना की जाएगी।
  • पश्चिमी कोशी नहर परियोजना: बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र में पश्चिमी कोशी नहर परियोजना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
  • खनन क्षेत्र में सुधार: खनन अवशेषों (टेलिंग) से महत्वपूर्ण खनिजों की पुनर्प्राप्ति के लिए एक नई नीति बनाई जाएगी।
  • स्वामिह फंड-II: 1 लाख आवासीय इकाइयों के निर्माण में तेजी लाने के उद्देश्य से सरकार ने 15 हजार करोड़ रुपये के फंड की स्थापना की घोषणा की है।
  • पर्यटन के माध्यम से रोजगार: राज्यों के सहयोग से देश के 50 शीर्ष पर्यटन स्थलों को विकसित करने के लिए विशेष पहल की जाएगी।

III. नवाचार में निवेश

  • अनुसंधान, विकास और नवाचार: पिछले वर्ष घोषित निजी क्षेत्र संचालित अनुसंधान और विकास पहल के लिए 20 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए जाएंगे।
  • डीप टेक फंड ऑफ फंड्स: अगली पीढ़ी के स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करने हेतु डीप टेक फंड ऑफ फंड्स की स्थापना की संभावना पर विचार किया जाएगा।
  • प्रधानमंत्री अनुसंधान फैलोशिप: IIT और IISc में प्रौद्योगिकी अनुसंधान के लिए 10 हजार फैलोशिप्स के साथ वित्तीय सहायता बढ़ाई जाएगी।
  • फसल जर्मप्लाज्म जीन बैंक: खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 10 लाख जर्मप्लाज्म लाइनों के साथ दूसरा जीन बैंक स्थापित किया जाएगा।
  • नेशनल जियोस्पेशियल मिशन: बुनियादी जियोस्पेशियल अवसंरचना और डेटा विकसित करने हेतु नेशनल जियोस्पेशियल मिशन की स्थापना की जाएगी।
  • ज्ञान भारतम मिशन: पांडुलिपियों के सर्वेक्षण, प्रलेखन और संरक्षण के लिए शैक्षिक संस्थानों, संग्रहालयों और निजी संग्रहकर्ताओं के साथ ‘ज्ञान भारतम मिशन’ की स्थापना की जाएगी। इसके तहत 1 करोड़ से अधिक पांडुलिपियाँ संरक्षित की जाएंगी।

IV. निर्यात में निवेश

  • निर्यात संवर्द्धन मिशन: वाणिज्य मंत्रालय, MSME और वित्त मंत्रालय के सहयोग से निर्यात संवर्द्धन मिशन स्थापित किया जाएगा, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के लिए लक्ष्य निर्धारित होंगे।
  • भारत ट्रेडनेट: व्यापार दस्तावेज़ीकरण और वित्त पोषण समाधान प्रदान करने के लिए भारत ट्रेडनेट (BTN) की स्थापना की जाएगी।
  • वैश्विक क्षमता केंद्र (GCC) के लिए रूपरेखा: उभरते हुए टियर-2 शहरों में वैश्विक क्षमता केंद्रों को प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय मार्गदर्शिका तैयार की जाएगी।

वित्तीय क्षेत्र में सुधार और विकास

  • बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश (FDI) भारत में बीमा कंपनियों द्वारा किए गए कुल प्रीमियम निवेश की सीमा को 74% से बढ़ाकर 100% किया जाएगा।
  • NABFID द्वारा ऋण वृद्धि सुविधा राष्ट्रीय अवसंरचना और विकास वित्त निगम (NABFID) द्वारा कॉरपोरेट बॉन्ड के माध्यम से अवसंरचना क्षेत्र के लिए आंशिक ऋण वृद्धि सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
  • ग्रामीण ऋण स्कोर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के सदस्यों और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने हेतु “ग्रामीण ऋण स्कोर” रूपरेखा तैयार करेंगे।
  • पेंशन क्षेत्र में सुधार पेंशन उत्पादों के विनियमन और विकास को सुनिश्चित करने के लिए एक समन्वित मंच की स्थापना का प्रस्ताव है।
  • विनियामक सुधार हेतु उच्चस्तरीय समिति गैर-वित्तीय क्षेत्र के सभी नियमों, प्रमाणन, लाइसेंस और अनुमतियों की समीक्षा के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया जाएगा।
  • राज्यों के लिए निवेश अनुकूल सूचकांक संघीय प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने हेतु 2025 में राज्यों का निवेश अनुकूल सूचकांक शुरू किया जाएगा।
  • जन विश्वास विधेयक 2.0 100 से अधिक प्रावधानों को गैर-आपराधिक बनाने का प्रस्ताव किया गया है।

प्रत्यक्ष कर सुधार

  • नई कर व्यवस्था 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय (यानी 1 लाख रुपये प्रति माह) पर कोई आयकर देय नहीं होगा।
  • वेतनभोगी करदाताओं के लिए मानक कटौती के बाद यह सीमा 12.75 लाख रुपये होगी।
  • इससे मध्यम वर्ग को कर राहत मिलेगी और उनकी बचत व निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
  • नया आयकर विधेयक सरल और स्पष्ट होगा, जिससे मुकदमों में कमी आएगी।
  • प्रत्यक्ष करों में लगभग 1 लाख करोड़ रुपये की छूट दी जाएगी।

