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संदर्भ:
इच्छामृत्यु: सुप्रीम कोर्ट के उस निर्णय के तहत, जिसमें गंभीर रूप से बीमार मरीजों को सम्मानजनक मृत्यु का अधिकार दिया गया है, कर्नाटक ने इस निर्देश को लागू करने का निर्णय लिया है। केरल के बाद कर्नाटक दूसरा राज्य है जिसने इस फैसले को लागू किया है।
सुप्रीम कोर्ट के निष्क्रिय इच्छामृत्यु पर निर्देश:
कानूनी मान्यता (2018 और 2023 के फैसले):
- 2018 में, सुप्रीम कोर्ट ने निष्क्रिय इच्छामृत्यु (Passive Euthanasia) को वैध कर दिया और सम्मानपूर्वक मृत्यु के अधिकार को अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी।
- 2023 में, जीवन रक्षक प्रणाली हटाने की प्रक्रिया को सरल बनाया, जिससे इसे संरचित और नैतिक तरीके से लागू किया जा सके।
निष्क्रिय इच्छामृत्यु के लिए शर्तें:
- केवल असाध्य रूप से बीमार (Terminally Ill) मरीजों, जिनके ठीक होने की कोई संभावना नहीं है, के लिए अनुमति।
- तब लागू, जब मरीज लगातार अचेतन अवस्था (Persistent Vegetative State) में हो या लंबे समय से असाध्य रोग से पीड़ित हो।
पूर्व चिकित्सा निर्देश (Advance Medical Directive – AMD):
- कोई भी सक्षम वयस्क (Competent Adult) AMD बना सकता है, जिसमें वह निर्णय लेने की क्षमता खोने की स्थिति में अपनी चिकित्सा प्राथमिकताएँ निर्धारित कर सकता है।
- AMD में दो प्रतिनिधियों को नामित किया जा सकता है, जो मरीज की ओर से निर्णय लेंगे।
जीवन रक्षक प्रणाली हटाने की स्वीकृति प्रक्रिया:
- अस्पतालों में दो मेडिकल बोर्ड गठित होंगे:
- प्राथमिक मेडिकल बोर्ड (तीन वरिष्ठ डॉक्टरों सहित)।
- द्वितीयक मेडिकल बोर्ड (स्वतंत्र समीक्षा के लिए, इसमें भी तीन वरिष्ठ डॉक्टर होंगे)।
- निर्णय में जिला स्वास्थ्य अधिकारी की भागीदारी आवश्यक।
- अंतिम निर्णय के लिए प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट (JMFC) की स्वीकृति अनिवार्य।
- निर्णय की रिपोर्ट उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार को दी जाएगी।
इच्छामृत्यु (Euthanasia) क्या है?
- यह एक ऐसा कार्य है, जिसमें असाध्य और अत्यंत पीड़ादायक रोग या विकार से ग्रस्त व्यक्ति के जीवन को समाप्त किया जाता है ताकि उसकी पीड़ा दूर की जा सके।
निष्क्रिय इच्छामृत्यु (Passive Euthanasia):
- इसमें गंभीर रूप से बीमार (Terminally Ill) मरीजों की जीवन रक्षक प्रणाली (Life-Sustaining Treatment – LST) को वापस लेना या रोक देना शामिल है।
- यह उन मरीजों पर लागू होता है जो लंबे समय से चिकित्सा उपचार में हैं, लेकिन उनके ठीक होने की कोई संभावना नहीं है और वे निर्णय लेने में सक्षम नहीं हैं।
- सक्रिय इच्छामृत्यु (Active Euthanasia) बनाम निष्क्रिय इच्छामृत्यु:
- सक्रिय इच्छामृत्यु: किसी गंभीर रूप से बीमार मरीज को जानबूझकर मारना, आमतौर पर उसकी स्वेच्छा से अनुरोध पर।
- भारत में सक्रिय इच्छामृत्यु अवैध है।
- नीति और दिशानिर्देश: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने “टर्मिनली इल मरीजों में जीवन रक्षक प्रणाली हटाने के लिए दिशानिर्देश“ का मसौदा जारी किया है।
जीवन रक्षक प्रणाली (LST) हटाने के दिशानिर्देशों के प्रमुख बिंदु:
- जीवन रक्षक प्रणाली (LST) हटाने की शर्तें: निश्चित परिस्थितियों में LST हटाने की अनुमति होगी, जैसे कि जब व्यक्ति को ब्रेनस्टेम डेथ (Brainstem Death) घोषित किया गया हो।
- मेडिकल बोर्डों का गठन
- प्राथमिक मेडिकल बोर्ड (PMB) और द्वितीयक मेडिकल बोर्ड (SMB) गठित किए जाएंगे।
- PMB के सदस्य सामूहिक सहमति से LST हटाने का प्रस्ताव देंगे।
- SMB को PMB के निर्णय को सत्यापित (Validate) करना होगा।
- नैतिक समिति (Clinical Ethics Committee) का गठन: अस्पतालों में एक नैतिक समिति (Clinical Ethics Committee) बनाई जाएगी, जो निम्नलिखित कार्य करेगी:
- मामलों का ऑडिट।
- अनुश्रवण (Oversight)।