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असम में विदेशी न्यायाधिकरण

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संदर्भ:

असम में विदेशी न्यायाधिकरण: सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को आदेश दिया है कि वह डिटेंशन सेंटर में रखे गए विदेशियों को देश से बाहर भेजे। इनमें से कुछ 10 साल से अधिक समय से हिरासत में हैं।

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई:

  • असम के मटिया ट्रांजिट कैंप में रखे गए 270 बंदियों की स्थिति पर केंद्रित।
  • विशेष रूप से 63 लोगों की निर्वासन प्रक्रिया शुरू न करने पर राज्य सरकार की आलोचना।

सरकार का रुख:

  • दिसंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को 270 बंदियों की हिरासत के कारण और निर्वासन प्रक्रिया पर हलफनामा दाखिल करने का समय दिया था।
  • 63 लोगों के पते अज्ञात होने के कारण निर्वासन में देरी।

मटिया कैंप में बंदी कौन हैं?

  • 270 कैदियों में दो श्रेणियाँ:
    • विदेशी कानूनों के उल्लंघन पर दोषी ठहराए गए लोग:
      • 103 रोहिंग्या, 32 चिन समुदाय के लोग, और 1 व्यक्ति सेनेगल से।
      • सजा पूरी करने के बाद ट्रांजिट कैंप में रखा गया।
    • असम के विदेशी न्यायाधिकरण (Foreigners Tribunals) द्वारा “विदेशी” घोषित लोग:
      • 133 लोग संदिग्ध नागरिकता के कारण न्यायाधिकरण के निर्णय के तहत कैद।
      • इनमें कुछ सीमा पुलिस द्वारा संदिग्ध घोषित और कुछ संदिग्ध मतदाता (Doubtful Voter) सूची में शामिल।

असम में विदेशी न्यायाधिकरण (Foreigners Tribunals – FTs) के बारे में:

  1. परिचय: अर्ध-न्यायिक निकाय जो असम में अवैध प्रवासियों के मामलों का निपटारा करते हैं।
  2. कानूनी आधार:
  3. मुख्य कार्य: नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिज़न्स (NRC) से बाहर छूटे व्यक्तियों के मामलों का निपटारा।
    • लगभग 06 लाख लोगों से जुड़े मामलों की समीक्षा करना।

संरचना और कार्यप्रणाली:

  • संरचना (Structure of FTs):
    • संख्या: असम में वर्तमान में लगभग 100 विदेशी न्यायाधिकरण कार्यरत।
    • संरचना:
      • प्रत्येक न्यायाधिकरण का नेतृत्व न्यायिक या कानूनी अनुभव रखने वाले सदस्य (जज या अधिवक्ता) करते हैं।
      • सदस्यों की नियुक्ति सरकारी दिशानिर्देशों के अनुसार की जाती है।
    • मामलों का संदर्भ (Referral Process):
      • जिला मजिस्ट्रेट (DM) मामले संदर्भित कर सकते हैं।
      • संदिग्ध मतदाताओं (Doubtful Voters – D Voters) को नोटिस देकर ट्रिब्यूनल में बुलाया जाता है।
      • सीमा पुलिस (Border Police) द्वारा संदिग्ध अवैध प्रवासियों से संबंधित मामले भेजे जाते हैं।

विदेशी न्यायाधिकरण की कार्यप्रणाली (Functioning of FTs):

  • नागरिक न्यायालय जैसी शक्तियाँ:
    • गवाहों को बुलाने, शपथ पर बयान लेने और दस्तावेज़ मांगने की शक्ति।
    • 1964 आदेश के अनुसार, FT को सिविल कोर्ट जैसी शक्तियाँ प्राप्त हैं।
  • नोटिस और जवाबदेही:
    • संदिग्ध व्यक्ति को 10 दिनों के भीतर नोटिस जारी किया जाता है (अंग्रेज़ी या राज्य की आधिकारिक भाषा में)।
    • 10 दिन में जवाब देना अनिवार्य, फिर अगले 10 दिनों में सबूत प्रस्तुत करना आवश्यक।
  • निर्णय का समयसीमा: FT को 60 दिनों के भीतर मामला निपटाने का प्रावधान।
  • नागरिकता साबित करने की जिम्मेदारी (Burden of Proof):
    • विदेशी अधिनियम, 1946 के तहत, नागरिकता साबित करने की जिम्मेदारी संदिग्ध व्यक्ति पर होती है।
    • अगर वह अदालत में उपस्थित नहीं होता, तो उसे राज्य द्वारा विदेशी घोषित कर दिया जाता है, बिना किसी अतिरिक्त प्रमाण की आवश्यकता के।
  • निर्वासन (Deportation) प्रक्रिया: यदि व्यक्ति अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाता, तो FT उसे डिटेंशन सेंटर (अब ट्रांजिट कैंप) भेज सकता है, जहाँ से बाद में उसे निर्वासित किया जा सकता है।

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