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संदर्भ:
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2025 को केंद्रीय बजट पेश करते हुए बिहार में “मखाना बोर्ड“ स्थापित करने की घोषणा की। यह बोर्ड मखाना उत्पादन, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन और विपणन को बढ़ावा देगा। साथ ही, यह मखाना किसानों को प्रशिक्षण और सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने में सहायता करेगा।
मखाना (Makhana) के बारे में:
- मखाना को फॉक्स नट्स, यूरियाले फेरॉक्स, कमल के बीज, गॉर्गन नट्स और फूल मखाना के नाम से भी जाना जाता है।
- वानस्पतिक नाम – Euryale ferox Salisb।
- यह एक जलीय फसल है और निम्फेसी (Nymphaeaceae) परिवार से संबंधित है।
मखाना की खेती:
- मखाना का व्यावसायिक रूप से उत्पादन स्थिर जल निकायों जैसे तालाब, दलदल, ऑक्सबो झीलें, गड्ढे और निम्नभूमि क्षेत्रों में किया जाता है।
- यह मुख्य रूप से गर्म, उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में अच्छी तरह पनपता है।
- किसान इसे उथले पानी में बोते हैं, और पौधों को फूल और बीज विकसित करने तक बढ़ने दिया जाता है।
मखाना की कटाई (Harvesting):
- कटाई आमतौर पर गर्मी के महीनों में होती है।
- परिपक्व बीजों को जल से एकत्र किया जाता है, फिर उन्हें सूरज की रोशनी में सुखाया जाता है।
- बीजों को भूनकर (Roasting) और पॉप करके (Popping) उनकी कठोर बाहरी परत हटाई जाती है।
- यह प्रक्रिया मखाने को हल्का, कुरकुरा और खाने योग्य रूप में बदलने के लिए आवश्यक होती है।
बिहार: भारत में मखाना उत्पादन का केंद्र:
- बिहार भारत के मखाना उत्पादन का लगभग 90% योगदान देता है।
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के 2020 के अनुसार, बिहार में लगभग 15,000 हेक्टेयर क्षेत्र में मखाना उगाया जाता है, जिससे 10,000 टन पॉप्ड मखाना (Fox Nuts) का उत्पादन होता है।
- उत्पादन केंद्र: बिहार के 9 जिलों में मखाना की खेती केंद्रित है –
- दरभंगा, मधुबनी, पूर्णिया, कटिहार, सहरसा, सुपौल, अररिया, किशनगंज और सीतामढ़ी।
- इनमें से दरभंगा, मधुबनी, पूर्णिया और कटिहार मिलकर बिहार के कुल मखाना उत्पादन का 80% योगदान देते हैं।
भारत और वैश्विक बाजार में मखाना
- बिहार के अलावा, मखाना का सीमित उत्पादन असम, मणिपुर, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और ओडिशा में भी होता है।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मखाना नेपाल, बांग्लादेश, चीन, जापान और कोरिया में उगाया जाता है।
- वैश्विक मखाना बाजार 2023 में $43.56 मिलियन का था, और 2023-2033 के बीच 8.31% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) के साथ 2033 तक $100 मिलियन तक पहुँचने की उम्मीद है।
बजट 2025 में मखाना बोर्ड की घोषणा का महत्व:
बिहार की चुनौतियाँ:
- सबसे बड़ा उत्पादक होने के बावजूद, बिहार मखाना बाजार में पिछड़ा है।
- भारत के सबसे बड़े निर्यातक पंजाब और असम हैं, जबकि पंजाब मखाना का उत्पादन तक नहीं करता।
- मुख्य कारण:
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का अभाव – बिहार में कच्चे मखाने की सस्ती बिक्री होती है।
- निर्यात अवसंरचना की कमी – राज्य में कार्गो होल्ड जैसी सुविधाएँ नहीं हैं।
कम उत्पादकता: मखाना किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती
- बिहार में मखाना की खेती अत्यंत श्रम–प्रधान और कठिन प्रक्रिया है, जिससे इसकी लागत अधिक हो जाती है।
मखाना बोर्ड कैसे मदद करेगा?
- ₹100 करोड़ के बजट से खाद्य प्रसंस्करण, भंडारण और निर्यात अवसंरचना का विकास होगा।
- किसानों को प्रशिक्षण और निर्यात–उन्मुख उत्पादन में सहायता मिलेगी।
- खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार किया जाएगा।