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संदर्भ:
केंद्र सरकार ने 2025-26 के केंद्रीय बजट में बीमा क्षेत्र में FDI की सीमा 74% से बढ़ाकर 100% करने का प्रस्ताव रखा है। इसका उद्देश्य वैश्विक निवेश आकर्षित करना और 2047 तक ‘सभी के लिए बीमा’ के लक्ष्य को हासिल करना है।
विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI):
- परिभाषा: जब किसी देश की कंपनी या व्यक्ति दूसरे देश में परिसंपत्तियों, व्यवसायों या उत्पादन गतिविधियों में निवेश करता है।
- महत्त्व:
- पूंजी, प्रौद्योगिकी और प्रबंधन विशेषज्ञता लाकर अर्थव्यवस्था को गति देता है।
- नौकरी के अवसर बढ़ाता है, खासकर विनिर्माण, सेवा और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में।
- स्थानीय कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए कौशल और तकनीक हस्तांतरण को प्रोत्साहित करता है।
बीमा क्षेत्र में FDI सीमा और विधायी सुधार:
- FDI सीमा वृद्धि: फरवरी 2021 में बीमा क्षेत्र में FDI सीमा 49% से बढ़ाकर 74% कर दी गई।
- विधायी ढांचे की समीक्षा: बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) और उद्योग जगत से परामर्श लेकर व्यापक विधायी समीक्षा की गई।
वैश्विक स्तर पर भारत का बीमा क्षेत्र:
- वर्तमान स्थिति:
- भारत दुनिया का 10वां सबसे बड़ा बीमा बाजार।
- उभरती अर्थव्यवस्थाओं में दूसरा सबसे बड़ा बीमा बाजार।
- भविष्य की संभावनाएँ:
- 2033 तक छठा सबसे बड़ा बीमा बाजार बनने की संभावना, जर्मनी और कनाडा को पीछे छोड़ते हुए।
- 2026 तक बाजार का आकार USD 222 बिलियन तक पहुँचने का अनुमान।
बीमा क्षेत्र में 100% FDI के महत्व:
- अधिक निवेश: विदेशी पूंजी से विकास और विस्तार को बढ़ावा मिलेगा।
- प्रतिस्पर्धा में वृद्धि: बेहतर उत्पाद, सेवाएँ और प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण को प्रोत्साहन।
- तकनीकी प्रगति: उन्नत तकनीक और नवाचार उत्पादों को अपनाने में मदद।
- बीमा कवरेज में सुधार: ‘2047 तक सभी के लिए बीमा’ लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता।
भारत के बीमा क्षेत्र की स्थिति (आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25):
- कुल बीमा प्रीमियम वृद्धि: FY24 में 7% वृद्धि, कुल प्रीमियम ₹11.2 लाख करोड़ तक पहुँचा।
- बीमा पैठ (Insurance Penetration):
- FY23 में 4% से घटकर FY24 में 7%।
- बीमा प्रीमियम का GDP के प्रतिशत के रूप में मापन।
- बीमा घनत्व (Insurance Density):
- USD 92 (FY23) से बढ़कर USD 95 (FY24)।
- बीमा प्रीमियम का जनसंख्या के अनुपात में (प्रति व्यक्ति) मापन।
भारत के बीमा क्षेत्र की चुनौतियाँ:
- शीर्ष बीमा कंपनियों की अनुपस्थिति: दुनिया की शीर्ष 25 बीमा कंपनियों में से 20 भारत में मौजूद नहीं हैं।
- आर्थिक बाधाएँ: लोगों की क्रय शक्ति सीमित होने के कारण बीमा अपनाने की दर कम।
- सांस्कृतिक प्राथमिकताएँ: लोग पारंपरिक वित्तीय तरीकों (जैसे सोना, अचल संपत्ति, बचत खाते) को बीमा से अधिक प्राथमिकता देते हैं।