संशोधित कर संरचना

आय सीमा (रुपये में)

कर दर

0-4 लाख

शून्य

4-8 लाख

5%

8-12 लाख

10%

12-16 लाख

15%

16-20 लाख

20%

20-24 लाख

25%

24 लाख से अधिक

30%

TDS और TCS को तर्कसंगत बनाना

  • TDS की दरों और सीमाओं की संख्या कम कर उसे तर्कसंगत बनाया जाएगा।
  • वरिष्ठ नागरिकों के लिए ब्याज पर कटौती की सीमा 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये की जाएगी।
  • किराये पर TDS की वार्षिक सीमा 2.40 लाख रुपये से बढ़ाकर 6 लाख रुपये की गई।
  • एलआरएस के तहत धनप्रेषण की सीमा 7 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये की गई।
  • उच्च TDS कटौती के नियम केवल गैर-पैन मामलों पर लागू होंगे।
  • TCS भुगतान में देरी को गैर-आपराधिक घोषित किया जाएगा।

अनुपालन बोझ कम करना

  • छोटे धर्मार्थ ट्रस्टों/संस्थाओं की पंजीकरण अवधि 5 वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष की गई।
  • करदाताओं को अपनी स्वामित्व वाली दो संपत्तियों के लिए शून्य वार्षिक मूल्य का दावा करने की अनुमति।

व्यवसाय करने में सुगमता

  • तीन वर्षों के ब्लॉक अवधि के लिए अंतरराष्ट्रीय लेनदेन मामलों में मूल्य निर्धारण योजना शुरू की जाएगी।
  • अंतरराष्ट्रीय कर विवादों को कम करने के लिए सेफ हार्बर नियमों का विस्तार किया जाएगा।
  • 29 अगस्त 2024 के बाद राष्ट्रीय बचत योजना (एनएसएस) से निकासी पर छूट लागू होगी।
  • एनपीएस वात्सल्य खातों को समान लाभ प्रदान किया जाएगा।

रोजगार और निवेश संवर्धन

  • इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण योजना
    • गैर-निवासियों द्वारा इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण सुविधा स्थापित करने वाली कंपनियों को सेवाएं प्रदान करने पर कराधान में निश्चितता दी जाएगी।
    • विशिष्ट इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण इकाइयों के लिए उपकरण घटकों को स्टोर करने वाले अनिवासियों के लिए सेफ हार्बर सेवा शुरू की गई।
  • अंतर्देशीय जहाजों के लिए टन भार कर योजना: भारतीय पोत अधिनियम, 2021 के तहत पंजीकृत अंतर्देशीय जलयानों को मौजूदा टन भार कर योजना के लाभ दिए जाएंगे।
  • स्टार्टअप्स का विस्तार: 1 अप्रैल 2030 से पहले स्थापित स्टार्टअप्स को 5 वर्षों तक कर लाभ दिया जाएगा।
  • वैकल्पिक निवेश निधियां (AIF): श्रेणी-1 और श्रेणी-2 एआईएफ के लिए अवसंरचना निवेश पर कराधान निश्चित किया जाएगा।
  • सॉवरेन और पेंशन निधियों के लिए निवेश तिथि का विस्तार: सॉवरेन वेल्थ फंड और पेंशन निधियों के अवसंरचना निवेश की समय-सीमा बढ़ाकर 31 मार्च 2030 तक की जाएगी।

अप्रत्यक्ष कर : केंद्रीय बजट 2025-26 के प्रस्ताव

  • सीमा शुल्क ढांचे का सरलीकरण
    • औद्योगिक वस्तुओं पर लागू टैरिफ संरचना को सरल बनाने के लिए 7 टैरिफ दरों को समाप्त करने का प्रस्ताव, जो कि 2023-24 के बजट में हटाई गई सात दरों के अतिरिक्त है।
    • इस संशोधन के बाद कुल शेष 8 टैरिफ दरें (शून्य दर सहित) होंगी।
    • कुछ वस्तुओं पर प्रभावी शुल्क दायित्व को लगभग यथावत रखने का प्रयास किया गया है, हालांकि कुछ मामलों में यह मामूली रूप से घट सकता है।
    • एक से अधिक उपकर या अधिभार न लगाने का प्रस्ताव।
    • 82 टैरिफ लाइनों पर समाज कल्याण अधिभार से छूट दी जाएगी।
  • अप्रत्यक्ष करों में राजस्व हानि: इन सुधारों से सरकार को लगभग 2600 करोड़ रुपये के राजस्व का त्याग करना होगा।

