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भारत की पड़ोसी प्रथम नीति

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संदर्भ:

केंद्रीय बजट 2025 में विदेश मंत्रालय को 20,516 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जिसमें पड़ोसी प्रथम नीति (Neighbourhood First Policy) पर विशेष जोर दिया गया है।

पड़ोसी प्रथम नीति (Neighbourhood First Policy – NFP):

  1. परिचय:
    • भारत की पड़ोसी प्रथम नीति उसके आसपास के देशों के साथ संबंधों के प्रबंधन का मार्गदर्शन करती है।
    • 2008 में औपचारिक रूप से लागू हुई।
    • सम्बंधित देश: अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका।
  2. उद्देश्य:
    • भौतिक, डिजिटल और जनजन संपर्क को बढ़ावा देना।
    • व्यापार और वाणिज्य को मजबूत करना।
  3. मुख्य फोकस:
    • स्थिरता और समृद्धि के लिए लोगों के अनुकूल, पारस्परिक लाभकारी क्षेत्रीय ढांचे का निर्माण।
    • सम्मान (Samman), संवाद (Samvad), शांति (Shanti) और समृद्धि (Samriddhi) के सिद्धांतों के आधार पर परामर्शी, गैर-पारस्परिक और परिणाम-उन्मुख दृष्टिकोण अपनाना।
    • सरकार की सभी संबंधित शाखाओं में नीति को संस्थागत प्राथमिकता के रूप में विकसित करना।

2025-26 के MEA बजट में प्रमुख आवंटन:

  1. पड़ोसी प्रथम नीति (NFP) पर जोर: भारत के पड़ोसी देशों के लिए कुल ₹4,320 करोड़ आवंटित (कुल योजना बजट का 64%)।
  2. बड़े बुनियादी ढांचा प्रोजेक्ट:
    • जलविद्युत संयंत्र, बिजली ट्रांसमिशन लाइनें, आवास, सड़कें, पुल, एकीकृत चेकपोस्ट्स
    • यह क्षेत्रीय कूटनीति को मजबूत करने की भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
  3. विदेशी सहायता आवंटन में प्रमुख बदलाव:
    • भूटान: ₹2,150 करोड़ (बढ़ोतरी, ₹2,068 करोड़ से)।
    • मालदीव: ₹600 करोड़ (बढ़ोतरी, ₹400 करोड़ से)।
    • अफगानिस्तान: ₹100 करोड़ (घटाया गया, ₹200 करोड़ से)।
    • म्यांमार: ₹350 करोड़ (बढ़ोतरी, ₹250 करोड़ से)।
    • नेपाल: ₹700 करोड़ (यथावत रखा गया)।
    • श्रीलंका: ₹300 करोड़ (बढ़ोतरी, ₹245 करोड़ से)।
    • बांग्लादेश: ₹120 करोड़ (कोई बदलाव नहीं)।
  4. अन्य क्षेत्रों के लिए आवंटन:
    • अफ्रीकी राष्ट्र: ₹225 करोड़ (बढ़ोतरी, ₹200 करोड़ से)।
    • लैटिन अमेरिका: ₹60 करोड़ (घटाया गया, ₹90 करोड़ से)।
    • चाबहार पोर्ट (ईरान): ₹100 करोड़ (यथावत रखा गया)।

पड़ोसी प्रथम नीति (NFP) का महत्व:

  • रणनीतिक आवश्यकता: दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा देकर बाहरी प्रभाव (जैसे चीन) को संतुलित करना और मुक्त एवं खुला इंडो-पैसिफिक सुनिश्चित करना।
  • वैश्विक शासन सुधार: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC), अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) जैसी संस्थाओं में सुधार के लिए भारत की आवाज़ मजबूत होगी।
  • बहुपक्षीय सहयोग: SAARC, BIMSTEC जैसी क्षेत्रीय संगठनों के माध्यम से बहुपक्षीयता को बढ़ावा देना।
  • सॉफ्ट पावर: पड़ोसी देशों से ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक पहचान और प्रभाव को मजबूत करना।
  • क्षेत्रीय शांति सुरक्षा: आतंकवाद विरोधी अभियानों, संगठित अपराधों और अन्य सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाना।
  • आर्थिक लाभ: क्षेत्रीय व्यापार, निवेश और बुनियादी ढांचा विकास से रोजगार सृजन व आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा।
  • ऊर्जा सुरक्षा: नेपाल व भूटान जैसे देशों की जलविद्युत क्षमता से भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना।
  • पूर्वोत्तर विकास: भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के विकास के लिए पड़ोसी देशों के साथ संपर्क सुधारना (जैसे कलादान प्रोजेक्ट, अगरतला-अखौरा रेल लिंक)।

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