औषधि एवं दवाओं के आयात में राहत

  • 36 जीवन रक्षक दवाएं बुनियादी सीमा शुल्क से पूर्णतः मुक्त।
  • 6 जीवन रक्षक औषधियां अब 5% की रियायती सीमा शुल्क दर में शामिल।
  • औषधि कंपनियों द्वारा संचालित रोगी सहायता कार्यक्रमों में शामिल विशिष्ट दवाएं भी पूरी तरह बुनियादी सीमा शुल्क से मुक्त।
  • 13 नए रोगी सहायता कार्यक्रमों के साथ कुल 37 दवाओं को इस श्रेणी में जोड़ा गया

घरेलू विनिर्माण और मूल्यवर्धन को बढ़ावा

  • महत्वपूर्ण खनिज: कोबाल्ट पाउडर, लिथियम आयन बैटरी के अवशेष, लेड, जिंक सहित 12 अन्य महत्वपूर्ण खनिजों पर बुनियादी सीमा शुल्क से छूट।
  • वस्त्र उद्योग
    • घरेलू तकनीकी वस्त्र उत्पादों को प्रोत्साहन।
    • शटल-रहित करघों वाली दो नई प्रकार की टेक्सटाइल मशीनरी को सीमा शुल्क मुक्त किया गया।
    • बुने हुए वस्त्रों पर सीमा शुल्क को संशोधित कर 20% या ₹115 प्रति किलोग्राम (जो अधिक हो) निर्धारित किया गया।
  • इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद
    • इंटरैक्टिव फ्लैट पैनल डिस्प्ले पर बुनियादी सीमा शुल्क 10% से बढ़ाकर 20%
    • ओपन सेल्स और अन्य घटकों पर सीमा शुल्क घटाकर 5%
    • ओपन सेल्स के कुछ अन्य घटकों पर भी सीमा शुल्क से छूट
  • लिथियम आयन बैटरी
    • इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी के निर्माण के लिए 35 अतिरिक्त पूंजीगत वस्तुओं पर छूट।
    • मोबाइल फोन बैटरी निर्माण हेतु 28 अतिरिक्त पूंजीगत वस्तुओं पर छूट।
  • पोत निर्माण उद्योग
    • पोत निर्माण में उपयोग होने वाले कच्चे माल, पुर्जों, घटकों व उपभोज्य वस्तुओं पर अगले 10 वर्षों तक बुनियादी सीमा शुल्क से छूट
    • पुराने पोतों पर भी यह छूट लागू होगी
  • दूरसंचार क्षेत्र: कैरियर ग्रेड ईथरनेट स्विच पर सीमा शुल्क 20% से घटाकर 10%

निर्यात संवर्धन के उपाय

  • हस्तशिल्प उद्योग
    • हस्तशिल्प निर्यात की अवधि 6 महीने से बढ़ाकर 1 वर्ष की गई, जिसे आवश्यकता पड़ने पर अतिरिक्त 3 महीने के लिए बढ़ाया जा सकता है
    • शुल्क मुक्त वस्तुओं की सूची में 9 नई वस्तुएं जोड़ी गईं
  • चमड़ा उद्योग
    • वेट ब्लू लेदर पर बुनियादी सीमा शुल्क में पूर्ण छूट
    • क्रश लेदर को 20% निर्यात शुल्क से छूट
  • समुद्री उत्पाद
    • फ्रोजन फिश पेस्ट (सुरीमी) और अन्य संबंधित उत्पादों पर बुनियादी सीमा शुल्क 30% से घटाकर 5%
    • मछली एवं झींगा आहार के लिए फिश हाइड्रोलाइसेट पर सीमा शुल्क 15% से घटाकर 5%

रेल उद्योग हेतु घरेलू एमआरओ (मरम्मत, रखरखाव एवं ओवरहॉलिंग)

  • रेल उपकरणों के घरेलू एमआरओ को वायुयान और जलपोत एमआरओ के समान ही कर-छूट का लाभ
  • ऐसे उत्पादों के निर्यात की समय-सीमा 6 महीने से बढ़ाकर 1 वर्ष, जिसे आवश्यकता पड़ने पर और 1 वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है

व्यापार सुविधा में सुधार

  • प्रोविजनल कर निर्धारण की समय-सीमा: व्यवसायों को प्रोविजनल कर निर्धारण को अंतिम रूप देने के लिए अधिकतम 2 वर्ष की समय-सीमा, जिसे आवश्यक होने पर 1 वर्ष के लिए और बढ़ाया जा सकता है
  • स्वैच्छिक अनुपालन: आयातक एवं निर्यातक माल की मंजूरी के बाद स्वेच्छा से आवश्यक विवरण प्रस्तुत कर सकते हैं और ब्याज सहित शुल्क का भुगतान बिना किसी दंड के कर सकते हैं
  • अंतिम उपयोग की समय-सीमा बढ़ाई गई
    • आयातित वस्तुओं के अंतिम उपयोग की समय-सीमा 6 महीने से बढ़ाकर 1 वर्ष
    • आयातकों को अब मासिक विवरण के बजाय तिमाही विवरण प्रस्तुत करना होगा

केंद्रीय बजट 2025-26 Quiz (Total – 20 Questions)

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